नई दिल्ली: इतिहास में रुचि रखने वाले लोगों के लिए खुशखबरी है. अब वह कश्मीरी गेट स्थित पार्टीशन म्यूजियम का दीदार कर सकते हैं. इतना ही नहीं, इसके लिए उन्हें किसी भी तरह का शुल्क नहीं देना होगा. इसके लिए वह ऑनलाइन मोड से टिकट बुक कर सकते हैं. इस म्यूजियम में भारत पाक के विभाजन के दौरान लोगों का जीवन कैसा रहा, कैसे लोग इधर से उधर गए, कैसे लोगों ने अपना जीवन यापन किया आदि पर आधारित करीब आधा दर्जन गैलरी हैं.
यहां आकर आप एक अलग अनुभव ले सकते हैं. अंबेडकर यूनिवर्सिटी की वीसी अन्नू लाठर ने बताया कि बीते माह इस म्यूजियम का उद्घाटन दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री आतिशी ने किया था. अब इसे आम लोगों के लिए भी शुरू कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि म्यूजियम की टिकट बुक करने के लिए https://www.partitionmuseum.org/visit-the-museum-delhi/ पर जाना होगा. यहां वह अपनी बेसिक जानकारी देकर टिकट ले सकते हैं.
उन्होंने बताया कि रोजाना 200 लोगों को यहां आने की इजाजत है. वहीं सोमवार और सरकारी छुट्टी के दिन यह स्कूल बंद रहता है. लोग मंगलवार से रविवार सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच यहां आ सकते हैं. यहा प्रवेश के लिए यूनिवर्सिटी एक गेट नंबर एक पर टिकट का टोकन नंबर दिखाना होगा, जिसके बाद अंदर जाने की इजाजत दी जाएगी. हालांकि, यहां पार्किंग की सुविधा नहीं मिलेगी. इसलिए वाहन से आने वाले लोगों गाड़ी कहीं और पार्क करनी होगी. यह म्यूजियम कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन से 10 मिनट की दूरी पर स्थित है. वहीं इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इसकी दूरी 25 किलोमीटर है. म्यूजियम के अंदर फोटो और वीडियो लेने पर प्रतिबंध है.
संग्रहालय में है लोगों के संघर्ष की कहानी: भारत का विभाजन, इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है. यह मानव इतिहास का सबसे बड़ा प्रवासन था और इससे 20 मिलियन लोग प्रभावित हुए थे. जीवन और संपत्ति के व्यापक नुकसान के बावजूद, 70 साल बाद एक गंभीर कमी थी कि उन सभी लाखों लोगों को याद करने के लिए दुनिया में कहीं भी संग्रहालय या स्मारक मौजूद नहीं था. विभाजन संग्रहालय का उद्देश्य इस शून्य को भरना है और उन लोगों की आवाज के माध्यम से कहानी को बताना है.
पार्टीशन म्यूजियम के एक हिस्से में विभाजन का दंश झेल झुके परिवार के लोगों द्वारा दिए गए कुछ सामान व कलाकृतियां रखी गई हैं. जैसे-जैसे लोग विस्थापित होते गए, वे अपने साथ जो कुछ ला सकते थे ले लाए. संग्रहालय में विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों से संबंधित विभाजन से जुड़ी कलाकृतियां हैं. संग्रहालय की 14 दीर्घाओं में स्थापित ऑडियो-विजुअल स्टेशनों के माध्यम से उन लोगों का भी दस्तावेजीकरण किया गया है, जिनकी आवाज को इतिहास के पन्नों में दबा दिया गया है.
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बच्चे आएं और समझें अपना इतिहास: अंबेडकर यूनिवर्सिटी की वीसी ने कहा कि हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा बच्चे इस म्यूजियम को देखने के लिए आएं, ताकि उन्हें पाठ्यपुस्तकों से जो सिखाया जा सकता है उससे परे सीखने में उन्हें सक्षम बनाया जा सके. साथ ही वे लोगों की पीड़ाओं के प्रति संवेदनशील बनाने के साथ-साथ, उस आशा और सकारात्मकता का अनुभव कर सकें, जो संग्रहालय आगे लाने का प्रयास करता है.
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