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'जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आएगी, बच्चों को स्कूल नहीं भेजूंगा'

कोरोना और लॉकडाउन के चलते देश में शैक्षणिक संस्थान और स्कूल करीब 3 महीने से बंद पड़े है. और अब स्कूल खोलने के पक्ष में अभिभावक विरोध जता रहे हैं. उनका कहना हैं कि जब तक इस वायरस की कोई वैक्सीन नहीं बन जाती है, वह अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे.

parents demanded to send their children to schools after corona vaccine generation
बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर अभिभावकों ने जताया विरोध
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Published : Jun 8, 2020, 5:09 PM IST

Updated : Jun 8, 2020, 10:43 PM IST

नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है. इसी बीच कोरोना मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. वहीं शैक्षणिक संस्थान इसी के कारण करीब 3 महीने से बंद है. अब एक बार फिर शैक्षणिक संस्थानों को खोलने को लेकर चर्चा तेज हो गई है. लेकिन अभिभावक अभी बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है. अभिभावकों का कहना है कि जब तक इस वायरस की कोई वैक्सीन नहीं बन जाती है, वह अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे.

बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर अभिभावकों ने जताया विरोध

स्कूल नहीं भेजेंगे अभिभावक

अभिभावक पंकज ने कहा कि जिस प्रकार से अभी दिल्ली की मौजूदा स्थिति है. उस हिसाब से हम अपने बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की जब तक कोई वैक्सीन या कोई ठोस उपाय नहीं आता है. स्कूल में बच्चों को भेजना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं होगा. इसी को ध्यान में रखते हुए हम अपने बच्चों को अगर स्कूल खुल भी जाते हैं, तो भी नहीं भेजेंगे.

14 जून को होगा प्रदर्शन

अभिभावक हितेश कौशिक ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार अन्य देशों में खोले गए स्कूल से कोई सबक नहीं ले रही है और निजी स्कूलों को सिर्फ फायदा पहुंचाने के लिए जल्दबाजी में स्कूलों को खोलना चाहती हैं. लेकिन एक बार स्कूल खोलने से अगर स्कूलों की हालत बिगड़ जाती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा. उन्होंने कहा कि स्कूलों को खोलने से पहले सरकार को डॉक्टरों और एक्सपर्ट की राय लेनी चाहिए. उसके बाद स्कूल खोलने पर कोई फैसला लेना चाहिए. साथ ही कहा कि जिस तरह से दिल्ली में लगातार कोरोना मामलों में वृद्धि हो रही हैं. इससे फिलहाल अभिभावक डरे हुए हैं. वहीं हितेश कौशिक ने कहा कि अगर सरकार इस वर्ष को जीरो ईयर घोषित कर देती हैं और सभी छात्रों को अगली क्लास में प्रमोट कर देती है तो क्या गलत होगा. जिस तरह से सरकार स्कूल खोलने पर विचार कर रही है. अभिभावकों ने भी इसके विरोध में 14 जून को विरोध-प्रदर्शन करने का फैसला किया है.

नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है. इसी बीच कोरोना मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. वहीं शैक्षणिक संस्थान इसी के कारण करीब 3 महीने से बंद है. अब एक बार फिर शैक्षणिक संस्थानों को खोलने को लेकर चर्चा तेज हो गई है. लेकिन अभिभावक अभी बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है. अभिभावकों का कहना है कि जब तक इस वायरस की कोई वैक्सीन नहीं बन जाती है, वह अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे.

बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर अभिभावकों ने जताया विरोध

स्कूल नहीं भेजेंगे अभिभावक

अभिभावक पंकज ने कहा कि जिस प्रकार से अभी दिल्ली की मौजूदा स्थिति है. उस हिसाब से हम अपने बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की जब तक कोई वैक्सीन या कोई ठोस उपाय नहीं आता है. स्कूल में बच्चों को भेजना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं होगा. इसी को ध्यान में रखते हुए हम अपने बच्चों को अगर स्कूल खुल भी जाते हैं, तो भी नहीं भेजेंगे.

14 जून को होगा प्रदर्शन

अभिभावक हितेश कौशिक ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार अन्य देशों में खोले गए स्कूल से कोई सबक नहीं ले रही है और निजी स्कूलों को सिर्फ फायदा पहुंचाने के लिए जल्दबाजी में स्कूलों को खोलना चाहती हैं. लेकिन एक बार स्कूल खोलने से अगर स्कूलों की हालत बिगड़ जाती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा. उन्होंने कहा कि स्कूलों को खोलने से पहले सरकार को डॉक्टरों और एक्सपर्ट की राय लेनी चाहिए. उसके बाद स्कूल खोलने पर कोई फैसला लेना चाहिए. साथ ही कहा कि जिस तरह से दिल्ली में लगातार कोरोना मामलों में वृद्धि हो रही हैं. इससे फिलहाल अभिभावक डरे हुए हैं. वहीं हितेश कौशिक ने कहा कि अगर सरकार इस वर्ष को जीरो ईयर घोषित कर देती हैं और सभी छात्रों को अगली क्लास में प्रमोट कर देती है तो क्या गलत होगा. जिस तरह से सरकार स्कूल खोलने पर विचार कर रही है. अभिभावकों ने भी इसके विरोध में 14 जून को विरोध-प्रदर्शन करने का फैसला किया है.

Last Updated : Jun 8, 2020, 10:43 PM IST
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