नई दिल्ली: सन् 1947 आजादी के बाद कश्मीर का वह हिस्सा जिसे आज पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) के नाम से जाना जाता है. वहां 22 अक्टूबर यानि आज ही के दिन ही पाकिस्तान ने हमला कर कब्जा कर लिया था. आज 72 साल बीत जाने के बाद भी उस घटना के प्रत्यक्षदर्शी अपने परिवार व हत्याओं के जख्मों को नहीं भर पाए हैं. आज भी वह दिन याद कर वह बिलख उठते हैं और अपने परिजनों को जाने का दुख रोते हुए बयां करते हैं.
80 वर्ष के बुजुर्ग उस घटना की याद में बिलख उठे
80 वर्ष के चंद्रप्रकाश ने बताया कि जिस वक्त पाकिस्तान ने हमला किया, उस वक्त हम लोग यह नहीं सोच पाए कि आखिर हुआ क्या है. इसके बाद अचानक गोलियां की आवाजें सुनकर सब सहम उठे और पास में बनी तहसील पर पहुंचे. उन्होंने बताया कि तहसील में तहसीलदार और उसके 11 अंगरक्षक भी मौजूद थे. लेकिन किसी ने हमारी मदद नहीं की और वह सभी अंगरक्षक तहसीलदार के साथ भाग गए. उन्होंने बताया कि उस वक्त मैं और मेरे परिवार वाले काफी लोग वहां मौजूद थे. जिसके बाद एक के बाद एक परिजनों की हत्या की गई. उसे सोच कर आज भी दर्द से कराह जाता हूं. उन्होंने बताया कि आज भले ही 72 साल बीत चुके हैं लेकिन अपने परिवार के साथ हुई उस घटना को आज भी याद कर बिलख उठता हूं.
जोगिंदर सिंह ने बयां किया दर्द
77 वर्ष के जोगिंदर ने बताया कि वह उस वक्त 5 वर्ष के थे और उस वक्त समझ नहीं थी कि आखिर यह हमले क्यों हो रहे थे. लेकिन 72 साल बीत जाने के बाद आज अपने परिजनों को याद करता हूं तो सिर्फ एक ही बात याद आती है कि हमारी क्या गलती थी. उन्होंने बताया कि आज हमें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं ऐसे में हमारी यही मांग है कि सरकार इस पर विशेष ध्यान दें. बता दें कि आज 22 अक्टूबर है और आज ही के दिन पाकिस्तान ने कश्मीर के हिस्से पर हमला कर उसे कब्जे में लिया था लेकिन 72 साल बाद भी सरकार भारत के उस हिस्से को अपने कब्जे में नहीं ले पाई है. देखने वाली बात होगी कि 72 साल बाद भी जहां लोगों के दर्द नहीं भर पाए हैं तो वहीं दूसरी ओर सरकार इन लोगों के लिए क्या कदम उठाती है.