नई दिल्ली: को-आर्डिनेशन कमेटी की मांग को लेकर विगत एक महीने से धरना कर रहे OT टेक्नीशियन ने एम्स प्रशासन की तरफ से मिले ठोस आश्वासन के बाद धरना प्रदर्शन को खत्म करने का निर्णय लिया है. ओटी टेक्नॉलॉजिस्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश भाटी ने बताया कि एम्स प्रशासन उनकी मांग को गंभीरता से ले रहा है. स्वास्थ्य मंत्री भी इस दिशा में काम कर रहे हैं और 31 अगस्त को इस मुद्दे को लेकर एक मीटिंग कर रहे हैं.
राजेश भाटी ने बताया कि हम धरना प्रदर्शन को लंबा खींचने के पक्ष में नहीं हैं. हमें पूरी उम्मीद है कि 5 सितंबर से पहले कोआर्डिनेशन कमेटी की सिफारिश लागू हो जाएगा. राजेश भाटी ने साथ ही इस बात पर भी अपने साथियों की सहमति ली कि अगर 5 सितंबर तक उनकी मांगे पूरी नहीं होगी तो एक बार फिर आगे की रणनीति तय की जाएगी. अभी तक पेशेंट केयर में हमने मरीजों की सेवा करना बंद नहीं किया है और आगे भी सेवा जारी रखेंगे.
राजेश ने बताया कि उन्होंने एम्स के डायरेक्टर को भी आश्वासन दिया है कि पेशेंट केयर में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं रहेगी किसी तरह का धरना प्रदर्शन नहीं किया जाएगा. राजेश भाटी ने बताया कि 2012 में कोआर्डिनेशन कमेटी की रिपोर्ट आई थी, जिसमें एम्स दिल्ली, जीपमार पॉन्डिचेरी और पीजीआई चंडीगढ़ में कोआर्डिनेशन कमेटी के सिफारिश को लागू करने को कहा गया था.
इसके तहत इन तीनों स्वायत्त संस्थानों में काम करने वाले ओटी टेक्नॉलॉजिस्ट्स के पे स्केल में सुधार की सिफारिश की गयी थी, जिसके लागू होने के बाद शुरुआती सैलरी 55 हजार रुपये प्रतिमाह होती. हालांकि पीजीआई चंडीगढ़ और जीपमार पाण्डिचेरी में इसे लागू कर दिया गया है, लेकिन सवाल यह है कि जब यह रिकमेंडेशन तीनों स्वायत्त मेडिकल संस्थानों के लिए दिया गया था तो केवल एम्स दिल्ली में इसे क्यों नहीं लागू किया गया है ? इसकी वजह से एम्स में काम करने वाले लगभग 800 ओटी टेक्नॉलॉजिस्ट्स को 15000 प्रति माह का नुकसान उठाना पड़ रहा है.