नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को आर्थिक रूप से पिछड़े (EWS) वर्ग के छात्रों के दाखिले के लिए सालाना आय एक लाख रुपये तक से बढ़ाकर पांच लाख रुपये तक करने का आदेश दिया है. जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव की बेंच ने कहा कि जब तक दिल्ली सरकार आरक्षण की योजना में संशोधन नहीं करती तब तक सालाना आय पांच लाख रुपए तक होगी. कोर्ट ने कहा कि ईडब्ल्यूएस की आय कितनी होनी चाहिए इसके लिए राज्य सरकार लोगों की आर्थिक स्थिति और दूसरे पहलुओं का आकलन करे.
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली और दूसरे राज्यों की तुलना करें तो दिल्ली में EWS के लिए सबसे कम आय रखा गया है, जबकि कई राज्यों में ये आठ लाख रुपए है. दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने EWS के लिए सालाना आय ढाई लाख रुपये करने का सुझाव दिया था. तब कोर्ट ने कहा कि ये सुझाव भी दिल्ली के लोगों द्वारा सामना किए जा रहे आर्थिक तंगी के अनुरूप नहीं है. इसमें बदलाव जरूरी है.
एडमिशन में 25% है रिजर्वेशनः ईडब्ल्यूएस के संबंध में 2011 के आदेश के मुताबिक, इस वर्ग के बच्चों को पहली कक्षा में 25 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. इन बच्चों को कक्षा आठ तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है. दरअसल, हाईकोर्ट एक बच्चे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसका ईडब्ल्यूएस के तहत दाखिला रद्द कर दिया गया था. बच्चे के पिता ने 8 जनवरी 2013 में आय प्रमाण पत्र हासिल किया था, जिसमें उसकी आय 67500 बताई गई थी. इस प्रमाण पत्र के आधार पर उसके पिता ने संस्कृति स्कूल, नई दिल्ली में दाखिला लिया था.
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वर्ग बदलने पर बढ़ा था विवादः बच्चे के पिता को अधिवासी प्रमाण पत्र 18 दिसंबर 2012 को कार्यपालक दंडाधिकारी द्वारा जारी किया गया था. अधिवारी प्रमाण पत्र में पता संजय कैंप चाणक्यापुरी का था. दाखिले के बाद बच्चा संस्कृति स्कूल में पढ़ रहा था. विवाद तब शुरू हुआ जब बच्चे के पिता ने 3 जनवरी 2018 को स्कूल के प्रिंसिपल को पत्र लिखकर ईडब्ल्यूएस वर्ग बदलकर सामान्य और अपना पता भी बदलने को कहा. इसके बाद स्कूल प्रशासन को संदेह हुआ जिसके बाद जांच शुरू हुई. जांच में पता और बच्चे के पिता की आय फर्जी पाई गई. इसके बाद दाखिला निरस्त कर दिया गया.
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