नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली की निचली अदालतों में सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिस बलों की तैनाती का निर्देश दिया है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि दिल्ली की अदालतों में भीड़ काफी होती है और उसके मुताबिक सुरक्षा उपाय बीस से तीस फीसदी कम है. मामले की अगली सुनवाई 1 फरवरी 2024 को होगी.
कोर्ट ने कहा कि ये असंभव है कि दिल्ली की जिला अदालतों में कई गेटों से पहुंचनेवाले लोगों का प्रवेश नियंत्रित किया जा सके, लेकिन इसका उपाय निकालना होगा. लोग इतने नहीं पहुंचने चाहिए कि भगदड़ की नौबत आ जाए. कोर्ट ने सलाह दी कि लोगों को विजटर पास के जरिये प्रवेश की अनुमति दी जाए. हाईकोर्ट ने कहा था कि अदालतों में प्रवेश करनेवालों का दो स्थानों पर चेकिंग की जाए. पहले तो मुख्य प्रवेश गेट पर और दूसरा कोर्ट बिल्डिंग में प्रवेश करते समय कोर्ट ने कहा था कि महिला वकीलों, कर्मचारियों और पक्षकारों की चेकिंग के लिए महिला सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जाए.
26 अप्रैल को हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों और बार एसोसिएशंस को निर्देश दिया था कि वे अदालतों के अंदर सुरक्षा पर बैठक करें. दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील संतोष त्रिपाठी ने कहा था कि दिल्ली पुलिस काफी सहयोग कर रही है और वो अच्छा काम कर रही है. ज्यादा से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं.
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हादसों के बाद निर्णय: बता दें कि 24 सितंबर, 2021 को रोहिणी कोर्ट के कोर्ट रुम में फायरिंग हुई थी. इस दौरान गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की मौके पर मौत हो गई थी. रोहिणी कोर्ट के कोर्ट नंबर 207 में एडिशनल सेशंस जज गगनदीप सिंह की कोर्ट में ये घटना घटी थी. वकील की वर्दी में आये दो लोगों ने गैंगस्टर जितेंद्र गोगी पर गोली चलाई थी.
जवाबी कार्रवाई में पुलिस की फायरिंग में दोनों हमलवार भी मारे गए थे. 24 सितंबर, 2021 की घटना के बाद 9 दिसंबर को रोहिणी कोर्ट में कम तीव्रता वाला धमाका हुआ था. इन घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया था कि वे दिल्ली हाईकोर्ट और निचली अदालतों का सुरक्षा आडिट करें. कोर्ट ने निर्देश दिया था कि अदालतों की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों की टीम गठित की जाए.
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