नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र 23 मार्च से शुरू होने जा रहा है. लेकिन बजट सत्र में प्रश्नकाल का प्रावधान नहीं होने से नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने इस पर कड़ा एतराज जताया है. उन्होंने बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल को एक पत्र भी लिख कर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.
विधानसभा अध्यक्ष को लिखा पत्र
विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल को लिखे पत्र में रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा है कि विधानसभा के आगामी 23 मार्च से शुरू हो रहे 5 दिन के बजट सत्र में प्रश्नकाल का प्रावधान नहीं रखा जाना, इस बात का सबूत है कि सरकार विधायकों से सवाल पूछने के लिए उनके अधिकार छीन कर लोकतंत्र की गला घोंटने का काम कर रही है.
'विधायक नहीं पूछेंगे सवाल तो समस्या कैसे होगी कम'
उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से जानना चाहा है कि यदि विधायक सदन में सवाल ही नहीं पूछेंगे तो जन समस्याओं का समाधान कैसे होगा? उन्होंने कहा कि आखिर यही तो लोकतंत्र का तकाजा है कि जनप्रतिनिधि जनता की समस्याओं को मुस्तैदी से सदन में उठाए और सरकार उन समस्याओं का समाधान करें.
पुरानी परंपरा का पत्र में जिक्र
दिल्ली विधानसभा की परंपराओं की चर्चा करते हुए बताया कि दिल्ली में विधानसभा के गठन के बाद पहला बजट सत्र वर्ष 1994 में 7 मार्च से 11 अप्रैल तक आयोजित किया गया था. उस समय दिल्ली में बीजेपी की सरकार थी. इस सत्र में विधानसभा की कुल 21 बैठकें हुई. इनमें से 18 बैठकों में प्रश्नकाल हुआ. यहां तक कि जिस दिन बजट पेश किया गया उस दिन भी प्रश्नकाल हुआ. सिर्फ 3 दिन सवाल नहीं पूछे गए. 7 मार्च को उपराज्यपाल के अभिभाषण के दिन और 2 दिन सदन के विस्तारित बैठकों के दिन.
विपक्ष ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री एक तरफ तो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग कर ज्यादा अधिकारों की बात करते हैं. तो दूसरी तरफ विधायकों से उनके सवाल पूछने के उनके अधिकार तक से वंचित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी के सभी विधायक सदन में केजरीवाल सरकार के रवैये का जमकर विरोध करेंगे.