नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र शुक्रवार को समाप्त हो गया. यह सत्र दो दिन के लिए बुलाया गया था, लेकिन इसे एक दिन के लिए और बढ़ा दिया गया था. हो-हंगामे के बीच तीन दिन तक चले सत्र के बाद शुक्रवार शाम को विधानसभा की डिप्टी स्पीकर राखी बिडलान ने इसे अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दिया. दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के तौर-तरीके पर शुरू से ही विपक्ष सवाल उठा रहा था.
सत्र समाप्त होने के बाद बीजेपी के विधायकों का कहना है कि उन्हें सदन में एक बार फिर नहीं बोलने दिया गया. उनका कहना है कि सीएजी रिपोर्ट में द्वारका एक्सप्रेस वे की एक सड़क को लेकर हुई चर्चा में सदन में मौजूद होने के बावजूद उनको बोलने की अनुमति नहीं दी गई.
विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है और सरकार पर हमेशा की तरह मनमाने तरीके से सदन को चलाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सीएजी रिपोर्ट को लेकर जो भ्रम फैल रहा है, उसके बारे में केंद्र सरकार सीएजी को भी लिख रही है और सरकार स्वयं भी वक्तव्य देगी लेकिन दिल्ली विधानसभा में विपक्ष को इस विषय पर चर्चा में हिस्सा लेने से रोककर इस सच्चाई को सामने लाने से रोका गया.
द्वारका एक्सप्रेस वे को लेकर विपक्ष की दलील
नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि जिस सीएजी रिपोर्ट को लेकर सदन में चर्चा की गई है, उसके बारे में बीजेपी सदस्य सारी गलतफहमी दूर करना चाहते थे. दरअसल, सीएजी की जिस रिपोर्ट में एक किलोमीटर सड़क पर 250 करोड़ के खर्चे की बात कही गई है, वह एक किलोमीटर की सड़क नहीं बल्कि 5 हजार किमी का लंबा प्रोजेक्ट है, जिस पर 91 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं.
जिस सड़क पर रिपोर्ट दी गई है, वह भी लगभग 17 किमी लंबा एलिवेटिड रोड है. भारत में पहली बार सिंगल पिलर पर 8 लेन का एलिवेटिड रोड बनाया जा रहा है. इस सड़क का कार्य 5269 करोड़ रुपए में अवॉर्ड किया गया था जोकि अनुमानित लागत से 12 फीसदी कम है. प्रोजेक्ट में पहली बार फोर लेवल इंटरचेंज बनाए जा रहे हैं. इसमें 3.6 किमी की एक टनल भी शामिल है और एयरपोर्ट के लिए अलग से 2.4 किमी लंबी टनल बनाई जा रही है. एलिवेटिड रोड की सर्विस रोड भी एलिवेटिड ही है और इसके अलावा 6 लेन की एक अतिरिक्त सर्विस रोड भी है.
दिल्ली सर्विस कानून पर बीजेपी विधायक ओपी शर्मा और विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि संविधान निर्माता बाबा भीमराव अम्बेडकर ने दिल्ली को कभी पूर्ण राज्य न देने की बात कही थी और कहा था कि राजधानी में दो सरकारें नहीं होनी चाहिए. उन्होंने दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश बनाए रखने पर जोर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने जब दिल्ली की आप सरकार को सर्विसेज विभाग देने का फैसला सुनाया, उसके बाद केजरीवाल सरकार अपने भ्रष्टाचार के मामलों पर लीपापोती करने में जुट गई.
सर्विसेज विभाग के सचिव को बदलना, विशेष सचिव से उनके सारे कार्य ले लेना, सीनियर अफसरों को बुलाकर मंत्री द्वारा अपमानित करना, शराब घोटाले से लेकर सीएम के शीशमहल घोटाले की फाइल को चोरी करना ऐसी घटनाएं थीं, जिनसे दिल्ली सरकार की खोटी नीयत का खुलासा हो गया था. ऐसे में केंद्र सरकार को पहले अध्यादेश लाकर और फिर कानून बनाकर दिल्ली को भ्रष्टाचार से बचाने का प्रयास करना पड़ा.
दिल्ली से जुड़े अहम मुद्दे पर चर्चा क्यों नहीं चाहती बीजेपी
दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान शुक्रवार को सदन में जीएनसीटीडी बिल को लेकर चर्चा हुई. इस पर चर्चा जरूरी थी. जिस बीजेपी के लोग और उनके बड़े-बड़े नेताओं ने इस सदन की शक्ति को बढ़ाने की बात की, जो बीजेपी साल दर साल ये संघर्ष करती रही कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले. जो हर लोकसभा चुनाव में वादा करती थी कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलवाएंगे.
उन्होंने कहा कि बीजेपी के बड़े-बड़े दिग्गज नेता अटल विहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, मदन लाल खुराना आदि सभी ने बार-बार हर मंच पर यही बात दोहराई कि हम दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाएंगे. विधानसभा में उसी बीजेपी के विधायक इस मुद्दे से भागते हैं. जिन्हें दिल्ली वालों की चिंता नहीं है वह और क्या मुद्दा लेकर आएंगे.