नई दिल्लीः दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति ने दिल्ली जल बोर्ड में कई माह से रूके कार्यों को लेकर बोर्ड और वित्त विभाग के अधिकारियों को बुलाया. इसमें यह बात सामने आई कि वित्त विभाग के प्रमुख सचिव एएस वर्मा की वजह से दिल्ली जल बोर्ड के जनहितकारी कामों में अड़ंगा लगा है. याचिका समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी (Chairman of petition committee Akhilesh Pati Tripathi) ने कहा कि अधिकारियों की संवेदनहीनता इतनी हो गई है कि दिल्ली में छह-छह से महीने काम नहीं हो रहे हैं.
याचिका समिति के सदस्य सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि यह सारे काम वित्त विभाग की आपत्तियों की वजह से रूके थे. फंड देने में इस तरह की आपत्तियां पहली बार लगाई गईं थी. दिल्ली जल बोर्ड का जो बजट विधानसभा की ओर से दिया गया है, उस राशि को कभी रोका नहीं जाता है. लेकिन वित्त विभाग ने इस बार उस पैसे को रोका है.
वित्त विभाग के प्रधान सचिव एएस वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां लगाईं. यही कारण है कि जल बोर्ड को जो पैसा खर्च करना था, उसमें से करीब दो तिहाई ही खर्च हो पाएगा. दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति के सामने दिल्ली जल बोर्ड में छह माह से रूके कार्यों को लेकर याचिका लगाई गई थी. याचिका समिति ने दिल्ली विधानसभा में दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग के अधिकारियों को बुलाया. याचिका समिति के अध्यक्ष अखिलेश पति त्रिपाठी और अन्य सदस्यों की मौजूदगी में याचिका समिति ने पूरे मामले को सुना. इस पर टिप्पणी करते हुए अखिलेश पति त्रिपाठी ने कहा कि अधिकारियों की संवेदनहीनता इतनी हो गई है कि दिल्ली में छह-छह महीने काम नहीं हो रहे हैं. अधिकारियों का ये रवैया सही नहीं है.
याचिका समिति के सदस्य सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी और वित्त विभाग के प्रमुख सचिव को दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति के समक्ष बुलाया. जल बोर्ड के अधिकारियों से पूछा गया कि दिल्ली में छह महीने तक पानी और सीवर के बहुत जरूरी कामों में रूकावट क्यों रही? ठेकेदारों ने काम करना बंद कर दिया. जहां-जहां सीवर-पानी के लाइनों के लिए सड़कें खोदी गई थीं, वहां पर सड़कों का पुनर्निमाण किए बिना ही ठेकेदारों ने काम बंद कर दिया. गर्मियों के समर एक्शन प्लान के लिए जहां-जहां ट्यूबवैल लगाने के टेंडर किए गए थे, वह सभी रूके हैं.
दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि यह सारे काम वित्त विभाग की आपत्तियों की वजह से रूके हुए थे. इस तरह की आपत्तियां पहली बार लगाई गई थीं. हर साल नजरअंदाज कर पैसा दिया जाता है. दिल्ली जल बोर्ड का जो बजट विधानसभा की ओर से दिया गया है, उस राशि को कभी रोका नहीं जाता है, लेकिन वित्त विभाग ने इस बार उस पैसे को रोका. यही कारण है कि जल बोर्ड को जो पैसा खर्च करना था, उस पैसे में से लगभग दो तिहाई ही खर्च हो पाया. इसका बड़ा कारण यह है कि वित्त विभाग के प्रधान सचिव एएस वर्मा ने जल बोर्ड को फंड देने पर कई आपत्तियां लगाई हैं. इसके अलावा दिल्ली जल बोर्ड के बार-बार आग्रह पर भी उस पैसे को कई महीनों तक रोका गया.