नई दिल्ली: दिल्ली की सड़कों पर फुटपाथ और फ्लाईओवर के नीचे बढ़ रही बेघरों की संख्या जी-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों के बीच एक बड़ी समस्या बन गई है. मुनिरका, निजामुद्दीन, मालवीय नगर, लाजपत नगर, नेहरू नगर जैसे फ्लाईओवर और रिंग रोड, आउटर रिंग रोड, मथुरा रोड समेत कई प्रमुख मार्गों पर फुटपाथ पर बेघर और भिखारियों ने अपना ठिकाना बना रखा है. इनको हटाने की कवायद शुरू कर दी गई है.
दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के सीईओ के. महेश ने बताया कि फ्लाइओवर के नीचे रहने वाले इन बेघर लोगों को सर्दी कार्ययोजना प्लान के तहत रैन बसेरे में स्थानांतरित करने का काम कर रहे हैं. इनके कौशल विकास पर भी काम कर रहे हैं. चार गैर सरकारी संस्था इन्हें कौशल प्रशिक्षण देंगी. हमारे वालंटियर्स रात में कुछ चिह्नित जगहों पर जाकर उन्हें स्वयं रैन बसेरे में शिफ्ट करने का काम कर रहे हैं. दिल्ली के विकास के लिए इनका विकास भी जरूरी है. इन्हें भी गरिमा और सम्मान के साथ जीने का अधिकार है.
LG की बैठक में बनी थी सहमतिः 13 दिसबंर को जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली की साफ सफाई, अतिक्रमण और सुंदरीकरण को लेकर उच्च स्तरीय बैठक की थी. इसमें विभिन्न फ्लाइओवरों सहित शहर और अधिक सुशोभित बनाने पर चर्चा की गई थी.
प्रत्येक वर्ष दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) द्वारा बेघर लोगों के लिए शीतकालीन कार्ययोजना लागू की जाती है. इसके तहत इन्हें रहने के लिए रैन बसेरे और खाने-पीने की व्यवस्था की जाती है. इस बार भी योजना लागू करने के बावजूद लोग फ्लाईओवर के नीचे रह रहे हैं. आउटर रिंग रोड पर पर आईआइटी-दिल्ली फ्लाईओवर के नीचे फुटपाथ पर लगाई गई लोहे की ग्रिल तोड़कर ये लोग यहां अंदर की ओर रह रहे हैं.
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एक व्यक्ति से इस बारे में पूछने पर बताया कि हम कभी-कभी सरकारी आश्रय में जाते हैं लेकिन ज्यादातर यहीं रहते हैं, क्योंकि यहां हमें फूल और गुब्बारे बेचने होते हैं. वहीं लाजपत नगर रिंग रोड पर निर्माण कार्य चलने के बावजूद बेघरों और भिखारियों ने कब्जा जमा रखा है. मुनिरका फ्लाईओवर का भी यही हाल है. यहां भी अवैध रूप से रहने वाले लोगों को फ्लाईओवर के नीचे खाना पकाने, रहने और सोने की आजादी मिली हुई है. डूसिब के सीईओ ने बताया कि इन फ्लाइओवरों के पास से बेघर लोगों को रैन बसेरों में स्थानांतरित करने के लिए एक कार्य योजना तैयार किया है. इसमें चार गैर सरकारी संस्था की मदद ली जा रही है.
कौशल प्रशिक्षण के जरिए हटाए जाएंगे बेघरः सामाजिक कल्याण विभाग और मानव विकास संस्थान द्वारा पिछले साल फरवरी के आकड़ों के अनुसार, राजधानी क्षेत्र में कुल 20,719 भिखारी हैं. इनके लिए राज्य सरकार ने कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से भिखारियों के लिए आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट लाइवलीहुड सपोर्ट भी लांच किया है. इसके जरिए बेघरों को कुशल मजदूर बनाकर उन्हें आजीविका के लिए तैयार किया जाए, जिससे वह अपने जीवन यापन की व्यवस्था स्वयं कर सके.