नई दिल्ली: शैक्षणिक सत्र 2019-20 को लेकर विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में होने वाले एंड सेमेस्टर एग्जाम को लेकर यूजीसी ने नई गाइडलाइंस जारी की है. जिसमें सभी विश्वविद्यालयों को छूट दी गई है कि वह अपनी सहूलियत के अनुसार ऑनलाइन, ऑफलाइन या फिर दोनों मोड से छात्रों की परीक्षाएं आयोजित कर सकते हैं. जहां कई विश्वविद्यालय प्रशासन इसका स्वागत कर रहे हैं वहीं एनएसयूआई ने इस पर कड़ा विरोध जताया है. एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव अविनाश यादव ने कहा कि यूजीसी ने इस महामारी के समय भी छात्रों के शारीरिक और मानसिक हित को दरकिनार कर सिर्फ परीक्षा कराने के अपने फैसले को सर्वोपरि रखा है, जोकि पूरी तरह से निंदनीय है.
कार्यकर्ताओं ने जलाई आर्डर कॉपी
यूजीसी द्वारा जारी गाइडलाइंस के विरोध में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने एनएसयूआई कार्यालय में ऑर्डर की कॉपी जलाकर अपनी नाराजगी जाहिर की. इस मौके पर एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव अविनाश यादव ने कहा कि कोविड-19 महामारी के इस दौर में अगर यूजीसी थोड़ा बहुत कुछ कर सकता था तो वह छात्रों का साथ देना था. लेकिन यूजीसी से यह भी करते नहीं बना. वहीं एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव लोकेश चुग ने कहा कि इस महामारी के दौरान कई छात्र आर्थिक और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं. लेकिन इन सभी को दरकिनार करते हुए यूजीसी ने अपने परीक्षा कराने के निर्णय को जारी रखा है.
छात्रों के हित में नहीं फैसला
वहीं लोकेश चुग ने तात्कालिक परिस्थितियों का हवाला देते हुए कहा कि जिस तरह के हालात अभी हैं, ऐसे में छात्रों की जॉब अपॉर्चुनिटी को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है. साथ ही छात्र अपनी उच्च शिक्षा ले पाएंगे या नहीं इसको लेकर भी अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में छात्रों के हित को देखकर काम करने की बजाय यूजीसी ने सिर्फ अपने निर्णय को उनपर थोपा है.
गाइडलाइंस का विरोध जारी रहेगा
वहीं लोकेश का कहना है कि इस तरह के तानाशाही निर्णय को कतई मान्य नहीं किया जाएगा. साथ ही हर स्तर पर सभी छात्रों और शिक्षकों को यूजीसी की इस नई गाइडलाइंस के विरोध में खड़ा होने की जरूरत है.