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अब शिफ्ट में ड्यूटी करेगी दिल्ली पुलिस, एक थाने में होंगे 7 इंस्पेक्टर!

दिल्ली पुलिस कमिश्नर पुलिस कर्मियों की ड्यूटी के लिए अब शिफ्ट की व्यवस्था करने जा रहे हैं. जिसके तहत पुलिसकर्मियों को तीन शिफ्टों में बांटा जाएगा. माना जा रहा है कि अगर ऐसा हुआ तो इससे पुलिसकर्मियों की मानसिक स्थिति में सुधार आएगा और लोगों की समस्याओं का समाधान वह बेहतर ढंग से कर सकेंगे.

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अब शिफ्ट में ड्यूटी करेगी दिल्ली पुलिस
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Published : Aug 10, 2021, 12:52 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस में अब बड़ा बदलाव होने जा रहा है. पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना थानों में पुलिसकर्मियों की शिफ्ट में ड्यूटी को लेकर प्लान बना रहे हैं. कुछ लोगों का मानना है कि उन्हें तीन शिफ्ट में बांटना बेहद मुश्किल होगा तो कुछ इसे महत्वपूर्ण कदम बता रहे हैं. इसके लिए मुम्बई पुलिस के शिफ्ट प्लान का भी अध्ययन किया जा रहा है. यह माना जा रहा है कि अगर ऐसा हुआ तो इससे पुलिसकर्मियों की मानसिक स्थिति में सुधार आएगा और लोगों की समस्याओं का समाधान वह बेहतर ढंग से कर सकेंगे.


जानकारी के अनुसार दिल्ली में लगभग 180 थाने हैं. इनमें 30 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों की तैनाती है. आजादी से लेकर अभी तक इनकी कोई शिफ्ट नहीं हैं. कई बार 24 से 48 घंटे तक उन्हें लगातार काम करना पड़ता है. साप्ताहिक अवकाश की कोई व्यवस्था नहीं है. काम का दबाव अधिक होने के चलते छुट्टी मिलना भी मुश्किल होता है. पुलिसकर्मी कोई भी त्योहार अपने परिवार के साथ नहीं मनाते. इसकी वजह से वह बेहद दबाव में रहते हैं. कई बार इस दबाव के चलते कई पुलिसकर्मी खुदकुशी भी कर लेते हैं. इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना थानों को तीन शिफ्ट में बांटना चाहते हैं. इससे पुलिसकर्मियों के साथ जनता को भी लाभ होगा.

अब शिफ्ट में ड्यूटी करेगी दिल्ली पुलिस
पूर्व एसीपी वेदभूषण ने इसे पुलिस कमिश्नर की महत्वपूर्ण पहल बताया है. इसे करना उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होगा. वेदभूषण ने बताया कि मुम्बई में थाने 12-12 घंटे की दो शिफ्ट में चलते हैं. वहां प्रत्येक थाने में पांच इंस्पेक्टर होते हैं. इनमें एक सीनियर इंस्पेक्टर होता है, जिसके पास पूरे थाने की जिम्मेदारी होती है. इसके अलावा चार अन्य इंस्पेक्टर होते हैं, जो दो-दो की शिफ्ट में काम करते हैं. इनमें से एक इंस्पेक्टर कानून व्यवस्था जबकि दूसरा जांच का जिम्मा संभालता है. इसी तरह अन्य पुलिसकर्मियों को भी दो शिफ्ट में आधा-आधा बांट दिया जाता है. इनमें से तेज तर्रार पुलिसकर्मियों को जांच का जिम्मा दिया जाता है जबकि अन्य कानून व्यवस्था संभालते हैं. पूर्व एसीपी वेदभूषण ने बताया कि दिल्ली पुलिस को अगर तीन शिफ्ट में बांटा जाता है तो प्रत्येक थाने में सात इंस्पेक्टर रखने होंगे. पुलिस कमिश्नर ने कानून व्यवस्था और जांच को अलग करने की भी बात कही है. ऐसे में एक SHO के पास पूरे थाने की कमान होगी. वहीं तीन अलग-अलग शिफ्ट में दो-दो इंस्पेक्टर को तैनात करना होगा. इनमें से एक इंस्पेक्टर कानून व्यवस्था और दूसरा जांच का जिम्मा संभालेगा. इसी तरह अन्य स्टॉफ को भी तीन शिफ्ट में बांटना होगा. प्रत्येक शिफ्ट में दो टीम होगी जिनमें से एक टीम कानून व्यवस्था संभालेगी और दूसरी जांच करेगी. आठ घंटे की शिफ्ट खत्म होने पर अगली टीम थाने को संभालेगी. पूर्व एसीपी वेदभूषण ने बताया कि हाल ही में मुख्य न्यायाधीश में थानों में मानवाधिकार हनन की बात कही है. इस कदम से ऐसे मामलों में भी कमी आएगी. आठ घंटे की शिफ्ट में काम करने वाले पुलिसकर्मी मानसिक दबाव से मुक्त रहेंगे. वह अपने परिवार के साथ भी समय बिता सकेंगे, जिससे वह खुद को फ्रेश महसूस करेंगे. इससे उनके काम में भी निश्चित तौर पर सुधार आएगा. ऐसे पुलिसकर्मी पूरी ऊर्जा के साथ काम करेंगे. इसका फायदा जनता को भी मिलेगा. शांति से पुलिसकर्मी उनकी बात सुनेंगे और उनकी मदद करेंगे. इस फैसले का लाभ लगभग 84 फीसदी फोर्स को होगा.

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस में अब बड़ा बदलाव होने जा रहा है. पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना थानों में पुलिसकर्मियों की शिफ्ट में ड्यूटी को लेकर प्लान बना रहे हैं. कुछ लोगों का मानना है कि उन्हें तीन शिफ्ट में बांटना बेहद मुश्किल होगा तो कुछ इसे महत्वपूर्ण कदम बता रहे हैं. इसके लिए मुम्बई पुलिस के शिफ्ट प्लान का भी अध्ययन किया जा रहा है. यह माना जा रहा है कि अगर ऐसा हुआ तो इससे पुलिसकर्मियों की मानसिक स्थिति में सुधार आएगा और लोगों की समस्याओं का समाधान वह बेहतर ढंग से कर सकेंगे.


जानकारी के अनुसार दिल्ली में लगभग 180 थाने हैं. इनमें 30 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों की तैनाती है. आजादी से लेकर अभी तक इनकी कोई शिफ्ट नहीं हैं. कई बार 24 से 48 घंटे तक उन्हें लगातार काम करना पड़ता है. साप्ताहिक अवकाश की कोई व्यवस्था नहीं है. काम का दबाव अधिक होने के चलते छुट्टी मिलना भी मुश्किल होता है. पुलिसकर्मी कोई भी त्योहार अपने परिवार के साथ नहीं मनाते. इसकी वजह से वह बेहद दबाव में रहते हैं. कई बार इस दबाव के चलते कई पुलिसकर्मी खुदकुशी भी कर लेते हैं. इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना थानों को तीन शिफ्ट में बांटना चाहते हैं. इससे पुलिसकर्मियों के साथ जनता को भी लाभ होगा.

अब शिफ्ट में ड्यूटी करेगी दिल्ली पुलिस
पूर्व एसीपी वेदभूषण ने इसे पुलिस कमिश्नर की महत्वपूर्ण पहल बताया है. इसे करना उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होगा. वेदभूषण ने बताया कि मुम्बई में थाने 12-12 घंटे की दो शिफ्ट में चलते हैं. वहां प्रत्येक थाने में पांच इंस्पेक्टर होते हैं. इनमें एक सीनियर इंस्पेक्टर होता है, जिसके पास पूरे थाने की जिम्मेदारी होती है. इसके अलावा चार अन्य इंस्पेक्टर होते हैं, जो दो-दो की शिफ्ट में काम करते हैं. इनमें से एक इंस्पेक्टर कानून व्यवस्था जबकि दूसरा जांच का जिम्मा संभालता है. इसी तरह अन्य पुलिसकर्मियों को भी दो शिफ्ट में आधा-आधा बांट दिया जाता है. इनमें से तेज तर्रार पुलिसकर्मियों को जांच का जिम्मा दिया जाता है जबकि अन्य कानून व्यवस्था संभालते हैं. पूर्व एसीपी वेदभूषण ने बताया कि दिल्ली पुलिस को अगर तीन शिफ्ट में बांटा जाता है तो प्रत्येक थाने में सात इंस्पेक्टर रखने होंगे. पुलिस कमिश्नर ने कानून व्यवस्था और जांच को अलग करने की भी बात कही है. ऐसे में एक SHO के पास पूरे थाने की कमान होगी. वहीं तीन अलग-अलग शिफ्ट में दो-दो इंस्पेक्टर को तैनात करना होगा. इनमें से एक इंस्पेक्टर कानून व्यवस्था और दूसरा जांच का जिम्मा संभालेगा. इसी तरह अन्य स्टॉफ को भी तीन शिफ्ट में बांटना होगा. प्रत्येक शिफ्ट में दो टीम होगी जिनमें से एक टीम कानून व्यवस्था संभालेगी और दूसरी जांच करेगी. आठ घंटे की शिफ्ट खत्म होने पर अगली टीम थाने को संभालेगी. पूर्व एसीपी वेदभूषण ने बताया कि हाल ही में मुख्य न्यायाधीश में थानों में मानवाधिकार हनन की बात कही है. इस कदम से ऐसे मामलों में भी कमी आएगी. आठ घंटे की शिफ्ट में काम करने वाले पुलिसकर्मी मानसिक दबाव से मुक्त रहेंगे. वह अपने परिवार के साथ भी समय बिता सकेंगे, जिससे वह खुद को फ्रेश महसूस करेंगे. इससे उनके काम में भी निश्चित तौर पर सुधार आएगा. ऐसे पुलिसकर्मी पूरी ऊर्जा के साथ काम करेंगे. इसका फायदा जनता को भी मिलेगा. शांति से पुलिसकर्मी उनकी बात सुनेंगे और उनकी मदद करेंगे. इस फैसले का लाभ लगभग 84 फीसदी फोर्स को होगा.
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