नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के अस्पतालों में इलाज करने के लिए आने मरीजों को वापस नहीं किया जा सकेगा. यदि किसी मरीज को दूसरे अस्पताल में रेफर किया जाता है तो उसकी पूरी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी. इसके अलावा अस्पताल के प्रमुख को समय-समय पर रात में भी अस्पताल का निरीक्षण करना होगा और व्यवस्था पर नजर रखनी होगी.
दरअसल बीते दिनों छेड़छाड़ के एक आरोपी को उत्तर पूर्वी दिल्ली जिला पुलिस गंभीर हालत में जग प्रवेश अस्पताल ले गई थी. जहां से उसे जीटीबी, लोकनायक और डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया. सभी अस्पताल मरीज को एक दूसरे अस्पताल भेजते रहे और पुलिस पूरी रात घायल मरीज को लेकर घूमती रही, आखिरकार इलाज के अभाव में मरीज ने दम तोड़ दिया.
ये भी पढ़ें: जीटीबी अस्पताल में महिलाओं और बच्चों के लिए नया आपातकालीन वार्ड शुरू, 1069 बेड पर सीधे ऑक्सीजन
मरीज की मौत के बाद दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल उठे. आनन-फानन में मामले की जांच शुरू की गई. जीटीबी अस्पताल में तैनात ऑन ड्यूटी डॉक्टर की सेवा को समाप्त कर दिया गया. इसके अलावा अस्पताल के प्रमुख को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया.
इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति रोकने को लेकर दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव स्तर की बैठक हुई. बैठक में दिल्ली सरकार के सभी चिकित्सा अधीक्षक और उप चिकित्सा अधीक्षक को बुलाया गया. बैठक में अस्पताल में मौजूद स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर चर्चा की गई. जिसके बाद फैसला लिया गया कि मरीज को रेफर करने से पहले अस्पताल को बताना होगा कि मरीज गंभीर श्रेणी में है या गैर गंभीर श्रेणी में. साथ ही इस बारे में पर्ची पर भी लिखनी होगी. रेफर किए गए मरीजों की जानकारी अस्पताल को प्रत्येक सप्ताह स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी.
इसके अलावा यह भी संज्ञान में आया है कि रात के समय में सीनियर डॉक्टर और सीनियर स्टाफ अस्पताल में मौजूद नहीं रहते. इसको देखते हुए अस्पताल के प्रमुख को समय-समय पर रात में भी अस्पताल का निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया है.
ये भी पढ़ें: जीटीबी की निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी, समय पर इलाज नहीं मिलने से मरीज की गई थी जान
ये भी पढ़ें: लोकनायक अस्पताल में ACB ने की अधिकारियों से पूछताछ, छह अस्पतालों में सामान आपूर्ति का है मामला