नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के खिलाफ दो मामलों में राउज एवेन्यू कोर्ट ने गैर-जमानती वारंट जारी किया है. कोर्ट की तरफ से यह वारंट अखिलेश पति त्रिपाठी के कोर्ट में नहीं पेश होने पर जारी किया गया. अखिलेश पर 2013 में दंगा फैलाने का आरोप है. सुनवाई के दौरान इसी मामले के और दो अभियुक्तों राहुल कुमार और संजीव कोर्ट में पेश नहीं हुए. तब कोर्ट ने तीनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया. कोर्ट ने अखिलेश पति त्रिपाठी समेत तीनों अभियुक्तों को 1 नवंबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया.
'अखिलेश पति त्रिपाठी 8 नवंबर को पेश हों'
दूसरे मामले में एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल की कोर्ट में भी अखिलेश पति त्रिपाठी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है. फर्जीवाड़े की इस शिकायत में सुनवाई के दौरान अखिलेश पति त्रिपाठी न तो कोर्ट में पेश हुए और न ही उनके वकील ने पेशी से छूट की मांग की. उसके बाद एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने अखिलेश पति त्रिपाठी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया. कोर्ट ने अखिलेश पति त्रिपाठी को 8 नवंबर को पेश होने का निर्देश दिया.
अखिलेश के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी
फर्जीवाड़े की एक शिकायत पर सुनवाई करते हुए दिल्ली की आम आदमी पार्टी के विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के खिलाफ पहले गैर जमानती वारंट जारी किया और बाद में उसे निरस्त करने का आदेश दिया. दरअसल सुबह जब कोर्ट की कार्यवाही शुरु हुई तो शिकायतकर्ता पक्ष उपस्थित था लेकिन अखिलेश पति त्रिपाठी की तरफ से कोई उपस्थित नहीं हुआ. उसके बाद एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने अखिलेश पति त्रिपाठी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया और 15 अक्टूबर को पेश होने का आदेश दिया.
मेडिक्लेम में दो लाख रुपये के फर्जीवाड़े का आरोप
फर्जीवाड़े की शिकायत विवेक गर्ग ने दायर किया है. याचिका में विधायक पर अपनी मां को अपना आश्रित बताते हुए करीब दो लाख रुपये का मेडिक्लेम में फर्जीवाड़ा किया. जबकि 2015 के चुनावी हलफनामे में अखिलेश पति त्रिपाठी ने अपने माता-पिता को अपना आश्रित नहीं बताया था.
कोर्ट ने जब दिल्ली पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांगा था तो पुलिस ने कहा था कि विधायक ने विधानसभा सचिवालय को मेडिक्लेम की ये रकम लौटा दी थी. इस मामले में मॉडल टाउन के असिस्टेंट इलेक्शन रीजनल अफसर सतबीर सिंह और दिल्ली विधनसभा के पे एंड अकाउंट्स डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने अपना बयान दर्ज कराया था.