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MCD Election: तीनों बड़ी पार्टियों के घोषणा पत्र में नहीं है MCD को आर्थिक संकट से उबारने का प्लान

दिल्ली नगर निगम चुनाव (Delhi Municipal Corporation Election) के लिए AAP, कांग्रेस के बाद बीजेपी ने भी घोषणा पत्र जारी कर दिया है. निगम अभी करीब 7-8 हजार करोड़ के घाटे में चल रहा है, लेकिन तीनों पार्टियों के घोषणा पत्र में निगम को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने का कोई प्लान नहीं है.

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Published : Nov 26, 2022, 9:18 PM IST

Updated : Nov 26, 2022, 11:00 PM IST

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नई दिल्लीः दिल्ली देश की राजधानी है. इस लिहाज से इसे साफ सुथरा बनाने की जिम्मेदारी यहां की स्थानीय निकायों की है. दिल्ली के क्षेत्रफल का 96 फीसद हिस्सा नगर निगम के अधीन आता है और इसकी साफ-सफाई, व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी निगम के पास है. इसलिए विधानसभा चुनाव से कहीं बढ़कर यहां होने वाला नगर निगम चुनाव सुर्खियों में रहता है. बीते 15 सालों तक निगम की सत्ता में बीजेपी थी.

वर्तमान में निगम घाटे में है. तो इसे आर्थिक रूप से किस तरह समृद्ध बनाया जाएगा ताकि लोग और उम्मीद कर सकें कि उन्हें बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी. तीनों ही बड़ी पार्टियों के घोषणा पत्र में इसका जिक्र नहीं है. हालांकि चुनाव के ऐलान के बाद चुनाव आयोग, चुनाव कराने में व्यस्त है तो मैदान में उतरे प्रत्याशी अपनी सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए जोर-शोर से चुनाव प्रचार कर रहे हैं.

एमसीडी चुनाव (Delhi Municipal Corporation Election) के मद्देनजर तीनों बड़े राजनीतिक दल आप, कांग्रेस और बीजेपी ने घोषणा पत्र जारी कर दिया है. जहां आप ने इस बार दिल्ली की जनता को 10 गारंटी दी है. वहीं कांग्रेस ने शीला वाली चमकती हुई दिल्ली लोगों को अपने घोषणा पत्र में लाने का वादा किया है. जबकि बीजेपी ने संकल्प पत्र जारी कर दिल्ली के लोगों को 12 वादे किए हैं. सभी दलों ने लोक लुभावने वादे भी कर दिए हैं. यह वादे कैसे पूरे होंगे, पैसा कहां से आएगा, इसका कोई जिक्र नहीं है.

दरअसल, वर्तमान समय में परिसीमन के बाद एकीकृत हो चुकी एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) की आर्थिक बदहाली की स्थिति दूर होने का नाम नहीं ले रही है. अगर नगर निगम की पिछले वित्तीय बजट की मानें तो वर्तमान समय में दिल्ली की एकीकृत हो चुकी एमसीडी हजारों करोड़ रुपए के फिस्कल डेफिसिट यानी कि वित्तीय घाटे में है, जो कि लगभग 7 से 8 हजार करोड़ के आसपास का है.

जब तीनों नगर निगम का एकीकरण दिल्ली हुआ तो उस समय सिर्फ साउथ एमसीडी ही 106 करोड़ रुपये के वित्तीय घाटे में थी. जबकि नॉर्थ एमसीडी लगभग 5500 करोड़ और ईस्ट एमसीडी 3500 करोड़ के वित्तीय घाटे में थी. एकीकरण के बाद से लगातार निगम को इस वित्तीय बदहाली के दौर से निकालने का ना सिर्फ प्रयास किया जा रहा बल्कि एक के बाद एक लगातार नई योजनाओं को क्रियान्वयन करके निगम के राजस्व को बढ़ाने का प्रयास भी किया जा रहा है.

दिल्ली नगर निगम के पूर्व जनसंपर्क निदेशक दीप माथुर बताते हैं कि केंद्र सरकार के द्वारा विशेष अधिकारी की भी नियुक्ति किए जाने के साथ कमिश्नर के रूप में ज्ञानेश भारती को लेकर जिम्मेदारी दी गई थी. वित्तीय बदहाली को दूर करने के मद्देनजर एकीकृत हो चुकी एमसीडी खर्चों पर ना सिर्फ लगाम लगाई गई. बल्कि विभिन्न प्रोजेक्ट को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर शुरू कर एमसीडी का राजस्व बढ़ाने का भी प्रयास किया गया है. निगम के राजस्व का सबसे बड़ा स्त्रोत संपत्ति कर है. इसके बाद दिल्ली में एमसीडी को पार्किंग अलग-अलग प्रकार के लाइसेंस, कन्वर्जन चार्ज के माध्यम से आमदनी प्राप्त होती है.

एमसीडी के द्वारा विशेष अधिकारी के नेतृत्व में लगातार राजस्व बढ़ाने के मद्देनजर संपत्ति कर और अन्य सभी क्षेत्रों में बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह है दिल्ली एमसीडी के चुनाव में आप बीजेपी और कांग्रेस के द्वारा जीत का दावा तो किया जा रहा है, अलग-अलग लोक लुभावने वादे भी किए जा रहे हैं. लेकिन जिस वित्तीय बदहाली के दौर से एमसीडी गुजर रही है और हजारों करोड़ के घाटे में हैं, उस घाटे को किस तरह से खत्म किया जाएगा और कैसे निगम की वित्तीय बदहाली से निकाला जाएगा, उसको लेकर किसी प्रकार का ना तो कोई जिक्र किया गया है ना कोई बात रखी गई है, ना ही यह बताया गया है कि निगम की आमदनी को किस प्रकार से बढ़ाया जाएगा.

दिल्ली में एमसीडी की वित्तीय हालातों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि निगम में कार्यरत लगभग एक लाख से ज्यादा पक्के कर्मचारियों का लगभग 2 महीने का वेतन बकाया है. वहीं कोई कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को लगभग तीन महीने से वेतन नहीं मिला है. इस सबके अलावा डेली वेजेज पर काम करने वाले कर्मचारियों का तो वेतन पिछले कई महीनों से पेंडिंग है ही. साथ ही एमसीडी का काम करने वाले ठेकेदारों को भी 2017-18 से उनका बकाया निगम के द्वारा नहीं दिया गया है. बीते 2 साल में एमसीडी से रिटायर होने वाले कर्मचारी मुख्य तौर पर दो नॉर्थ ओर ईस्ट एमसीडी से रिटायर हुए हैं, उन्हें अभी तक रिटायर बेनिफिट्स नहीं मिले हैं. निगम के पेंशन कर्ताओं की भी पेंशन लगभग 2 महीने की पेंडिंग है.

आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस ने यह नहीं बताया है कि किस तरह से एमसीडी की आर्थिक व्यवस्था को सुधारा जाएगा. ना ही यह बताया गया कि निगम की वित्तीय घाटे को दूर कैसे किया जाएगा. साथ ही यह भी नहीं बताया गया है कि आने वाले समय में निगम कर्मचारियों को समय से वेतन मिले, उसके लिए फंड का आवंटन कैसे किया जाएगा, कहां से पैसा आएगा,क्या कुछ प्लानिंग है. एमसीडी के द्वारा जो विकास कार्य दिल्ली में किए जाने हैं चाहे वह गलियों, छोटी सड़कों, छोटी नालियों का निर्माण हो उसको करवाने के मद्देनजर फंड कहां से आएगा. एमसीडी के स्कूलों की बदहाल हालत और अस्पतालों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को ठीक किए जाने के लिए फंड कहां से आएगा, इसका भी कहीं पर भी कोई जिक्र नहीं है.

सभी सेवाएं ऑनलाइन होगीः इस मुद्दे पर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पार्टी ने इस घोषणा पत्र को 'संकल्प पत्र' नाम दिया है. संकल्प पत्र के माध्यम से बीजेपी ने कहा कि दिल्ली की जनता निगम चुनावों में बीजेपी को समर्थन देते हुए फिर से सेवा का मौका देगी. नगर निगम की सभी सेवाएं 100 दिनों के अंदर मोबाइल एप्लीकेशन (Mymcd apply) के जरिए ऑनलाइन की जाएंगी. जाहिर सी बात है लोगों को जो मिल रहा है, उससे बेहतर चाहेंगे तो ऑनलाइन सेवाएं होने से भ्रष्टाचार खत्म होगा इसी से फर्क पड़ जाएगा.

ये भी पढ़ेंः MCD Election: चुनाव मैदान में 556 करोड़पति प्रत्याशी, 139 उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे

40-45 फीसदी संपत्तियों से ही 2038 करोड़ का संग्रहः प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि निगम चुनावों में कांग्रेस पार्टी जनता के बीच अपनी बात रख रही है. आम आदमी पार्टी और बीजेपी से जनता सवाल पूछ रही है आखिरकार खोखले वादे क्यों पूरे नहीं किए गए. कांग्रेस ने दावा किया कि सत्ता में आते ही हाउस टैक्स विभाग को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएगी. पिछले 15 वर्षों में निगम में संपत्ति कर वसूलने में बीजेपी पर विफलता का आरोप लगाया कि तमाम कोशिशों के बावजूद 40-45 फीसदी संपत्तियों से ही हाउस टैक्स के रूप में 2038 करोड़ रुपये वसूल किए गए, जबकि इससे 10 हज़ार करोड़ से अधिक राजस्व की प्राप्ति हो सकती है.

दिल्ली सरकार की तर्ज पर बढ़ाएंगे आमदनीः आम आदमी पार्टी के निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक का कहना है दिल्ली सरकार में जब आम आदमी पार्टी आयी थी तब 25 हजार करोड़ का सालाना बजट था, आज 75 हजार करोड़ का है, उसी फॉर्मूले पर निगम की आमदनी बढ़ाएंगे और आर्थिक रूप से समृद्ध कर देंगे.

नई दिल्लीः दिल्ली देश की राजधानी है. इस लिहाज से इसे साफ सुथरा बनाने की जिम्मेदारी यहां की स्थानीय निकायों की है. दिल्ली के क्षेत्रफल का 96 फीसद हिस्सा नगर निगम के अधीन आता है और इसकी साफ-सफाई, व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी निगम के पास है. इसलिए विधानसभा चुनाव से कहीं बढ़कर यहां होने वाला नगर निगम चुनाव सुर्खियों में रहता है. बीते 15 सालों तक निगम की सत्ता में बीजेपी थी.

वर्तमान में निगम घाटे में है. तो इसे आर्थिक रूप से किस तरह समृद्ध बनाया जाएगा ताकि लोग और उम्मीद कर सकें कि उन्हें बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी. तीनों ही बड़ी पार्टियों के घोषणा पत्र में इसका जिक्र नहीं है. हालांकि चुनाव के ऐलान के बाद चुनाव आयोग, चुनाव कराने में व्यस्त है तो मैदान में उतरे प्रत्याशी अपनी सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए जोर-शोर से चुनाव प्रचार कर रहे हैं.

एमसीडी चुनाव (Delhi Municipal Corporation Election) के मद्देनजर तीनों बड़े राजनीतिक दल आप, कांग्रेस और बीजेपी ने घोषणा पत्र जारी कर दिया है. जहां आप ने इस बार दिल्ली की जनता को 10 गारंटी दी है. वहीं कांग्रेस ने शीला वाली चमकती हुई दिल्ली लोगों को अपने घोषणा पत्र में लाने का वादा किया है. जबकि बीजेपी ने संकल्प पत्र जारी कर दिल्ली के लोगों को 12 वादे किए हैं. सभी दलों ने लोक लुभावने वादे भी कर दिए हैं. यह वादे कैसे पूरे होंगे, पैसा कहां से आएगा, इसका कोई जिक्र नहीं है.

दरअसल, वर्तमान समय में परिसीमन के बाद एकीकृत हो चुकी एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) की आर्थिक बदहाली की स्थिति दूर होने का नाम नहीं ले रही है. अगर नगर निगम की पिछले वित्तीय बजट की मानें तो वर्तमान समय में दिल्ली की एकीकृत हो चुकी एमसीडी हजारों करोड़ रुपए के फिस्कल डेफिसिट यानी कि वित्तीय घाटे में है, जो कि लगभग 7 से 8 हजार करोड़ के आसपास का है.

जब तीनों नगर निगम का एकीकरण दिल्ली हुआ तो उस समय सिर्फ साउथ एमसीडी ही 106 करोड़ रुपये के वित्तीय घाटे में थी. जबकि नॉर्थ एमसीडी लगभग 5500 करोड़ और ईस्ट एमसीडी 3500 करोड़ के वित्तीय घाटे में थी. एकीकरण के बाद से लगातार निगम को इस वित्तीय बदहाली के दौर से निकालने का ना सिर्फ प्रयास किया जा रहा बल्कि एक के बाद एक लगातार नई योजनाओं को क्रियान्वयन करके निगम के राजस्व को बढ़ाने का प्रयास भी किया जा रहा है.

दिल्ली नगर निगम के पूर्व जनसंपर्क निदेशक दीप माथुर बताते हैं कि केंद्र सरकार के द्वारा विशेष अधिकारी की भी नियुक्ति किए जाने के साथ कमिश्नर के रूप में ज्ञानेश भारती को लेकर जिम्मेदारी दी गई थी. वित्तीय बदहाली को दूर करने के मद्देनजर एकीकृत हो चुकी एमसीडी खर्चों पर ना सिर्फ लगाम लगाई गई. बल्कि विभिन्न प्रोजेक्ट को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर शुरू कर एमसीडी का राजस्व बढ़ाने का भी प्रयास किया गया है. निगम के राजस्व का सबसे बड़ा स्त्रोत संपत्ति कर है. इसके बाद दिल्ली में एमसीडी को पार्किंग अलग-अलग प्रकार के लाइसेंस, कन्वर्जन चार्ज के माध्यम से आमदनी प्राप्त होती है.

एमसीडी के द्वारा विशेष अधिकारी के नेतृत्व में लगातार राजस्व बढ़ाने के मद्देनजर संपत्ति कर और अन्य सभी क्षेत्रों में बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह है दिल्ली एमसीडी के चुनाव में आप बीजेपी और कांग्रेस के द्वारा जीत का दावा तो किया जा रहा है, अलग-अलग लोक लुभावने वादे भी किए जा रहे हैं. लेकिन जिस वित्तीय बदहाली के दौर से एमसीडी गुजर रही है और हजारों करोड़ के घाटे में हैं, उस घाटे को किस तरह से खत्म किया जाएगा और कैसे निगम की वित्तीय बदहाली से निकाला जाएगा, उसको लेकर किसी प्रकार का ना तो कोई जिक्र किया गया है ना कोई बात रखी गई है, ना ही यह बताया गया है कि निगम की आमदनी को किस प्रकार से बढ़ाया जाएगा.

दिल्ली में एमसीडी की वित्तीय हालातों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि निगम में कार्यरत लगभग एक लाख से ज्यादा पक्के कर्मचारियों का लगभग 2 महीने का वेतन बकाया है. वहीं कोई कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को लगभग तीन महीने से वेतन नहीं मिला है. इस सबके अलावा डेली वेजेज पर काम करने वाले कर्मचारियों का तो वेतन पिछले कई महीनों से पेंडिंग है ही. साथ ही एमसीडी का काम करने वाले ठेकेदारों को भी 2017-18 से उनका बकाया निगम के द्वारा नहीं दिया गया है. बीते 2 साल में एमसीडी से रिटायर होने वाले कर्मचारी मुख्य तौर पर दो नॉर्थ ओर ईस्ट एमसीडी से रिटायर हुए हैं, उन्हें अभी तक रिटायर बेनिफिट्स नहीं मिले हैं. निगम के पेंशन कर्ताओं की भी पेंशन लगभग 2 महीने की पेंडिंग है.

आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस ने यह नहीं बताया है कि किस तरह से एमसीडी की आर्थिक व्यवस्था को सुधारा जाएगा. ना ही यह बताया गया कि निगम की वित्तीय घाटे को दूर कैसे किया जाएगा. साथ ही यह भी नहीं बताया गया है कि आने वाले समय में निगम कर्मचारियों को समय से वेतन मिले, उसके लिए फंड का आवंटन कैसे किया जाएगा, कहां से पैसा आएगा,क्या कुछ प्लानिंग है. एमसीडी के द्वारा जो विकास कार्य दिल्ली में किए जाने हैं चाहे वह गलियों, छोटी सड़कों, छोटी नालियों का निर्माण हो उसको करवाने के मद्देनजर फंड कहां से आएगा. एमसीडी के स्कूलों की बदहाल हालत और अस्पतालों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को ठीक किए जाने के लिए फंड कहां से आएगा, इसका भी कहीं पर भी कोई जिक्र नहीं है.

सभी सेवाएं ऑनलाइन होगीः इस मुद्दे पर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पार्टी ने इस घोषणा पत्र को 'संकल्प पत्र' नाम दिया है. संकल्प पत्र के माध्यम से बीजेपी ने कहा कि दिल्ली की जनता निगम चुनावों में बीजेपी को समर्थन देते हुए फिर से सेवा का मौका देगी. नगर निगम की सभी सेवाएं 100 दिनों के अंदर मोबाइल एप्लीकेशन (Mymcd apply) के जरिए ऑनलाइन की जाएंगी. जाहिर सी बात है लोगों को जो मिल रहा है, उससे बेहतर चाहेंगे तो ऑनलाइन सेवाएं होने से भ्रष्टाचार खत्म होगा इसी से फर्क पड़ जाएगा.

ये भी पढ़ेंः MCD Election: चुनाव मैदान में 556 करोड़पति प्रत्याशी, 139 उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे

40-45 फीसदी संपत्तियों से ही 2038 करोड़ का संग्रहः प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि निगम चुनावों में कांग्रेस पार्टी जनता के बीच अपनी बात रख रही है. आम आदमी पार्टी और बीजेपी से जनता सवाल पूछ रही है आखिरकार खोखले वादे क्यों पूरे नहीं किए गए. कांग्रेस ने दावा किया कि सत्ता में आते ही हाउस टैक्स विभाग को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएगी. पिछले 15 वर्षों में निगम में संपत्ति कर वसूलने में बीजेपी पर विफलता का आरोप लगाया कि तमाम कोशिशों के बावजूद 40-45 फीसदी संपत्तियों से ही हाउस टैक्स के रूप में 2038 करोड़ रुपये वसूल किए गए, जबकि इससे 10 हज़ार करोड़ से अधिक राजस्व की प्राप्ति हो सकती है.

दिल्ली सरकार की तर्ज पर बढ़ाएंगे आमदनीः आम आदमी पार्टी के निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक का कहना है दिल्ली सरकार में जब आम आदमी पार्टी आयी थी तब 25 हजार करोड़ का सालाना बजट था, आज 75 हजार करोड़ का है, उसी फॉर्मूले पर निगम की आमदनी बढ़ाएंगे और आर्थिक रूप से समृद्ध कर देंगे.

Last Updated : Nov 26, 2022, 11:00 PM IST
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