नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बंगले के रेनोवेशन का मुद्दा गरमाता जा रहा है. मंगलवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की प्रधान बेंच के जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने मामले पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार के साथ अन्य अधिकारियों को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. साथ ही मुख्यमंत्री के निवास निर्माण में पर्यावरण उल्लंघन से संबंधित स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया है. NGT की बेंच अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता गौरव कुमार ने एनजीटी के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के वन विभाग के आदेश 2009 के अनुसार किसी भी प्रकार के 20 से अधिक पेड़ों को काटने के लिए आवेदन करना चाहिए था. साथ ही वन संरक्षक को रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए थी. जबकि, इस मामले में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का रवैया बिल्कुल उलट रहा है. उन्होंने जानबूझकर मुख्यमंत्री निवास कार्य में तेजी से काम करने के लिए सभी नियमों को ताक पर रखकर दुर्भाग्यपूर्ण इरादे से सभी पेड़ों को काट दिया.
पौधा लगाने की शर्त का उल्लंघनः याची अधिवक्ता ने अपने पक्ष में इस बात पर भी जोर दिया कि दिल्ली सरकार के वन विभाग की ओर से अनिवार्य रूप से वृक्ष लगाने की शर्त का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी के वन संपदा की रक्षा करना था. लेकिन वन विभाग की ओर से जारी आदेश और नियमों को लोक निर्माण विभाग ने जानबूझकर पालन नहीं कर अनिवार्य पौधरोपण नहीं किया.
31 मई को अगली सुनवाईः उन्होंने यह भी बताया है कि वन विभाग वन संपदा की रक्षा करने में पूरी तरह से विफल रहा है. इस मामले की गंभीरता को समझते हुए जस्टिस गोयल की अध्यक्षता वाली एनजीटी की प्रधान बेंच ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है. एनजीटी अब इस मामले पर अगली सुनवाई 31 मई को करेगा.