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एनजीटी ने RICOH के प्रबंध निदेशक आशुतोष पेडनेकर पर लगाया जुर्माना

एनजीटी ने RICOH के प्रबंध निदेशक आशुतोष पेडनेकर पर 20 हजार का जुर्माना लगाया है. जस्टिस एस रघुवेंद्र राठौर की अध्यक्षता वाली बेंच ने जुर्माने की ये रकम एनजीटी लीगल सेल में एक हफ्ते में जमा कराने का निर्देश दिया.

NGT imposes fine on RICOH
नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल
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Published : Dec 20, 2019, 11:13 PM IST

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने आशुतोष पेडनेकर पर बीस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. दरअसल एनजीटी के बार-बार समन भेजने के बावजूद भी राजस्थान के बालोतरा स्थित RICOH के प्रबंध निदेशक आशुतोष पेडनेकर उपस्थित नहीं हुए. जस्टिस एस रघुवेंद्र राठौर की अध्यक्षता वाली बेंच ने जुर्माने की ये रकम एनजीटी लीगल सेल में एक हफ्ते में जमा कराने का निर्देश दिया.

एनजीटी ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे चाहें तो अपने दो अफसरों के एनजीटी में सुनवाई के लिए आने-जाने में हुए खर्च की भरपाई RICOH के प्रबंध निदेशक से कर सकते हैं.

सुनवाई के दौरान रीको के अधिकारी नहीं आए

RICOH के प्रबंध निदेशक के वकील ने कहा कि पेडनेकर की तबीयत 19 दिसंबर की रात में अचानक खराब हो गई और इसकी सूचना उन्होंने अपने वकील को 20 दिसंबर को सुबह दी. पेडनेकर के वकील ने एनजीटी से आज पेशी से छूट की मांग की और कहा कि पेडनेकर को वायरल बुखार और उससे संबंधित दूसरी बीमारियां हो गई है. एनजीटी ने कहा कि पेडनेकर की पेशी से छूट की अर्जी में संबंधित दूसरी बीमारियों से संबंधित कोई कागजात नहीं लगाए गए थे.

साथ में लगा था दूसरे अधिकारी का भी हलफनामा

एनजीटी ने पाया कि पेडनेकर की पेशी से छूट की अर्जी के साथ RICOH के वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक विनीत गुप्ता का एक हलफनामा भी दायर किया गया था. विनीत गुप्ता ने एक अतिरिक्त हलफनामा दायर किया था जिस पर 18 दिसंबर जोधपुर हाईकोर्ट में शपथ ली गई थी. वह अतिरिक्त हलफनामा 19 दिसंबर को एनजीटी में दाखिल किया गया था.

'आदमी झूठ बोल सकता है परिस्थितियां नहीं'
एनजीटी ने कहा कि आदमी झूठ बोल सकता है परिस्थितियां नहीं. एनजीटी ने कहा कि RICOH के अधिकारी उसके आदेशों का कभी भी पालन करना नहीं चाहते थे. यही वजह रही कि 18 दिसंबर को वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक ने हाईकोर्ट में हलफनामा तैयार कराया ताकि पेडनेकर को एनजीटी में पेश न होना पड़े.

कपड़ा उद्योगों को बंद करने का दिया था आदेश

पिछले 4 सितंबर को एनजीटी ने बालोतरा गांधीपुरा के कपड़ा उद्योगों को बंद करने का आदेश दिया था. एनजीटी ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि वो वाटर एक्ट और एयर एक्ट के तहत इन उद्योगों को बंद करने का आदेश दें. सुनवाई के दौरान एनजीटी ने पाया था कि 23 कपड़ा उद्योग गांधीपुरा में स्थित हैं जो कि घोषित औद्योगिक इलाका नहीं है. उसके बाद एनजीटी ने बालोतरा स्थित रीको के क्षेत्रीय प्रबंधक को तलब किया था.

53 प्लॉट पर सरकार की नहीं मिली थी अनुमति

RICOH के क्षेत्रीय प्रबंधक ने एनजीटी को बताया था कि बालोतरा इंडस्ट्रियल एरिया फेस 4 की स्थापना 2008 में की गई थी जिसमें 586 प्लॉट थे. उनमें से 44 प्लॉट का आवंटन 2011 में किया गया. 53 प्लॉट का आवंटन 2017 में किया गया लेकिन उस पर राज्य सरकार की अनुमति नहीं मिली थी.

15 साल बाद भी हाईकोर्ट के आदेशों को नहीं किया पालन

इन कपड़ा उद्योगों को लेकर जोधपुर हाईकोर्ट ने भी 2004 में आदेश दिया था कि वे इंडस्ट्रियल एरिया में तुरंत शिफ्ट किए जाएं. एनजीटी ने पाया कि जब कपड़ा उद्योगों के लिए तय जगह पर प्लॉट उपलब्ध है. हाईकोर्ट के आदेश के 15 साल बाद भी पालन नहीं किया गया. यहां तक कि इन उद्योगों को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने चलाने की अनुमति भी दे दी.

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने आशुतोष पेडनेकर पर बीस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. दरअसल एनजीटी के बार-बार समन भेजने के बावजूद भी राजस्थान के बालोतरा स्थित RICOH के प्रबंध निदेशक आशुतोष पेडनेकर उपस्थित नहीं हुए. जस्टिस एस रघुवेंद्र राठौर की अध्यक्षता वाली बेंच ने जुर्माने की ये रकम एनजीटी लीगल सेल में एक हफ्ते में जमा कराने का निर्देश दिया.

एनजीटी ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे चाहें तो अपने दो अफसरों के एनजीटी में सुनवाई के लिए आने-जाने में हुए खर्च की भरपाई RICOH के प्रबंध निदेशक से कर सकते हैं.

सुनवाई के दौरान रीको के अधिकारी नहीं आए

RICOH के प्रबंध निदेशक के वकील ने कहा कि पेडनेकर की तबीयत 19 दिसंबर की रात में अचानक खराब हो गई और इसकी सूचना उन्होंने अपने वकील को 20 दिसंबर को सुबह दी. पेडनेकर के वकील ने एनजीटी से आज पेशी से छूट की मांग की और कहा कि पेडनेकर को वायरल बुखार और उससे संबंधित दूसरी बीमारियां हो गई है. एनजीटी ने कहा कि पेडनेकर की पेशी से छूट की अर्जी में संबंधित दूसरी बीमारियों से संबंधित कोई कागजात नहीं लगाए गए थे.

साथ में लगा था दूसरे अधिकारी का भी हलफनामा

एनजीटी ने पाया कि पेडनेकर की पेशी से छूट की अर्जी के साथ RICOH के वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक विनीत गुप्ता का एक हलफनामा भी दायर किया गया था. विनीत गुप्ता ने एक अतिरिक्त हलफनामा दायर किया था जिस पर 18 दिसंबर जोधपुर हाईकोर्ट में शपथ ली गई थी. वह अतिरिक्त हलफनामा 19 दिसंबर को एनजीटी में दाखिल किया गया था.

'आदमी झूठ बोल सकता है परिस्थितियां नहीं'
एनजीटी ने कहा कि आदमी झूठ बोल सकता है परिस्थितियां नहीं. एनजीटी ने कहा कि RICOH के अधिकारी उसके आदेशों का कभी भी पालन करना नहीं चाहते थे. यही वजह रही कि 18 दिसंबर को वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक ने हाईकोर्ट में हलफनामा तैयार कराया ताकि पेडनेकर को एनजीटी में पेश न होना पड़े.

कपड़ा उद्योगों को बंद करने का दिया था आदेश

पिछले 4 सितंबर को एनजीटी ने बालोतरा गांधीपुरा के कपड़ा उद्योगों को बंद करने का आदेश दिया था. एनजीटी ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि वो वाटर एक्ट और एयर एक्ट के तहत इन उद्योगों को बंद करने का आदेश दें. सुनवाई के दौरान एनजीटी ने पाया था कि 23 कपड़ा उद्योग गांधीपुरा में स्थित हैं जो कि घोषित औद्योगिक इलाका नहीं है. उसके बाद एनजीटी ने बालोतरा स्थित रीको के क्षेत्रीय प्रबंधक को तलब किया था.

53 प्लॉट पर सरकार की नहीं मिली थी अनुमति

RICOH के क्षेत्रीय प्रबंधक ने एनजीटी को बताया था कि बालोतरा इंडस्ट्रियल एरिया फेस 4 की स्थापना 2008 में की गई थी जिसमें 586 प्लॉट थे. उनमें से 44 प्लॉट का आवंटन 2011 में किया गया. 53 प्लॉट का आवंटन 2017 में किया गया लेकिन उस पर राज्य सरकार की अनुमति नहीं मिली थी.

15 साल बाद भी हाईकोर्ट के आदेशों को नहीं किया पालन

इन कपड़ा उद्योगों को लेकर जोधपुर हाईकोर्ट ने भी 2004 में आदेश दिया था कि वे इंडस्ट्रियल एरिया में तुरंत शिफ्ट किए जाएं. एनजीटी ने पाया कि जब कपड़ा उद्योगों के लिए तय जगह पर प्लॉट उपलब्ध है. हाईकोर्ट के आदेश के 15 साल बाद भी पालन नहीं किया गया. यहां तक कि इन उद्योगों को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने चलाने की अनुमति भी दे दी.

Intro:नई दिल्ली । नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने बार-बार समन भेजने के बावजूद राजस्थान के बालोतरा स्थित रीको के प्रबंध निदेशक आशुतोष पेडनेकर के उपस्थित नहीं होने पर बीस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। जस्टिस एस रघुवेंद्र राठौर की अध्यक्षता वाली बेंच ने जुर्माने की ये रकम एनजीटी लीगल सेल में एक हफ्ते में जमा कराने का निर्देश दिया। एनजीटी ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे चाहें तो अपने दो अफसरों के एनजीटी में सुनवाई के लिए आने-जाने में हुए खर्च की भरपाई रीको के प्रबंध निदेशक से कर सकते हैं।



Body:सुनवाई के दौरान रीको के अधिकारी नहीं आए
दरअसल आज जैसे ही सुनवाई शुरु हुई तो रीको के प्रबंध निदेशक के वकील ने कहा कि पेडनेकर की तबीयत 19 दिसंबर की रात में अचानक खराब हो गई और इसकी सूचना उन्होंने अपने वकील को 20 दिसंबर को सुबह दी। पेडनेकर के वकील ने एनजीटी से आज पेशी से छूट की मांग की और कहा कि पेडनेकर को वायरल बुखार और उससे संबंधित दूसरी बीमारियां हो गयीं । एनजीटी ने कहा कि पेडनेकर की पेशी से छूट की अर्जी में संबंधित दूसरी बीमारियों से संबंधित कोई कागजात नहीं लगाए गए थे।
साथ में लगा था दूसरे अधिकारी का भी हलफनामा
एनजीटी ने पाया कि पेडनेकर की पेशी से छूट की अर्जी के साथ रीको के वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक विनीत गुप्ता का एक हलफनामा भी दायर किया गया था । मजेदार तथ्य ये है कि विनीत गुप्ता ने एक अतिरिक्त हलफनामा दायर किया था जिस पर 18 दिसंबर जोधपुर हाईकोर्ट में शपथ ली गई थी। वह अतिरिक्त हलफनामा 19 दिसंबर को एनजीटी में दाखिल किया गया था।
आदमी झूठ बोल सकता है परिस्थितियां नहीं
एनजीटी ने कहा कि आदमी झूठ बोल सकता है परिस्थितियां नहीं। एनजीटी ने कहा कि रीको के अधिकारी उसके आदेशों का कभी भी पालन करना नहीं चाहते थे। यही वजह रही कि 18 दिसंबर को वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक ने हाईकोर्ट में हलफनामा तैयार कराया ताकि  पेडनेकर को एनजीटी में पेश न होना पड़े।
कपड़ा उद्योगों को बंद करने का आदेश दिया था
पिछले 4 सितंबर को एनजीटी ने बालोतरा गांधीपुरा के कपड़ा उद्योगों को बंद करने का आदेश दिया था। एनजीटी ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि वो वाटर एक्ट और एयर एक्ट के तहत इन उद्योगों को बंद करने का आदेश दें।
सुनवाई के दौरान एनजीटी ने पाया था कि 23 कपड़ा उद्योग गांधीपुरा में स्थित हैं जो कि घोषित औद्योगिक इलाका नहीं है। उसके बाद एनजीटी ने बालोतरा स्थित रीको के क्षेत्रीय प्रबंधक को तलब किया था।


Conclusion:53 प्लॉट पर सरकार की अनुमति नहीं मिली थी
रीको के क्षेत्रीय प्रबंधक ने एनजीटी को बताया था कि बालोतरा इंडस्ट्रियल एरिया फेस 4 की स्थापना 2008 में की गई थी जिसमें 586 प्लॉट थे। उनमें से 44 प्लॉट का आवंटन 2011 में किया गया। 53 प्लॉट का आवंटन 2017 में किया गया लेकिन उस पर राज्य सरकार की अनुमति नहीं मिली थी।
इन कपड़ा उद्योगों को लेकर जोधपुर हाईकोर्ट ने भी 2004 में आदेश दिया था कि वे इंडस्ट्रियल एरिया में तुरंत शिफ्ट किए जाएं। एनजीटी ने पाया कि जब कपड़ा उद्योगों के लिए तय जगह पर प्लॉट उपलब्ध है तब वे क्यों नहीं शिफ्ट हो रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश का 15 साल बाद भी पालन नहीं किया गया। यहां तक कि इन उद्योगों को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने चलाने की अनुमति भी दे दी।
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