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Pollution in Yamuna: NGT ने LG के नेतृत्व में बनाई कमेटी, प्रदूषण पर होगा शोध - यमुना नदी के प्रदूषण पर अध्ययन

दिल्ली में यमुना नदी का प्रदूषण स्तर 75 फीसदी तक पहुंच चुका है. अब राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया है. कमेटी अन्य राज्यों के नदी बेसिन की तुलना में यमुना के प्रदूषण का अध्ययन करेगी. (NGT constitutes High Level Committee for Delhi to be headed by LG)

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Published : Jan 9, 2023, 8:26 PM IST

नई दिल्लीः राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सोमवार को एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी दिल्ली में 75 प्रतिशत तक प्रदूषण के स्तर तक पहुंच चुकी यमुना का अध्ययन करेगी. कमेटी पर अन्य राज्यों के नदी बेसिन से तुलना करके अपनी रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी है. जस्टिस आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने इस कमेटी के गठन का फैसला लिया. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इसका अनुरोध किया था. बता दें, उपराज्यपाल दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के चेयरमैन हैं. वे इस कमेटी के प्रमुख होंगे. (NGT constitutes High Level Committee for Delhi to be headed by LG)

समिति के अन्य सदस्यों में दिल्ली के कई विभागों के मुख्य सचिव होंगे. इसमें सिंचाई, वन और पर्यावरण, कृषि और वित्त मंत्रालय के सचिव, दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ, डीडीए के उपाध्यक्ष आदि कमेटी में सचिव के रूप में कार्य करेंगे. नामांकित (अतिरिक्त सचिव के पद से नीचे नहीं) सदस्यों में से केंद्रीय कृषि मंत्रालय के महानिदेशक, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव भी शामिल होंगे.

एनजीटी ने कहा, "दिल्ली में कई प्राधिकरण हैं, जिस कारण अब तक आवश्यक सफलता हासिल नहीं हो पाई है. इसमें स्वामित्व और जवाबदेही की कमी झलकती है. इन कमेटी पर एक बड़ी राशि पहले ही खर्च की जा चुकी है, लेकिन अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं हो सके हैं. न्यायिक निगरानी पिछले 29 वर्षों से जारी है." एनजीटी ने कहा कि डीडीए को मैदानी इलाकों की सुरक्षा के लिए उपाय करना है, जबकि दिल्ली जल बोर्ड, सिंचाई विभाग, नगर निगम आदि को नालों को प्रदूषण से मुक्त रखने की जिम्मेदारी है.

ये भी पढ़ेंः दिल्ली में सीएम आवास के बाहर बीजेपी का प्रोटेस्ट, आप नेताओं ने किया बीजेपी मुख्यालय का घेराव

एनजीटी ने कहा कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने यमुना और इसकी सहायक नदियों में उद्योगों और स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण पर रोक लगाने को लेकर पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं. उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होती है. एनजीटी ने कहा कि अनधिकृत कॉलोनियों से सीवेज के संतोषजनक प्रबंधन के अभाव में विभिन्न स्थानों पर सेप्टेज और यहां तक ​​कि ठोस कचरे का भारी अनधिकृत डंपिंग होता है. एनजीटी का यह आदेश अधिकारियों द्वारा विभिन्न आदेश के आने के बाद भी कोई ठोस कदम न उठाए जाने के परिप्रेक्ष्य में आया है.

(इनपुटः ANI)

ये भी पढ़ेंः LG ने पत्र लिखकर केजरीवाल को चर्चा पर बुलाया, CM बोले- जल्द आऊंगा

नई दिल्लीः राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सोमवार को एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी दिल्ली में 75 प्रतिशत तक प्रदूषण के स्तर तक पहुंच चुकी यमुना का अध्ययन करेगी. कमेटी पर अन्य राज्यों के नदी बेसिन से तुलना करके अपनी रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी है. जस्टिस आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने इस कमेटी के गठन का फैसला लिया. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इसका अनुरोध किया था. बता दें, उपराज्यपाल दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के चेयरमैन हैं. वे इस कमेटी के प्रमुख होंगे. (NGT constitutes High Level Committee for Delhi to be headed by LG)

समिति के अन्य सदस्यों में दिल्ली के कई विभागों के मुख्य सचिव होंगे. इसमें सिंचाई, वन और पर्यावरण, कृषि और वित्त मंत्रालय के सचिव, दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ, डीडीए के उपाध्यक्ष आदि कमेटी में सचिव के रूप में कार्य करेंगे. नामांकित (अतिरिक्त सचिव के पद से नीचे नहीं) सदस्यों में से केंद्रीय कृषि मंत्रालय के महानिदेशक, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव भी शामिल होंगे.

एनजीटी ने कहा, "दिल्ली में कई प्राधिकरण हैं, जिस कारण अब तक आवश्यक सफलता हासिल नहीं हो पाई है. इसमें स्वामित्व और जवाबदेही की कमी झलकती है. इन कमेटी पर एक बड़ी राशि पहले ही खर्च की जा चुकी है, लेकिन अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं हो सके हैं. न्यायिक निगरानी पिछले 29 वर्षों से जारी है." एनजीटी ने कहा कि डीडीए को मैदानी इलाकों की सुरक्षा के लिए उपाय करना है, जबकि दिल्ली जल बोर्ड, सिंचाई विभाग, नगर निगम आदि को नालों को प्रदूषण से मुक्त रखने की जिम्मेदारी है.

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एनजीटी ने कहा कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने यमुना और इसकी सहायक नदियों में उद्योगों और स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण पर रोक लगाने को लेकर पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं. उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होती है. एनजीटी ने कहा कि अनधिकृत कॉलोनियों से सीवेज के संतोषजनक प्रबंधन के अभाव में विभिन्न स्थानों पर सेप्टेज और यहां तक ​​कि ठोस कचरे का भारी अनधिकृत डंपिंग होता है. एनजीटी का यह आदेश अधिकारियों द्वारा विभिन्न आदेश के आने के बाद भी कोई ठोस कदम न उठाए जाने के परिप्रेक्ष्य में आया है.

(इनपुटः ANI)

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