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दिल्ली नगर निगम: सिर्फ 3 महीने के लिए होगा मेयर का चुनाव, जानें नए अधिनियम के तहत क्या है प्रावधान

दिल्ली नगर निगम (Municipal Corporation of Delhi) में मेयर के चुनाव के लिए सभी 250 पार्षदों, नॉमिनेटेड विधायकों और सांसदों को सोमवार तक इसकी सूचना देने के लिए नोटिस जारी किया जाएगा. इसके बाद चुनाव का शेड्यूल तैयार होगा, जिसमें मेयर पद के नॉमिनेशन की तारीख और समय का उल्लेख होगा. मेयर पद के लिए नॉमिनेशन करने वाले उम्मीदवार चुनाव के दिन तक अपने नाम वापस ले सकते हैं.

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Published : Dec 17, 2022, 3:14 PM IST

नई दिल्लीः आम आदमी पार्टी (आप) ने एमसीडी (Municipal Corporation of Delhi) चुनाव में 250 वार्डों में से 134 पर जीत दर्ज कर 15 साल के बीजेपी राज का अंत कर दिया. उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली नगर निगम (डीएमसी) अधिनियम के तहत अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए छह जनवरी को नवर्निवाचित निगम की पहली बैठक कराने के प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है. चुनाव के लिए सभी 250 पार्षदों, नॉमिनेटेड विधायकों और सांसदों को सोमवार तक इसकी सूचना देने के लिए नोटिस जारी किया जाएगा. इसके बाद चुनाव का शेड्यूल तैयार होगा, जिसमें मेयर पद के नॉमिनेशन की तारीख और समय का उल्लेख होगा. मेयर पद के लिए नॉमिनेशन करने वाले उम्मीदवार चुनाव के दिन तक अपने नाम वापस ले सकते हैं. चुनाव के दिन पहले शपथ होगी और उसके बाद चुनाव प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

मेयर का चुनाव कई मायनों में खासः मेयर चुनाव सिर्फ तीन महीने के लिए होगा. अगले साल अप्रैल के पहले सप्ताह में एक बार फिर मेयर चुनाव होगा. अब यह सत्ताधारी पार्टी के ऊपर निर्भर होगा कि जनवरी में चुने गए मेयर का कार्यकाल ही आगे बढ़ाया जाए या फिर से चुनाव कराया जाए. इस बार मेयर का चुनाव कई मायनों में खास होने वाला है. ऐसा इसलिए क्योंकि पहली बार ऐसा होगा कि तीन महीने के लिए मेयर चुना जाएगा. इसके साथ ही बहस छिड़ गई है कि पहली बार महिला मेयर चुने जाने के बाद क्या अगली बार किसी पुरुष को मौका मिल सकता है.

प्रत्येक वर्ष की पहली बैठक में मेयर का होगा चुनावः डीएमसी अधिनियम की धारा 35 की उपधारा (1) के तहत निगम हर साल अपनी पहली बैठक के दौरान अपने सदस्यों में से किसी एक को मेयर और एक अन्य को डिप्टी मेयर के रूप में चुने जाने का प्रावधान है. अधिनियम की धारा- 77 के मुताबिक मेयर के चुनाव के लिए होने वाली बैठक में पीठासीन अधिकारी एक ऐसा पार्षद होगा‚ जो इस पद के दावेदारों में शामिल नहीं होगा‚ जिसे उपराज्यपाल द्वारा नामित किया जाता है.

ये भी पढ़ेंः दिल्ली के स्कूलों में छात्रों की अनुपस्थिति और ड्रॉप आउट दर को कम करने के लिए निर्देश जारी

एमसीडी में नवनिर्वाचित पार्षदों की स्थितिः एमसीडी में आम आदमी पार्टी के 134, बीजेपी के 104, कांग्रेस के 9 पार्षद हैं. मेयर चुनाव में दिल्ली के सभी सांसदों के साथ ही 20 फीसद विधायकों को वोट देने का अधिकार है. इस लिहाज से बीजेपी के पास कुल 113 वोट हैं जबकि आम आदमी पार्टी के पास 149. संख्या के लिहाज से आम आदमी पार्टी के मेयर पद के प्रत्याशी की जीत तय है. लेकिन मेयर चुनाव में बीजेपी भी अपना उम्मीदवार उतारेगी. हालांकि पार्टी ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है‚ वह फिलहाल सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार के नाम का इंतजार कर रही है. बीजेपी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एक सवाल के जवाब में कहा है कि सत्तापक्ष के उम्मीदार का नाम सामने आने दें‚ हमारे पास पार्षदों की अच्छी संख्या है. प्रदेश बीजेपी ने स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली नगर निगम के मेयर चुनाव में पार्टी आम आदमी पार्टी को वॉक ओवर नहीं देगी.

नई दिल्लीः आम आदमी पार्टी (आप) ने एमसीडी (Municipal Corporation of Delhi) चुनाव में 250 वार्डों में से 134 पर जीत दर्ज कर 15 साल के बीजेपी राज का अंत कर दिया. उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली नगर निगम (डीएमसी) अधिनियम के तहत अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए छह जनवरी को नवर्निवाचित निगम की पहली बैठक कराने के प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है. चुनाव के लिए सभी 250 पार्षदों, नॉमिनेटेड विधायकों और सांसदों को सोमवार तक इसकी सूचना देने के लिए नोटिस जारी किया जाएगा. इसके बाद चुनाव का शेड्यूल तैयार होगा, जिसमें मेयर पद के नॉमिनेशन की तारीख और समय का उल्लेख होगा. मेयर पद के लिए नॉमिनेशन करने वाले उम्मीदवार चुनाव के दिन तक अपने नाम वापस ले सकते हैं. चुनाव के दिन पहले शपथ होगी और उसके बाद चुनाव प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

मेयर का चुनाव कई मायनों में खासः मेयर चुनाव सिर्फ तीन महीने के लिए होगा. अगले साल अप्रैल के पहले सप्ताह में एक बार फिर मेयर चुनाव होगा. अब यह सत्ताधारी पार्टी के ऊपर निर्भर होगा कि जनवरी में चुने गए मेयर का कार्यकाल ही आगे बढ़ाया जाए या फिर से चुनाव कराया जाए. इस बार मेयर का चुनाव कई मायनों में खास होने वाला है. ऐसा इसलिए क्योंकि पहली बार ऐसा होगा कि तीन महीने के लिए मेयर चुना जाएगा. इसके साथ ही बहस छिड़ गई है कि पहली बार महिला मेयर चुने जाने के बाद क्या अगली बार किसी पुरुष को मौका मिल सकता है.

प्रत्येक वर्ष की पहली बैठक में मेयर का होगा चुनावः डीएमसी अधिनियम की धारा 35 की उपधारा (1) के तहत निगम हर साल अपनी पहली बैठक के दौरान अपने सदस्यों में से किसी एक को मेयर और एक अन्य को डिप्टी मेयर के रूप में चुने जाने का प्रावधान है. अधिनियम की धारा- 77 के मुताबिक मेयर के चुनाव के लिए होने वाली बैठक में पीठासीन अधिकारी एक ऐसा पार्षद होगा‚ जो इस पद के दावेदारों में शामिल नहीं होगा‚ जिसे उपराज्यपाल द्वारा नामित किया जाता है.

ये भी पढ़ेंः दिल्ली के स्कूलों में छात्रों की अनुपस्थिति और ड्रॉप आउट दर को कम करने के लिए निर्देश जारी

एमसीडी में नवनिर्वाचित पार्षदों की स्थितिः एमसीडी में आम आदमी पार्टी के 134, बीजेपी के 104, कांग्रेस के 9 पार्षद हैं. मेयर चुनाव में दिल्ली के सभी सांसदों के साथ ही 20 फीसद विधायकों को वोट देने का अधिकार है. इस लिहाज से बीजेपी के पास कुल 113 वोट हैं जबकि आम आदमी पार्टी के पास 149. संख्या के लिहाज से आम आदमी पार्टी के मेयर पद के प्रत्याशी की जीत तय है. लेकिन मेयर चुनाव में बीजेपी भी अपना उम्मीदवार उतारेगी. हालांकि पार्टी ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है‚ वह फिलहाल सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार के नाम का इंतजार कर रही है. बीजेपी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एक सवाल के जवाब में कहा है कि सत्तापक्ष के उम्मीदार का नाम सामने आने दें‚ हमारे पास पार्षदों की अच्छी संख्या है. प्रदेश बीजेपी ने स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली नगर निगम के मेयर चुनाव में पार्टी आम आदमी पार्टी को वॉक ओवर नहीं देगी.

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