नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि स्थानीय पुलिस को बिना किसी बताए दिल्ली से बाहर की पुलिस राजधानी में आकर ऑपरेशन चलाती है. यह जरूरी है कि इस प्रैक्टिस को रोका जाए. दिल्ली हाईकोर्ट की यह टिप्पणी हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा 17 फरवरी को दिल्ली के मोदी नगर इलाके से एक शादीशुदा जोड़े को उठाकर गाजियाबाद ले जाने के मामले पर आई है. हालांकि, पुलिस ने बाद में दोनों के बयान लेने के बाद रिहा कर दी.
यह शादीशुदा जोड़ा जिसमें लड़की की उम्र 19 और लड़के की उम्र 21 साल है, कोर्ट में उपस्थित था और जज के सवालों का जवाब दे रहा था. जस्टिस भंभानी को वकील ने सूचित किया कि इसी तरह की घटना 2021 में अक्टूबर को हुई थी. दंपती के वकील ने न्यायमूर्ति भंभानी को सूचित किया कि इसी तरह की घटना अक्टूबर 2021 में हुई थी और उच्च न्यायालय की एक पीठ ने ऐसे मामले को निपटाया था.
2021 में उच्च न्यायालय ने यूपी पुलिस से दिल्ली में शादीशुदा जोड़ों के खिलाफ कार्रवाई करने और एक ऐसे व्यक्ति के पिता और भाई को गिरफ्तार करने पर सवाल किया था, जिसने एक महिला से उसके परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी की थी. इसमें कहा गया था कि दिल्ली पुलिस के अधिकार क्षेत्र के तहत लोगों को यूपी पुलिस द्वारा उन्हें सूचित किए बिना गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है और तब यूपी पुलिस को नोटिस जारी किया गया था.
जस्टिस भंभानी ने कहा कि बाहरी राज्यों से पुलिस के दिल्ली में आने और स्थानीय पुलिस को सूचित किए बिना कार्रवाई करने जैसे प्रकरणों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए मामले की गहराई से जांच करना आवश्यक है. सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट ने कहा कि दंपति के निवास स्थान के आसपास लगे सीसीटीवी फुटेजों की जांच जानी चाहिए, ताकि उसमें पता चल सके कि उस रात घर में कौन घुसा और कौन बाहर आया था. अदालत ने कहा कि जो लोग आए और याचिकाकर्ताओं को दिल्ली से मोदी नगर ले गए, उनके चेहरे खुली आंखों से दिखाई नहीं दे रहे थे और यह भी कहा कि फुटेज काटे गए प्रतीत होते हैं.