नई दिल्ली: दिल्ली के मंडी हाउस स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में गुरुवार को तृतीय वर्ष के छात्रों ने 'पार्टी' नामक नाटक का मंचन किया. नाटक का निर्देशन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक अनिरुद्ध खुटवड ने किया है. 1974 में देश के जाने-माने नाटककार महेश एलकुंचवार ने 'पार्टी' नाटक लिखा गया था.
नाटक में ग्रामीण आदिवासियों की जमीन हड़पने वाले पूंजीवादियों द्वारा उनको मानवाधिकारों से वंचित रखने के बारे में लिखा गया था. नाटक की पूरी रूप रेखा एक घर में आयोजित पार्टी के दृश्य के माध्यम से दिखाया गया है, जिसमें समाज के कुछ उच्च वर्ग के लोग इस मुद्दे पर गहन चर्चा कर रहे हैं. यह पूरी चर्चा एक अनुपस्थित नायक अमृत को लेकर होती है. वो नाटक में मौजूद नहीं है. अमृत, बेहद प्रतिभाशाली और होनहार लेखक-कवि, जो पार्टी बैठकों और साहित्यिक समाजों की राजनीति को छोड़कर आदिवासी लोगों के साथ रहने और काम करने चला गया है. जमीन हड़पने वाले पूंजीवादियों ने उन ग्रामीण आदिवासियों को मानवाधिकारों से वंचित कर रहे हैं. कथनी और करनी के बीच की खाई को मिटाने की अमृत की यह कोशिश पार्टी में आए लोगों को झकझोरती है.
1974 में लिखा गया था यह नाटक: अनिरुद्ध ने बताया कि नाटककार महेश एलकुंचवार ने 'पार्टी' नाटक में एक भारतीय महानगर के कलाक्षेत्र के जाने-माने रचनात्मक सदस्यों को उनके ढोंग, प्रतिद्वंद्विता, आकांक्षाओं और कुंठाओं के साथ दिखाया है. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में यथार्थवादी नाटक निर्देशित करने का यह उनका छठां अनुभव है. इस बार उन्हें भारतीय यथार्थवाद पर आधारित नाटक करने का मौका मिला है. इसी सोच के साथ उन्होंने यथार्थ नाटकों की शृंखला में से महेश एलकुंचवार के नाटक 'पार्टी' को चुना. ये नाटक 1974 में लिखा हुआ है, नाटक में रचा गया समय 70 के दशक का है, लेकिन नाटक की प्रासंगिकता आज भी बरकरार है. नाटक में स्थित परिस्थितियां, हमारे आज के सामाजिक एवं राजनीतिक हालात को प्रतिबिंबित करती हैं.
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इस दिन देख सकते हैं नाटक: नाटक प्रेमी 2, 3 और 4 जून को शाम 7 बजे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में इस नाटक को देखने आ सकते हैं. वहीं शनिवार और रविवार को दोपहर 3:30 बजे भी महेश एलकुंचवार लिखित पार्टी नाटक का मंचन किया जाएगा.
कौन हैं महेश एलकुंचवार? : महेश एलकुंचवार देश के जाने-माने नाटककार हैं. नाट्य लेखन और आलोचनात्मक कार्यों के अलावा उन्होंने 20 से अधिक नाटक लिखे हैं. आधुनिक भारतीय रंगमंच को आकार देने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है. आपके प्रसिद्ध नाटकों में 'होली', 'रक्तपुष्प', 'पार्टी', 'युगांत', 'वाडा चिरेबंदी', 'एका नटाचा मुत्यु', 'आत्मकथा' आदि प्रमुख हैं. आपके नाटकों में नैतिकता, पहचान, धार्मिक तनाव, लैंगिकता संबंधी मुद्दे, मानवीय संबंध और अलगाव जैसे विषय आए हैं. महेश एलकुंचवार को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, (1989) साहित्य अकादमी पुरस्कार (2002), सरस्वती सम्मान (2002) शामिल हैं.