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नेशनल माइनॉरिटी कमीशन के अध्यक्ष का भाजपा संसदीय बोर्ड का सदस्य होना नियमों का उल्लघंन है: सौरभ भारद्वाज

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Published : Oct 23, 2022, 7:43 PM IST

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) ने कहा कि नेशनल माइनॉरिटी कमीशन (National Minority Commission) के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा भाजपा के संसदीय बोर्ड के सदस्य हैं. यह सेंट्रल सर्वेंट नियमों का खुला उल्लघंन है.

सौरभ भारद्वाज
सौरभ भारद्वाज

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) ने कहा कि नेशनल माइनॉरिटी कमीशन (National Minority Commission) के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा का भाजपा संसदीय बोर्ड का सदस्य होना सेंट्रल सर्वेंट नियमों का उल्लघंन है. कहा कि लालपुरा भाजपा की सबसे बड़ी पॉलिटिकल बॉडी "पार्लियामेंट्री बोर्ड" के साथ-साथ भाजपा की सेंट्रल इलेक्शन कमेटी के भी सदस्य हैं.

उन्होंने कहा कि सेंट्रल सर्वेंट नियमों के मुताबिक पब्लिक सर्वेंट किसी विशेष राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हो सकता. ऐसे में इन्हें संवैधानिक पद से हटाया जाए. आम आदमी पार्टी ने गृहमंत्री अमित शाह और सेंट्रल विजिलेंस कमिशन को शिकायत देकर पद से हटाने की मांग की है.

ये भी पढ़ें : AAP का BJP पर अटैक, PM मोदी का कराएं लाई डिटेक्टर और नार्को टेस्ट

सितंबर 2021 में कमीशन का अध्यक्ष बनने के बाद इस्तीफा देकर उन्होंने भाजपा से पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ा था. चुनाव हारने के बाद दोबारा अध्यक्ष बन गए. ऐसी संस्था का अध्यक्ष पूरी तरह से निष्पक्ष होना चाहिए. उसका राजनीति और राजनीतिक पार्टियों से कोई ताल्लुकात नहीं होना चाहिए. जब इकबाल सिंह लालपुरा के बारे में पता किया तो सामने आया कि यह भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता रहे हैं. भाजपा के सभी बुरे कर्मों की वकालत करते हुए टीवी पर नजर आते थे. पिछले साल सितंबर 2021 में इनको नेशनल माइनॉरिटी कमीशन का अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद भी इनसे राजनीति नहीं छूटी‌. पंजाब चुनावों के वक्त दिसंबर 2021 में इन्होंने पद इस्तीफा दिया और भाजपा के टिकट पर पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ा. चुनाव हारने के बाद अप्रैल 2022 में दोबारा से अध्यक्ष बन गए. संवैधानिक संस्था का मजाक किस तरह उड़ाया जा सकता है,‌ उसका सबसे बड़ा उदाहरण नेशनल माइनॉरिटी कमीशन में दिखता है.

भारद्वाज ने कहा कि मैंने गृह मंत्री अमित शाह और सेंट्रल विजिलेंस कमीशन के चेयरमैन सुरेश पटेल को अपनी शिकायत दी है. ईमेल के जरिए भी शिकायत भेजी गई है कि इकबाल सिंह लालपुरा के ऊपर कार्रवाई करते हुए इनको पद से तुरंत हटाया जाना चाहिए. हमने इसमें नियमों का हवाला देते हुए कहा है कि वह जिस संस्था के चेयरमैन हैं, वह एक संवैधानिक संस्था है. भारत सरकार के पैसे से इनको तनख्वाह और अन्य लाभ दिए जाते हैं. ऐसे में यह पब्लिक सर्वेंट की परिभाषा के अंदर आते हैं. ऐसे में पब्लिक सर्वेंट किसी विशेष राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हो सकता. उसे राजनीतिक तौर पर निष्पक्ष होना चाहिए. हमने शिकायत में कई सारे वीडियो दिए हैं.

नेशनल माइनॉरिटी कमीशन के अध्यक्ष के तौर पर जब इनका साक्षात्कार हुआ तो इन्होंने भारतीय जनता पार्टी को कह कर सदस्य की तरह साक्षात्कार दिया. दूसरे राजनीतिक दलों जैसे कि आम आदमी पार्टी, कांग्रेस के ऊपर अटैक किया. भारतीय जनता पार्टी की तारीफें की. वह पूरी तरह से गैर कानूनी है. हमने शिकायत में यूट्यूब के लिंक दिए हैं.

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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) ने कहा कि नेशनल माइनॉरिटी कमीशन (National Minority Commission) के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा का भाजपा संसदीय बोर्ड का सदस्य होना सेंट्रल सर्वेंट नियमों का उल्लघंन है. कहा कि लालपुरा भाजपा की सबसे बड़ी पॉलिटिकल बॉडी "पार्लियामेंट्री बोर्ड" के साथ-साथ भाजपा की सेंट्रल इलेक्शन कमेटी के भी सदस्य हैं.

उन्होंने कहा कि सेंट्रल सर्वेंट नियमों के मुताबिक पब्लिक सर्वेंट किसी विशेष राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हो सकता. ऐसे में इन्हें संवैधानिक पद से हटाया जाए. आम आदमी पार्टी ने गृहमंत्री अमित शाह और सेंट्रल विजिलेंस कमिशन को शिकायत देकर पद से हटाने की मांग की है.

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सितंबर 2021 में कमीशन का अध्यक्ष बनने के बाद इस्तीफा देकर उन्होंने भाजपा से पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ा था. चुनाव हारने के बाद दोबारा अध्यक्ष बन गए. ऐसी संस्था का अध्यक्ष पूरी तरह से निष्पक्ष होना चाहिए. उसका राजनीति और राजनीतिक पार्टियों से कोई ताल्लुकात नहीं होना चाहिए. जब इकबाल सिंह लालपुरा के बारे में पता किया तो सामने आया कि यह भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता रहे हैं. भाजपा के सभी बुरे कर्मों की वकालत करते हुए टीवी पर नजर आते थे. पिछले साल सितंबर 2021 में इनको नेशनल माइनॉरिटी कमीशन का अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद भी इनसे राजनीति नहीं छूटी‌. पंजाब चुनावों के वक्त दिसंबर 2021 में इन्होंने पद इस्तीफा दिया और भाजपा के टिकट पर पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ा. चुनाव हारने के बाद अप्रैल 2022 में दोबारा से अध्यक्ष बन गए. संवैधानिक संस्था का मजाक किस तरह उड़ाया जा सकता है,‌ उसका सबसे बड़ा उदाहरण नेशनल माइनॉरिटी कमीशन में दिखता है.

भारद्वाज ने कहा कि मैंने गृह मंत्री अमित शाह और सेंट्रल विजिलेंस कमीशन के चेयरमैन सुरेश पटेल को अपनी शिकायत दी है. ईमेल के जरिए भी शिकायत भेजी गई है कि इकबाल सिंह लालपुरा के ऊपर कार्रवाई करते हुए इनको पद से तुरंत हटाया जाना चाहिए. हमने इसमें नियमों का हवाला देते हुए कहा है कि वह जिस संस्था के चेयरमैन हैं, वह एक संवैधानिक संस्था है. भारत सरकार के पैसे से इनको तनख्वाह और अन्य लाभ दिए जाते हैं. ऐसे में यह पब्लिक सर्वेंट की परिभाषा के अंदर आते हैं. ऐसे में पब्लिक सर्वेंट किसी विशेष राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हो सकता. उसे राजनीतिक तौर पर निष्पक्ष होना चाहिए. हमने शिकायत में कई सारे वीडियो दिए हैं.

नेशनल माइनॉरिटी कमीशन के अध्यक्ष के तौर पर जब इनका साक्षात्कार हुआ तो इन्होंने भारतीय जनता पार्टी को कह कर सदस्य की तरह साक्षात्कार दिया. दूसरे राजनीतिक दलों जैसे कि आम आदमी पार्टी, कांग्रेस के ऊपर अटैक किया. भारतीय जनता पार्टी की तारीफें की. वह पूरी तरह से गैर कानूनी है. हमने शिकायत में यूट्यूब के लिंक दिए हैं.

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