नई दिल्ली: हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के लाल किला परिसर में आयोजित होने वाला राष्ट्र कवि सम्मेलन इस वर्ष हिंदी भवन सभागार में आयोजित किया गया. जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, हिंदी एकेडमी के उपाध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा, सुप्रसिद्ध गीतकार डॉ कुंवर बेचैन और हिंदी एकेडमी के सचिव डॉ जीतराम हट शामिल हुए. इसके अलावा कई महान कवि इस कवि सम्मेलन में अपनी कला की प्रस्तुति के लिए हिंदी भवन में पहुंचे.
पटरी पर लौट रही जिंदगी
मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली ने कोरोनावायरस महामारी को लेकर भी सभी सावधानियां बरती, और हमारा रिकवरी रेट 98 फ़ीसदी तक रहा. जिसके बाद वैक्सीनेशन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है, हेल्थ केयर वर्कर को वैक्सीन लगाई जा रही है और जल्द ही यह वैक्सीन आम लोगों तक भी पहुंचेगी. इसके अलावा स्कूलों को भी खोल दिया गया है. धीरे-धीरे हम अपनी पिछली जिंदगी में लौट रहे हैं, पिछले साल हमने देखा की महामारी के चलते कोई भी आर्ट एंड कल्चर से जुड़ा कार्यक्रम सम्मेलन आयोजित नहीं हो सका, जिसके बाद यह पहला कवि सम्मेलन आयोजित किया गया है.
हिंदी की लोकप्रियता हो रही कम- सुरेंद्र शर्मा
इसके साथ ही हिंदी अकेडमी के उपाध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि आज के दौर में हिंदी को लेकर लोकप्रियता बहुत कम होती जा रही है, छात्र हिंदी पढ़ना नहीं चाहते हैं लेकिन मैं उन सभी लोगों को बताना चाहता हूं, जो हिंदी को भूल गए हैं कि बेशक अंग्रेजी आपको आगे लेकर जाती है, लेकिन संस्कार अपनी मातृभाषा से ही आते हैं .
गीतकारों ने छेड़े सुर
गीतकार कुंवर बेचैन ने अपनी सुप्रसिद्ध पंक्तियों के साथ कहा कि ' फूल को खार बनाने पर तुली है दुनिया, सबको अंगार बनाने पर तुली है दुनिया, हमको लोहे को गला कर जो खिलौने डाले, उसको हथियार बनाने पर तुली है दुनिया'..... इसके साथ ही हिंदी अकादमी के सचिव जीतराम भट्ट ने इस करोना काल में भी कवि सम्मेलन में उपस्थित हुए सभी कवियों और अतिथियों का धन्यवाद दिया, सम्मेलन में डॉक्टर कीर्ति काले, ताराचंद 'तन्हा', मालविका हरि ओम, संपत सरल, गुणवीर राणा, दिनेश रघुवंशी, डॉ विष्णु सक्सेना जैसे महान कवि शामिल हुए.