नई दिल्ली: रंजीत नगर इलाके में हुए एक हत्याकांड में सीसीटीवी फुटेज मिलने के बावजूद आरोपी को तलाशना पुलिस के लिए बेहद मुश्किल था. पुलिस के पास उसकी कोई पहचान नहीं थी और पहचान होने के बाद जो उसका पता मिला वो भी फर्जी निकला. लेकिन दो साल पहले उसके मालिक के खिलाफ कर्मचारी सत्यापन नहीं कराने की एफआईआर ने पुलिस को महत्वपूर्ण सुराग दे दिया. इस सुराग की मदद से पुलिस टीम ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.
मध्य जिला डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि बीते 2 मई की रात रंजीत नगर इलाके में एक युवक घायल अवस्था में मिला था. उसके सिर पर चोट का निशान था. पहली नजर में यह मामला सड़क हादसे का लग रहा था. घायल को उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया गया जहां 9 मई को उसने दम तोड़ दिया. मृतक की पहचान 40 वर्षीय पृथ्वी पाल के रूप में हुई. वह शादियों एवं पार्टियों में वेटर का काम करता था. पोस्टमार्टम से पता चला कि मृतक के सिर पर चोट के काफी निशान हैं जो सड़क हादसे में नहीं लग सकती. यह हत्या का मामला है. इस बाबत हत्या का मामला दर्ज कर एसीपी दीपक चंद्र की देखरेख में एसएचओ अरुण देव नेहरा ने छानबीन शुरू की.
डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि पुलिस टीम ने आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज कैमरों को खंगाला. इसमें पुलिस को आरोपी दिख गया. इस फुटेज से आरोपी की तस्वीर निकालकर आसपास में उसकी पहचान के लिए प्रयास किये गए. घरों एवं दुकानों में भी घूम घूमकर उसकी पहचान के लिए प्रयास किये गए. इस दौरान पुलिस टीम को एक ढाबा मालिक ने बताया कि यह शख्स सुरेंद्र है. वह लॉकडाउन से पहले उनके ढाबे पर काम करता था. वह नेपाल का रहने वाला है. पुलिस के लिए उसे तलाशना बेहद मुश्किल था. लेकिन ढाबा मालिक ने पुलिस को बताया कि सुरेंद्र का सत्यापन नहीं करवाने के चलते पुलिस ने उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत एफआईआर दर्ज की थी.
पुलिस के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण सुराग था. एफआईआर जब पुलिस ने ढूंढी तो उसके साथ सुरेंद्र का आधार कार्ड और उसका बयान भी मिल गया. आधार कार्ड पर उसका पता फर्जी था. लेकिन बयान में उसका मोबाइल नम्बर पुलिस को मिल गया. इस मोबाइल नंबर को सुरेंद्र अभी भी इस्तेमाल कर रहा था. टेक्निकल सर्विलांस से पुलिस को पता चला कि वह शादीपुर डिपो के पास मौजूद है. इस जानकारी पर पुलिस टीम ने उसे पकड़ लिया. आरोपी ने पुलिस को बताया कि शराब पीने के दौरान हुई कहासुनी में उसने पृथ्वी पर हमला किया था.
डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि दिल्ली पुलिस किरायेदार एवं कर्मचारियों के सत्यापन पर हमेशा जोर देती है. जो लोग सत्यापन नहीं करवाते, उनके खिलाफ पुलिस एफआईआर दर्ज करती है. इस मामले में पुलिस द्वारा लिए गए एक्शन की वजह से ही उनकी टीम को सुराग मिला और वह हत्याकांड को सुलझाने में कामयाब रहे. उन्होंने लोगों से अपील की है कि वह अपने किरायेदार और कर्मचारियों का सत्यापन अवश्य करवाएं. इससे वह अपने क्षेत्र और दिल्ली को सुरक्षित बनाने में पुलिस की मदद कर सकते हैं.
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