नई दिल्ली: दिल्ली में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने डीटीसी ऐप लॉन्च किया था. लॉन्च होने के बाद से ही ऐप पर शिकायतों की झड़ी लगना शुरू हो गई है. ऐप पर लोग किराए से लेकर बस के ड्राइवर और कंडक्टर के व्यवहार से संबंधित शिकायत कर रहे हैं.
शुरुआती 1 महीने में ही ऐप पर 200 से ज्यादा शिकायतें आ चुकी हैं. शिकायतों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.
एक आरटीआई के जवाब में बताया गया है कि 14 फरवरी से 28 फरवरी के बीच ही ऐप के जरिए कुल 85 शिकायतें दर्ज कराई जा चुकी थीं. इसके बाद 8 मार्च तक कुल 187 शिकायतें प्राप्त हुई तो 15 मार्च तक ये आंकड़ा 200 के भी पर पहुंच गया था.
दिन बढ़ने के साथ ही इन आंकड़ों में भी तेजी से इजाफा हो रहा है. साथ ही शिकायतों का समाधान भी किया जा रहा है, जिसके बाद डीटीसी प्रबधंन ऐप के प्रयोग को इस सफल प्रयोग मान रहा है.
किस-किस श्रेणी में शिकायतें
ऐप के माध्यम से मिलने वाली शिकायतों का विभाजन मुख्यतः 5 श्रेणियों में किया गया है. इसमें सबसे पहली श्रेणी किराए से संबंधित समस्या की है. दूसरी रुट व बस चलाने से संबंधित है. तीसरी श्रेणी बस परिचालन कर्मचारी के व्यवहार से संबंधित है.
जिसमें दोनों चालक और संवाहक की किसी भी तरह की शिकायत की जा सकती है. चौथी और पांचवी श्रेणी क्रमशः बस की स्थिति/दशा से संबंधित और विविधि के विषय में है. 8 मार्च तक के आंकड़ों में चालक के खिलाफ कुल 45 शिकायतें प्राप्त हुईं जबकि संवाहक के खिलाफ 7 शिकायतें मिली.
कैसे होता है समाधान!
इस ऐप द्वारा की गई शिकायत के बाद समाधान की स्थिति भी ऐप पर ही प्राप्त होती है. प्रक्रिया के मुताबिक शिकायतकर्ता द्वारा अपनी शिकायत में दी गई जानकारी जैसे रूट नंबर, बस नंबर और समय सही होने पर शिकायत संबंधित डिपो प्रबंधक को ही प्राप्त होती है.
जिस पर डिपो प्रबंधक जरूरी कार्यवाही करने के बाद अपनी टिप्पणी डीटीसी ऐप पर दे देते हैं. यह टिप्पणी शिकायतकर्ता को प्राप्त होती है.
8 मार्च तक के आंकड़ों को देखें तो आई कुल 187 शिकायतों में से 146 शिकायतों का निपटारा कर दिया गया था जबकि इसमें 41 शिकायतें विचाराधीन थीं.
बता दें कि ऐप से पहले तक लोगों को अपनी डीटीसी संबंधित शिकायत के लिए डीटीसी की सेंट्रल हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करना पड़ता था, जिसके बाद यह शिकायत आगे बढ़ाई जाती थी. अक्सर हेल्पलाइन नंबर नहीं लगने की समस्या तो होती ही थी, साथ ही शिकायत की कार्रवाई के विषय में जानना भी बहुत आसान नहीं था.