नई दिल्ली: फाइनल ईयर और पूर्व छात्रों की ऑनलाइन ओपन बुक (ओबीई) परीक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय में जारी है. ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा को लेकर छात्रों की परेशानी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. जहां पहले सिर्फ तकनीकी खामियां से ही छात्र जूझ रहे थे. वहीं अब गलत प्रश्न पत्र मिलने से समस्या और बढ़ गई है.
बता दें कि छात्रों का कहना है कि आज मॉडर्न पॉलिटिकल फिलासफी का पेपर था. लेकिन उन्हें मॉक टेस्ट का पेपर दे दिया गया और फिर छात्रों की शिकायत के बाद कुछ देर में सही पेपर अपलोड किया गया. ऐसे में छात्रों के पास यह तक दिशानिर्देश नहीं दिए गए कि वह कौन सा पेपर करें. वहीं इस समस्या को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य प्रो. राजेश झा का कहना है कि डीयू की इस तरह की कार्यप्रणाली से विश्वविद्यालय की बदनामी हो रही है. ऐसे में इस परीक्षा को तत्काल स्थगित कर देना ही बेहतर होगा.
ओबीई में छात्रों की परेशानी बरकरार
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में तमाम विरोध के बीच ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है. वहीं आए दिन किसी न किसी परेशानी से दो-चार हो रहे छात्रों की यही शिकायत थी कि प्रश्नपत्र तय समय से बहुत लंबा और कठिन होता है और उन्हें उत्तर पुस्तिका अपलोड करने में तकनीकी तौर पर दिक्कतें आती हैं.
आज तो छात्रों ने विश्वविद्यालय पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया है. छात्रों की शिकायत है कि उन्हें मॉडर्न पॉलिटिकल फिलासफी का मुख्य परीक्षा का प्रश्न पत्र देने के बजाय मॉक टेस्ट का प्रश्न पत्र दे दिया गया. साथ ही इस लापरवाही पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से किसी तरह का कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया गया.
'योजनाबद्ध तरीके से नहीं हो रहा काम'
वहीं प्रश्न पत्र में हुई इस लापरवाही के मामले को लेकर एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य प्रोफेसर राजेश झा ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने आनन-फानन में केवल अपनी जिद पूरी करने के लिए परीक्षा आयोजित की है और इस तरह की गलतियां यह दर्शाती है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ऑनलाइन ओपन परीक्षा के लिए बिल्कुल भी योजनाबद्ध तरीके से काम नहीं कर रहा है.
'अधिकारियों को नहीं थी जानकारी'
प्रोफेसर राजेश झा ने कहा कि छात्रों के पास मॉक टेस्ट का पेपर पहुंचने के बाद उन्होंने शिक्षकों से संपर्क किया पर शिक्षकों के पास भी इस तरह की कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने आगे प्रशासनिक अधिकारियों से बात की, जिसमें काफी समय बर्बाद हुआ. जिसके बाद मुख्य परीक्षा का प्रश्न पत्र पोर्टल पर अपलोड किया गया.
अब छात्रों के सामने सबसे बड़ा सवाल यह था कि अगर वह पहले अपलोड किया हुआ पेपर छोड़ दें और नया पेपर करना शुरू करें तो उनका जो समय बर्बाद हुआ है, वह उन्हें दोबारा दिया जाएगा या नहीं. कौन सा प्रश्न पत्र उन्हें करना है और कौन सा छोड़ना है. इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं थी. वहीं प्रो. झा ने कहा कि रोजाना इस तरह की खामियों से जहां छात्र तनावग्रस्त हो रहे हैं. वहीं हर जगह विश्वविद्यालय की बदनामी हो रही है. इसलिए इस परीक्षा को तत्काल प्रभाव से रद्द करना ही इसका एकमात्र उपचार है.