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NSD में बंसी कौल की स्मृतियों को किया गया याद, सबने साझा किए उनके साथ बिताए पल - Senior Drama Artist Padma Shri Bansi Kaul no more

प्रख्यात रंगकर्मी व वर्ष 2014 में पद्मश्री से सम्मानित बंसी कौल (72) ने फरवरी को द्वारका सेक्टर-7 स्थित अपने आवास पर सुबह 8 बजकर 46 मिनट पर अंतिम सांस ली थी. ऐसे में शुक्रवार को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में बंसी कौल को श्रद्धांजलि अर्पित करने और उनसे जुड़ी स्मृतियों को साझा करने के लिए स्मृति सभा का आयोजन किया गया.

remember late padma shri bansi kaul
NSD में बंसी कौल की स्मृतियों को किया गया याद
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Published : Feb 12, 2021, 10:49 PM IST

नई दिल्ली: प्रख्यात रंगकर्मी पद्मश्री बंसी कौल का 6 फरवरी सुबह दिल्ली के द्वारका में निधन हो गया हैं. वे काफी दिनों से लंबी बीमारी से ग्रस्त चल रहे थे. जिसके बाद शुक्रवार को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में बंसी कौल को श्रद्धांजलि अर्पित करने और उनसे जुड़ी स्मृतियों को साझा करने के लिए स्मृति सभा का आयोजन किया गया. जिसमें बंसी कौल की धर्मपत्नी अंजना कौल, एनएसडी के डायरेक्टर सुरेश शर्मा, टीआईई के डायरेक्टर अब्दुल लतीफ खटाना समेत डिजिटल माध्यम से एनएसडी के चेयरमैन परेश रावल और पदाधिकारी एवं कलाकार शामिल हुए.

NSD में बंसी कौल की स्मृतियों को किया गया याद

'थिएटर हमेशा जिंदा रहना चाहिए'

सभी लोगों ने कलाकार बंसी कॉल से जुड़ी अपनी स्मृतियों को साझा किया. इस सभा में बंसी कौल की धर्मपत्नी अंजना कौल ने उनको याद करते हुए कहा उनका योगदान सराहनीय है, जो हमेशा याद रहेगा वह हमारी स्मृतियों में हमेशा जिंदा रहेंगे. उन्होंने जो हमें दिया है, उसे आगे बढ़ाना है, अंजना ने बताया कि आखिरी समय में भी वह थिएटर को लेकर चिंतित रहे. उन्होंने कहा कि थिएटर हमेशा जिंदा रहना चाहिए, कलाकार हमेशा कला को लेकर आगे जाने चाहिए और अब हमें उनकी इच्छाओं को पूरा करना है.

'उनके जाने से हम सभी को बहुत बड़ा नुकसान'

स्मृति सभा में बंसी कौल के मित्र, उनके छात्र, उनके साथ ही तमाम कलाकार शामिल हुए और उनसे जुड़ी तमाम यादों को साझा किया. इस मौके पर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के डायरेक्टर सुरेश शर्मा उन्हें याद करते हुए बेहद भावुक हो गए और कहा कि वह मेरे भाई की तरह थे, हमने कई वर्ष एक साथ गुजारे हम एक साथ रहा करते थे, हम एक दूसरे को बहुत प्यार भी करते थे और एक दूसरे से लड़ाई भी करते थे, लेकिन उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया, उनके जाने से हम सभी को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है.

'रंग विदूषक नाम से अपनी संस्था की शुरुआत की'

सुरेश शर्मा ने कहा कि उन्होंने एनएसडी से ग्रेजुएशन की थी जिसके बाद उन्होंने भोपाल में 'रंग विदूषक' नाम से अपनी संस्था की शुरुआत की थी, जिसने न केवल देश में बल्कि दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई ओ ने कहा कि उनके जाने से थिएटर जगत को बड़ा नुकसान हुआ है. वह जाने-माने डिजाइनर कलाकार रहे और अपने अंतिम समय में भी थिएटर और कलाकारों को लेकर काफी चिंतित थे, वह हमेशा ना केवल थिएटर और कला बल्कि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय को लेकर बात करते थे.

'अचानक से जाना बेहद कष्टदायी'

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में अभिनय सिखाने वाले प्रोफेसर दिनेश खन्ना ने कहा कि बंसी कौल जी की अभी ज्यादा उम्र भी नहीं थी, ऐसे अचानक से उनका चले जाना हम सभी के लिए बेहद कष्टदायी है, दुख इस बात का है कि उनके जैसा कलाकार डायरेक्टर और डिजाइनर हम सभी ने खो दिया.

ये भी पढ़ें:-रिंकू शर्मा हत्या मामला: सुरक्षा बल तैनात, ड्रोन से निगरानी

'20 सालों तक बंसी कॉल से मुलाकात नहीं हो पाई'

एनएसडी में थिएटर इन एजुकेशन के डायरेक्टर अब्दुल लतीफ खताना ने बताया बंसी कौल का जन्म श्रीनगर में हुआ था, और वह भी कश्मीर से हैं. ऐसे में उन दोनों के बीच हमेशा से कश्मीर के कल्चर और कला को लेकर बात होती थी, वह कश्मीर के कल्चर और थिएटर को आगे लेकर जाना चाहते थे, उसको लेकर काम करना चाहते थे अब्दुल लतीफ खताना ने बताया कि शुरुआत में करीब 20 सालों तक बंसी कॉल से मुलाकात नहीं हो पाई, वह हमेशा लोगों से घिरे रहते थे, लेकिन जब उनसे मुलाकात हुई तो काफी कुछ सीखने को मिला.

नई दिल्ली: प्रख्यात रंगकर्मी पद्मश्री बंसी कौल का 6 फरवरी सुबह दिल्ली के द्वारका में निधन हो गया हैं. वे काफी दिनों से लंबी बीमारी से ग्रस्त चल रहे थे. जिसके बाद शुक्रवार को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में बंसी कौल को श्रद्धांजलि अर्पित करने और उनसे जुड़ी स्मृतियों को साझा करने के लिए स्मृति सभा का आयोजन किया गया. जिसमें बंसी कौल की धर्मपत्नी अंजना कौल, एनएसडी के डायरेक्टर सुरेश शर्मा, टीआईई के डायरेक्टर अब्दुल लतीफ खटाना समेत डिजिटल माध्यम से एनएसडी के चेयरमैन परेश रावल और पदाधिकारी एवं कलाकार शामिल हुए.

NSD में बंसी कौल की स्मृतियों को किया गया याद

'थिएटर हमेशा जिंदा रहना चाहिए'

सभी लोगों ने कलाकार बंसी कॉल से जुड़ी अपनी स्मृतियों को साझा किया. इस सभा में बंसी कौल की धर्मपत्नी अंजना कौल ने उनको याद करते हुए कहा उनका योगदान सराहनीय है, जो हमेशा याद रहेगा वह हमारी स्मृतियों में हमेशा जिंदा रहेंगे. उन्होंने जो हमें दिया है, उसे आगे बढ़ाना है, अंजना ने बताया कि आखिरी समय में भी वह थिएटर को लेकर चिंतित रहे. उन्होंने कहा कि थिएटर हमेशा जिंदा रहना चाहिए, कलाकार हमेशा कला को लेकर आगे जाने चाहिए और अब हमें उनकी इच्छाओं को पूरा करना है.

'उनके जाने से हम सभी को बहुत बड़ा नुकसान'

स्मृति सभा में बंसी कौल के मित्र, उनके छात्र, उनके साथ ही तमाम कलाकार शामिल हुए और उनसे जुड़ी तमाम यादों को साझा किया. इस मौके पर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के डायरेक्टर सुरेश शर्मा उन्हें याद करते हुए बेहद भावुक हो गए और कहा कि वह मेरे भाई की तरह थे, हमने कई वर्ष एक साथ गुजारे हम एक साथ रहा करते थे, हम एक दूसरे को बहुत प्यार भी करते थे और एक दूसरे से लड़ाई भी करते थे, लेकिन उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया, उनके जाने से हम सभी को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है.

'रंग विदूषक नाम से अपनी संस्था की शुरुआत की'

सुरेश शर्मा ने कहा कि उन्होंने एनएसडी से ग्रेजुएशन की थी जिसके बाद उन्होंने भोपाल में 'रंग विदूषक' नाम से अपनी संस्था की शुरुआत की थी, जिसने न केवल देश में बल्कि दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई ओ ने कहा कि उनके जाने से थिएटर जगत को बड़ा नुकसान हुआ है. वह जाने-माने डिजाइनर कलाकार रहे और अपने अंतिम समय में भी थिएटर और कलाकारों को लेकर काफी चिंतित थे, वह हमेशा ना केवल थिएटर और कला बल्कि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय को लेकर बात करते थे.

'अचानक से जाना बेहद कष्टदायी'

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में अभिनय सिखाने वाले प्रोफेसर दिनेश खन्ना ने कहा कि बंसी कौल जी की अभी ज्यादा उम्र भी नहीं थी, ऐसे अचानक से उनका चले जाना हम सभी के लिए बेहद कष्टदायी है, दुख इस बात का है कि उनके जैसा कलाकार डायरेक्टर और डिजाइनर हम सभी ने खो दिया.

ये भी पढ़ें:-रिंकू शर्मा हत्या मामला: सुरक्षा बल तैनात, ड्रोन से निगरानी

'20 सालों तक बंसी कॉल से मुलाकात नहीं हो पाई'

एनएसडी में थिएटर इन एजुकेशन के डायरेक्टर अब्दुल लतीफ खताना ने बताया बंसी कौल का जन्म श्रीनगर में हुआ था, और वह भी कश्मीर से हैं. ऐसे में उन दोनों के बीच हमेशा से कश्मीर के कल्चर और कला को लेकर बात होती थी, वह कश्मीर के कल्चर और थिएटर को आगे लेकर जाना चाहते थे, उसको लेकर काम करना चाहते थे अब्दुल लतीफ खताना ने बताया कि शुरुआत में करीब 20 सालों तक बंसी कॉल से मुलाकात नहीं हो पाई, वह हमेशा लोगों से घिरे रहते थे, लेकिन जब उनसे मुलाकात हुई तो काफी कुछ सीखने को मिला.

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