नई दिल्ली: भारत और अफ्रीकी देशों के बीच कपड़ा और कपास उद्योगों के क्षेत्र में व्यापार व वाणिज्य अनुसंधान गतिविधियों में सहयोग को बढ़ावा देने की तरफ एक कदम और बढ़ाया गया. उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दिल्ली विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय हथकरघा और हस्तशिल्प विकास परिषद (एनसीएचएचडी), (पूर्व में कोहैंड्स) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया. इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि यह एमओयू दिल्ली विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय हथकरघा परिषद दोनों के लिए पारस्परिक रूप से फायदेमंद होगा.
समझौता ज्ञापन के अवसर पर डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि भारत और दक्षिण अफ्रीका में हस्तशिल्प क्षेत्र में कारीगरों की बेहतरी के लिए हस्तशिल्प गतिविधियों, सामाजिक आर्थिक स्थिति, समस्याओं और चुनौतियों, विपणन रणनीतियों, पारंपरिक कला और शिल्प की सुरक्षा अथवा संरक्षण और प्रचार आदि का अध्ययन करने के उद्देश्य से इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
एनसीएचएचडी 30 राज्य और केंद्रीय हस्तशिल्प और हथकरघा सरकारी निगमों का एक शीर्ष निकाय है, जो एमएसएमई मंत्रालय की एक नोडल एजेंसी है. यह संस्कृति मंत्रालय, कपड़ा और अन्य मंत्रालयों, सिडबी आदि के साथ भी काम करती है. क्षमता निर्माण, आजीविका सृजन और बाजार संवर्धन के लिए हस्तशिल्प में लगे जमीनी स्तर के संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों और छोटे उद्यमियों की सहायता करता है. एनसीएचएचडी का मुख्य लक्ष्य और उद्देश्य विचार उत्पन्न करना, कारीगरों और सीमांत समुदायों की सामाजिक और आर्थिक प्रोफ़ाइल को बढ़ाना और संबंधित क्षेत्र के समग्र कल्याण को आधार प्रदान करना है.
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अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. योगेश सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, सामाजिक विज्ञान संकाय के अफ्रीकी अध्ययन विभागाध्यक्ष प्रो. गजेंद्र सिंह, राष्ट्रीय हथकरघा और हस्तशिल्प विकास परिषद (एनसीएचएचडी) के कार्यकारी निदेशक वीपी ठाकुर, एनसीएचएचडी के परियोजना अधिकारी सुरेंद्र कुमार और प्रदीप यादव उपस्थित रहे.
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