नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के लाल किले मैदान में आयोजित लव कुश रामलीला में सातवें दिन मंचन की शुरूआत हनुमान जी के लंका दहन कर लौटने से हुई. मंचन के शुरुआत में भगवान श्रीराम और वानर सेना हनुमान के लंका से लौटने का इंतजार कर रही थी. लंका दहन के बाद हनुमान वापस आए और उन्होंने भगवान श्री राम को माता सीता के सही सलामत होने के बारे में सूचना दी. साथ ही माता सीता के द्वारा निशानी के तौर पर दिए गए जुड़े को भगवान राम को सौंप दिया.
रामलीला में दूसरा दृश्य समुद्र को पार करने का था. इस दौरान भगवान श्रीराम ने गुस्से में आकर समुद्र को नष्ट करने की ठानी. इसके बाद समुद्र देव प्रकट हुए और भगवान राम से क्षमा मांगी. समुद्र को पार करने के लिए श्रीराम नाम के पत्थरों को वानर सेना ने समुद्र में डाला. तीसरा अंगद का गुप्तचर बनकर लंका पहुंचना और रावण को समझाना था. उसके बाद चौथा दृश्य रावण के द्वारा भगवान श्रीराम के वानर सेवा के साथ समुद्र पार करने की सूचना पर अपने सेना के पदाधिकारी और मंत्रियों और अपने भाई विभीषण और पुत्र मेघनाथ के साथ राय लेना. जिसमें विभीषण ने उन्हें सीता मां को भगवान श्रीराम के पास वापस भेजने की बात की. इसके कारण रावण आग बबूला हो गया और उसने विभीषण को लंका से बाहर कर दिया.
रामलीला में पांचवा दृश्य रावण के पुत्र मेघनाथ और लक्ष्मण के बीच युद्ध रहा. काफी देर तक युद्ध चला और मेघनाथ ने अंत में ब्रह्म शक्ति का प्रयोग कर लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया. इसकी खबर राम को मिली. जिससे राम रोते हुए परेशान हो गए. लक्ष्मण को जीवित करने के लिए महर्षि वैद्य को बुलाया गया और उन्होंने संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा. संजीवनी बूटी लाने के लिए हनुमान को भेजा गया. यह खबर रावण को मिली और रावण ने हनुमान को रोकने के लिए काल्मेनी नामक राक्षस को हिमालय पर हनुमान को रोकने के लिए भेज दिया. आज रामलीला में यही मंचन हुआ. अंत में रामलीला के मंचन पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल पहुंचे और उन्होंने रामलीला के समय पर भगवान श्रीराम माता सीता और लक्ष्मण की आरती की.
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