नई दिल्ली: मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्रों द्वारा की जा रही मांग अब जोर पकड़ रही है. छात्रों द्वारा कहा जा रहा है कि अब अस्पताल में अन्य स्वास्थ्य सेवाओं को शुरू किया जाए. इसी कड़ी में तमाम छात्रों ने एलएनजेपी के मेडिकल डायरेक्टर के दफ्तर के बाहर दूसरे दिन धरना दिया.
डायरेक्टर के दफ्तर के बाहर मेडिकल छात्रों का धरना 'छात्रों की पढ़ाई हो रही बाधित'सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर आकाश यादव ने कहा नेशनल मेडिकल काउंसिल द्वारा ये कहा गया था कि 1 दिसंबर से सभी मेडिकल कॉलेजों को पढ़ाई के लिए खोला जाए. जिससे कि जो छात्र वहां पर पढ़ रहे हैं, वो अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें. उन्होंने कहा कि मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और एलएनजेपी अस्पताल में पिछले 10 महीने से केवल कोरोना से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाएं ही दी जा रही हैं, जिसके चलते अंडर ग्रेजुएशन के जो छात्र अलग-अलग विषयों पर पढ़ाई कर रहे हैं, उनकी क्लासेज नहीं लग रही हैं, उनकी पढ़ाई पूरी तरीके से बंद है. इसके अलावा जो पीजी के छात्र अलग-अलग विषयों पर शोध करते हैं, वह भी नहीं हो पा रहा है.
'शुरू की जाएं अन्य सेवाएं'
मेडिकल डायरेक्टर के ऑफिस के बाहर धरने पर बैठी डॉक्टर अंजलि ने बताया कि हम तीन मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं. जिसमें पहली मांग ये है कि जो यूजी और पीजी के छात्र हैं, उनका एकेडमिक सेशन शुरू हो. इसके अलावा अस्पताल में नॉन कोविड-19 स्वास्थ्य सेवाएं भी शुरू की जाएं. उन्होंने कहा कि पिछले 10 महीनों से यूजी और पीजी के मेडिकल छात्र केवल कोरोना से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाएं ही देख रहे हैं, जो छात्र अलग-अलग विषयों में पढ़ाई के लिए मेडिकल फील्ड में आए हैं, वो अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.
'खाली हैं करीब 1800 बेड'
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे फाइनल ईयर के छात्र डॉ अजय कुमार ने बताया कि नेशनल मेडिकल काउंसिल ने 1 दिसंबर से ये ऐलान किया था कि सभी मेडिकल कॉलेज खोले जाने चाहिए. चाहे वो दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आते हैं या फिर अन्य कॉलेज है. ऐसे में कुछ मेडिकल कॉलेज खुल चुके हैं. जहां पर छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन अभी भी बहुत से कॉलेज है जो बंद है. इसके चलते मेडिकल के छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है. छात्रों ने कहा कि लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल 2000 बेड की क्षमता वाला अस्पताल है और जब कोरोना पीक पर था, तब भी अस्पताल में केवल 800 बेड ही मरीजों से भरे थे. यानी कि 1 हजार बेड हमेशा खाली थे और अभी मौजूदा समय में केवल 166 बेड की मरीजों से बुक हैं, बाकी बेड खाली पड़े हुए हैं. ऐसे में अस्पताल में अन्य स्वास्थ्य सेवाएं भी शुरू की जा सकती है.