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पढ़ाई के लिए छात्र कर रहे विदेश का रूख, जॉब अपॉर्चुनिटी और लागत का आकलन कर ले रहे निर्णय

सीयूईटी परीक्षा के बाद डीयू में नामांकन के लिए छात्र प्रयासरत हैं. इसके अलावा ज्यादातर छात्र पढ़ाई के लिए विदेशों का रूख कर रहे हैं. एक सर्वे के अनुसार 2024 तक करीब 18 लाख बच्चे विदेश में पढ़ाई कर रहे होंगे. विदेशों में पढ़ाई करने का निर्णय बच्चे जॉब अपॉर्चुनिटी और शिक्षा पर पड़ने वाले खर्चे और विदेशों में रहने की लागत का आकलन कर लेते हैं.

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Published : Jul 26, 2023, 10:54 AM IST

अप्लाईबोर्ड के चीफ एक्सपीरियंस ऑफिसर करुण कंडोई

नई दिल्ली: सीयूइटी परीक्षा के परिणाम आने के बाद छात्रों के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. छात्रों के बीच सबसे अधिक प्रतिस्पर्धा दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में नांमांकन को लेकर है. सीयूइटी के परीक्षा परिणाम में जिन छात्रों के स्कोर अपेक्षा से कम हैं, उनमें एक नया ट्रेंड देखा जा रहा है. ऐसे छात्र पढ़ाई के लिए विदेशों का रूख कर रहे हैं और जो छात्र विदेश जाने में सक्षम नहीं हैं वो नीजी विश्वविद्यालय में नामांकन ले रहे हैं. विदेशों में पढ़ाई करने का निर्णय बच्चे जॉब अपॉर्चुनिटी और शिक्षा पर पड़ने वाले खर्चे और विदेशों में रहने की लागत का आकलन कर लेते हैं.

2024 तक करीब 18 लाख बच्चे करेंगे विदेश में पढ़ाई

अप्लाईबोर्ड के चीफ एक्सपीरियंस ऑफिसर करुण कंडोई कहते हैं कि कुछ अनुसंधानों और रिपोर्ट्स के अनुसार 2024 तक करीब 18 लाख बच्चे विदेश में पढ़ाई कर रहे होंगे. विदेश मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगें कि 2021-22 में चार से साढ़ें सात लाख बच्चे उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए. इन आकड़ों में एक साल के अंदर 17% की वृद्धि है. उन्होंने कहा कि अप्लाईबोर्ड ने एक सर्वे किया था जिसके अनुसार यह सामने आया है कि 80% बच्चे पोस्ट ग्रेजुएशन में क्या जॉब अपॉर्चुनिटी हैं उस पर ध्यान देते हैं, जबकि 85% बच्चों के लिए शिक्षा पर पड़ने वाले खर्चे और विदेशों में रहने की लागत मैटर करती है, जिसके आधार पर वे निर्णय लेते हैं.

लगातार बढ़ रही विदेश में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या

कंडोई ने कहा कि पिछले कुछ वर्षो में भारत से विदेश जाने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है जो आने वाले समय में और बढ़ेगी. विदेशों में पढ़ाई को लेकर एक और ट्रेंड सेट हो रहा है. वो यह है कि बच्चे पहले ट्रेडिशनल कंट्रीज जैसे यूएस, यूके, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ही पढ़ने के लिए जाते थे, लेकिन इन सबसे हटकर अब वो यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया और दूसरी जगह जहां पढ़ाई के खर्चे कम है. क्वालिटी एजुकेशन के साथ-साथ जॉब अपॉर्चुनिटी अच्छी है वहां पर विकल्प देख रहे हैं.

ये भी पढ़ें: CUET अगर नहीं हुई अच्छी, तो भी छात्रों के पास है कई विकल्प : प्रो. हरप्रीत कौर

बेहतर रिसर्च के बाद ही करे अप्लाई

कंडोई कहते हैं कि पढ़ाई के लिए कहीं भी जाने का मन बनाने से पहले आप जिस भी कंट्री में पढ़ना चाहते हैं, उसकी अच्छे से रिसर्च कर लें. जब आप किसी दूसरे देश में जाना चाहते हैं या आवेदन करते हैं तो उसमें सबसे बड़ा फैक्टर है वहां की जानकारी होना. दूसरी बड़ी कठिनाई एप्लीकेशन प्रोसेस की है. बच्चे को यह जानना आवश्यक है कि मैं कब, कहां, कैसे अप्लाई करुं. अप्लाईबोर्ड का क्विक सर्च एआई बेस्ड टूल के द्वारा बच्चे 1.5 लाख प्रोग्राम में से अपने लिए सही स्कूल, राइट फिट प्रोग्राम, सही कंट्री सर्च कर पाते हैं.

ये भी पढ़ें: एयूडी में छात्रों सीयूईटी के तहत मिलेगा एडमिशन, दिल्ली के छात्रों के लिए 85 फीसदी सीट आरक्षित रहेगी

अप्लाईबोर्ड के चीफ एक्सपीरियंस ऑफिसर करुण कंडोई

नई दिल्ली: सीयूइटी परीक्षा के परिणाम आने के बाद छात्रों के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. छात्रों के बीच सबसे अधिक प्रतिस्पर्धा दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में नांमांकन को लेकर है. सीयूइटी के परीक्षा परिणाम में जिन छात्रों के स्कोर अपेक्षा से कम हैं, उनमें एक नया ट्रेंड देखा जा रहा है. ऐसे छात्र पढ़ाई के लिए विदेशों का रूख कर रहे हैं और जो छात्र विदेश जाने में सक्षम नहीं हैं वो नीजी विश्वविद्यालय में नामांकन ले रहे हैं. विदेशों में पढ़ाई करने का निर्णय बच्चे जॉब अपॉर्चुनिटी और शिक्षा पर पड़ने वाले खर्चे और विदेशों में रहने की लागत का आकलन कर लेते हैं.

2024 तक करीब 18 लाख बच्चे करेंगे विदेश में पढ़ाई

अप्लाईबोर्ड के चीफ एक्सपीरियंस ऑफिसर करुण कंडोई कहते हैं कि कुछ अनुसंधानों और रिपोर्ट्स के अनुसार 2024 तक करीब 18 लाख बच्चे विदेश में पढ़ाई कर रहे होंगे. विदेश मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगें कि 2021-22 में चार से साढ़ें सात लाख बच्चे उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए. इन आकड़ों में एक साल के अंदर 17% की वृद्धि है. उन्होंने कहा कि अप्लाईबोर्ड ने एक सर्वे किया था जिसके अनुसार यह सामने आया है कि 80% बच्चे पोस्ट ग्रेजुएशन में क्या जॉब अपॉर्चुनिटी हैं उस पर ध्यान देते हैं, जबकि 85% बच्चों के लिए शिक्षा पर पड़ने वाले खर्चे और विदेशों में रहने की लागत मैटर करती है, जिसके आधार पर वे निर्णय लेते हैं.

लगातार बढ़ रही विदेश में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या

कंडोई ने कहा कि पिछले कुछ वर्षो में भारत से विदेश जाने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है जो आने वाले समय में और बढ़ेगी. विदेशों में पढ़ाई को लेकर एक और ट्रेंड सेट हो रहा है. वो यह है कि बच्चे पहले ट्रेडिशनल कंट्रीज जैसे यूएस, यूके, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ही पढ़ने के लिए जाते थे, लेकिन इन सबसे हटकर अब वो यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया और दूसरी जगह जहां पढ़ाई के खर्चे कम है. क्वालिटी एजुकेशन के साथ-साथ जॉब अपॉर्चुनिटी अच्छी है वहां पर विकल्प देख रहे हैं.

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बेहतर रिसर्च के बाद ही करे अप्लाई

कंडोई कहते हैं कि पढ़ाई के लिए कहीं भी जाने का मन बनाने से पहले आप जिस भी कंट्री में पढ़ना चाहते हैं, उसकी अच्छे से रिसर्च कर लें. जब आप किसी दूसरे देश में जाना चाहते हैं या आवेदन करते हैं तो उसमें सबसे बड़ा फैक्टर है वहां की जानकारी होना. दूसरी बड़ी कठिनाई एप्लीकेशन प्रोसेस की है. बच्चे को यह जानना आवश्यक है कि मैं कब, कहां, कैसे अप्लाई करुं. अप्लाईबोर्ड का क्विक सर्च एआई बेस्ड टूल के द्वारा बच्चे 1.5 लाख प्रोग्राम में से अपने लिए सही स्कूल, राइट फिट प्रोग्राम, सही कंट्री सर्च कर पाते हैं.

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