नई दिल्ली: मुखर्जी नगर के एक कोचिंग सेंटर में आग लगने की घटना के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने बिना फायर एनओसी के चल रहे सभी कोचिंग सेंटर को एक महीने के अंदर बंद कराने का आदेश 25 जुलाई को दिया था. दिल्ली हाईकोर्ट के इस आदेश को 50 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक अधिकांश कोचिंग सेंटर बिना एनओसी के चल रहे हैं. दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद बिना फायर एनओसी के चल रहे 746 कोचिंग सेंटर को नोटिस भेजे थे.
नोटिस में कहा था कि 30 दिन के नियमों को पूरा करके फायर एनओसी ले लीजिए. नहीं लेने पर कार्रवाई की जाएगी. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को अब डेढ़ महीने से अधिक समय बीत चुका है. इसके बावजूद मुखर्जी नगर, जीटीबी नगर, करोल बाग और लक्ष्मी नगर जैसी जगहों पर पहले की तरह उन्हीं इमारतों में धड़ल्ले से कोचिंग सेंटर संचालित हो रहे हैं, जिनमें पहले हो रहे थे. इनमें से अधिकांश इमारतों में आपात स्थिति में निकलने के लिए न तो दो रास्ते (दरवाजे) हैं और न ही इनकी सीढियां डेढ़ मीटर चौड़ी हैं.
कुछ ऐसे भी कोचिंग सेंटर हैं, जो इमारतों के बेसमेंट और संकरी गलियों में संचालित हो रहे हैं. इनके दरवाजों के पास ही बिजली के मीटर भी लगे हैं जो हादसे को दावत दे रहे हैं. हालांकि, मुखर्जी नगर में भंडारी हाउस नाम की जिस इमारत में आग लगी थी, उसमें बिजली के मीटर अब बाहर की दीवार पर लगा दिए गए हैं.
कई कोचिंग संस्थानों की हालत जस-की-तसः लक्ष्मीनगर में संचालित शील्ड आईएएस के निदेशक ने बताया कि निगम से फायर एनओसी लेने को लेकर उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला था. लेकिन उन्होंने फायर एक्सटिंग्विशर की व्यवस्था कर ली है. वहीं, अन्य कोचिंग सेंटर संचालकों ने बताया कि उनके पास अभी तक एमसीडी की ओर से कार्रवाई को लेकर कोई सूचना नहीं है.
लक्ष्मीनगर, शकरपुर, ललिता पार्क और विकास मार्ग पर बहुत ही पतली गलियों और बहुत कम चौड़ाई वाली सीढ़ियों की इमारतों में चल रहे कोचिंग सेंटरों की हालत जस की तस है. इन कोचिंग सेंटरों वाली इमारतों की स्थिति ऐसी है कि अगर उनमें किसी तरीके से आग लग जाए तो निकलना नामुमकिन है. कई ऐसे कोचिंग सेंटर जहां काफी कम जगह है.
लक्ष्मी नगर में भी कई कोचिंग बिना एनओसी के संचालितः उल्लेखनीय है कि मुखर्जी नगर के बाद लक्ष्मी नगर का इलाका दूसरे सबसे बड़े कोचिंग सेंटर हब के रूप में जाना जाता है. यहां पर बड़ी संख्या में चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए), एसएससी, यूपीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए 100 से ज्यादा कोचिंग सेंटर संचालित किए जा रहे हैं. मुख्य रूप से लक्ष्मी नगर सीए की कोचिंग के लिए जाना जाता है. लेकिन यहां कुछ कंप्यूटर सेंटर और इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स कराने वाले सेंटर भी खुले हुए हैं.
लक्ष्मी नगर का इलाका काफी सघन आबादी वाला है. यहां की गलियां बहुत छोटी-छोटी हैं, जिनमें कोचिंग सेंटर चल रहे हैं. इन गलियों में बिजली और इंटरनेट के तारों का जंजाल बना हुआ है, जिनमें शॉर्ट सर्किट होने का खतरा बना रहता है. एक-एक इमारत में तीन-तीन, चार-चार कोचिंग सेंटर चल रहे हैं, जिनमें कभी भी कोई हादसा होने पर तबाही मच सकती है.
निगम अधिकारी का नहीं आया कोई जवाबः इन कोचिंग सेंटरों में इमारतों में आने जाने का एक ही रास्ता है और सीढियां भी काफी तंग बनी हुई हैं, जिनसे कभी आपातस्थिति में जल्दी से उतर के निकलना हो तो वह संभव नहीं है. ऐसे में कभी आग लगने की घटना होने पर यहां बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है. यहां पर जितनी भी इमारतें हैं वे सभी एक दूसरे से सटकर बनी हुई हैं, जिनमें अगर एक इमारत में आग लगने की घटना होती है तो निश्चित तौर पर वह आग दूसरी इमारत को भी अपनी चपेट में ले लेगी और तारों का जंजाल होने के कारण आग बुझाना भी बहुत मुश्किल होगा. निगम द्वारा इन कोचिंग सेंटरों को नोटिस देने के बारे में जब निगम के प्रेस सूचना निदेशक अमित कुमार से फोन और मैसेज के माध्यम से निगम द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट की समय सीमा बीतने के बाद पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उनका कोई जवाब नहीं मिला.
फायर एनओसी के लिए हैं ये नियम
- नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुसार एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में जहां 100 से ज्यादा छात्र हों, वहां बाहर जाने के रास्ते दो होने चाहिए.
- सीढ़ियों के लिए 1.50 मीटर की जगह होनी चाहिए. एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के लिए नौ मीटर से ऊंची इमारत के लिए एनओसी अनिवार्य है.
- ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर सिस्टम (आग बुझाने की पाइपलाइन) का डिजाइन और इंस्टालेशन भारतीय ब्यूरो द्वारा प्रकाशित आईएस 15105 के अनुसार होना चाहिए. 500 वर्ग मीटर का एरिया होने पर तो दो सीढ़ियां होनी चाहिए.
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