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CBI ने कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार कर मेरे कार्यालय से कंप्यूटर जब्त कियाः मनीष सिसोदिया

सीबीआई ने शनिवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के दफ्तर पर कथित तौर पर छापेमारी की थी. रविवार को सिसोदिया ने बयान जारी कर कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि सीबीआई ने दफ्तर से कंप्यूटर जब्त किया है, लेकिन उसे कुछ नियमों का पालन करना था, जो नहीं किया. ऐसे में वह उसका दुरुपयोग कर सकती है. पढ़ें क्या कहता है मैनुअल

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Published : Jan 15, 2023, 10:30 PM IST

Updated : Jan 16, 2023, 7:36 AM IST

नई दिल्ली: आबकारी मामले में सीबीआई द्वारा की गई छापेमारी पर रविवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बयान जारी कर उसकी कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि मुझे फर्जी तरीके से फंसाने के लिए सीबीआई ने कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार कर मेरे कार्यालय से कंप्यूटर जब्त किया. इस मामले में सीबीआई-ईडी की जांच अगस्त 2022 से चल रही है, लेकिन मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है और चार्जशीट में मेरा नाम नहीं है. सीबीआई से मिले सीजर मेमो के अनुसार, जब्त दस्तावेज का कोई हैश वैल्यू नहीं किया गया और ना ही सीबीआई ने दस्तावेज का फोटो लिया.

उन्होंने कहा कि जब्त डिजिटल डिवाइस की प्रामाणिकता केस को स्थापित करने के लिए अहम है. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि जब्ती के समय जांच अधिकारी की तरफ से डेटा रिकॉर्ड का हैश वैल्यू लिया जाना चाहिए. मुझे आशंका है कि सीबीआई ने गोपनीय फाइलों व दस्तावेजों को नष्ट करने के लिए सीपीयू को जब्त किया है और उसमें एडिट कर मुझे फर्जी तरीके से फंसाने के लिए इसका इस्तेमाल करेगी.

सीबीआई की छापेमारी पर मनीष सिसोदिया ने बयान जारी कर कहा है कि कल महीने का दूसरा शनिवार था, इसलिए मेरा कार्यालय बंद था. सीबीआई के किसी अधिकारी ने टेलीफोन पर मेरे पर्सनल सेक्रेटरी (पीएस) को कार्यालय आकर उसे खोलने के लिए कहा. दोपहर करीब 3 बजे जब मेरे पर्सनल सेक्रेटरी ऑफिस पहुंचे तो उन्होंने देखा कि मेरे ऑफिस में सीबीआई के अधिकारियों की टीम पहले से ही मौजूद थी. सीबीआई के अधिकारियों ने पर्सनल सेक्रेटरी को कार्यालय खोलने और कॉन्फ्रेंस रूम में ले जाने को कहा. जैसे ही वे कॉन्फ्रेंस रूम में पहुंचे, उन्होंने वहां एक कंप्यूटर लगा देखा. उन्होंने मेरे सेक्रेटरी को कंप्यूटर चालू करने के लिए कहा, उसका आंकलन किया और सीआरपीसी की धारा 91 के तहत एक नोटिस सचिव को सौंप दिया. यह नोटिस उपमुख्यमंत्री (जीएनसीटीडी) के नाम आरसी0032022ए0053 की जांच के संदर्भ में था.

उन्होंने कहा कि नोटिस के अनुसार, सचिव से अनुरोध किया गया था कि वह मेरे में कॉन्फ्रेंस रूम में लगे कंप्यूटर सिस्टम का सीपीयू दें. इसके बाद, निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ही मेरे कार्यालय के कॉन्फ्रेंस रूम से सीपीयू को जब्त कर लिया गया. उक्त नोटिस को देखकर यह पता चल रहा है कि सचिव को नोटिस हाथ से लिखा कर दिया गया और तुरंत ही संपत्ति (सीपीयू) को जब्त कर लिया गया, जो अधिकारियों की के दुर्भावना को दर्शाता है. सीबीआई अधिकारियों की यह कार्य उनके द्वेष को दर्शाता है कि कैसे नोटिस दिया गया और तुरंत उक्त संपत्ति को जब्त कर लिया गया और वो भी साइबर अपराध अध्याय एक्सवीआई, सीबीआई (अपराध) मैनुअल 2020 में निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन किए बगैर किया. जबकि सीबीआई मैनुअल में स्पष्ट रूप से इसका उल्लेख है.

क्या कहता है मैनुअलः सीबीआई मैनुअल के अध्याय एक्सवीआई 16.19 : डिजिटल साक्ष्य का संग्रह के अनुसार यह कानूनी व्यवस्थाएं होनी चाहिए: - पहली - ए) हैश वैल्यू होनी चाहिए, जिसमें एक इलेक्ट्रॉनिक फिंगरप्रिंट जरूरी है. एक फाइल के अंदर डेटा को क्रिप्टोग्राफिक एल्गोरिदम के जरिए जाना जाता है, इसे हैश-वैल्यू कहते हैं. यह डेटा वेरिएबल्स की एक स्ट्रिंग है. हैश वैल्यू दरअसल एक चाबी है जिससे यह पता लगता है कि जिस डेटा पर सवाल किया जा रहा है उसकी मान्यता और प्रामाणिकता का पता लगाया जा सकता है. चूंकि जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस/डिजिटल डिवाइस की प्रमाणिकता को स्थापित करना इस केस के लिए बहुत अहम है. इसलिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जब्त करते समय जांच अधिकारी द्वारा डेटा रिकॉर्ड का हैश वैल्यू लिया गया है.

आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 3(2) के तहत इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को प्रमाणित करने के लिए हैशिंग का इस्तेमाल किया जाता है. सीबीआई मैनुअल में इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज को जब्त करते समय इन चीजों का भी अनिवार्य रूप से पालन करने को कहा है- जब्त करते समय डिजिटल डिवाइस की एक फोटो ली जाएगी और उस फोटो को भी हैश किया जाएगा. डेटा की प्रमाणिकता को सुनिश्चित करने के लिए जब्त की गई तारीख की भी हैशिंग की जाएगी, ताकि आगे मिलान किया जा सके. इसलिए यह रिकॉर्ड करने का विषय है कि जब्ती के बाद सीबीआई द्वारा हमें दिए गए जब्ती मेमो में कोई 'हैश वैल्यू' नहीं था.

सीबीआई मुझे फंसा सकती हैः डिप्टी सीएम ने कहा कि सीबीआई के अधिकारी द्वारा दिए गए सीपीयू के जब्ती ज्ञापन में हैश वैल्यू का जिक्र नहीं है. न ही सीबीआई ने जब्त दस्तावेज की कोई फोटो ली है और उसकी हैशिंग की है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि मेरे खिलाफ एक फर्जी मामला बनाने के लिए सीबीआई की टीम जब्त सीपीयू में रिकॉर्ड को हटाने और बदलने का प्रयास कर सकती है. सीपीयू जब्त करने के दौरान 'हैश वैल्यू' रिकॉर्ड न होने पर सीबीआई जब्त सीपीयू में रिकॉर्ड को अपनी सुविधा के अनुसार बदल सकती है और मुझे फंसा सकती है.

ये भी पढ़ेंः लोक सभा में गूंजा मुद्दा, सुप्रिया सुले ने किया वित्त मंत्री की साड़ी का जिक्र

सिसोदिया ने आशंका जताई है कि सीबीआई ने सीपीयू से कई गोपनीय फाइलों, दस्तावेजों को नष्ट करने के लिए सीपीयू को जब्त कर लिया है और अब वह अपने अनुसार फाइलों को सीपीयू में इम्प्लांट/एडिट कर लेगी और उसका उपयोग मुझे गलत तरीके से फंसाने के लिए करेगी, क्योंकि मेरा नाम सीबीआई चार्जशीट में एक आरोपी के रूप में नहीं है. हालांकि आबकारी मामले में सीबीआई/ईडी की जांच पिछले अगस्त, 2022 से चल रही है, लेकिन इसमें मेरे खिलाफ कोई सबूत का पता नहीं चला है.

हालांकि, चार्जशीट दायर होने के बाद भी सीबीआई अभी भी इस मामले में अपनी जांच जारी रखे हुए हैं. यह अधिनियम स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि किसी भी प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का पालन नहीं किया गया था जो सीबीआई मैनुअल और आईटी अधिनियम के तहत अनिवार्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं. इसलिए, कल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की जब्ती ने कानून की नजर में अपनी प्रामाणिकता को खो दिया है.

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नई दिल्ली: आबकारी मामले में सीबीआई द्वारा की गई छापेमारी पर रविवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बयान जारी कर उसकी कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि मुझे फर्जी तरीके से फंसाने के लिए सीबीआई ने कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार कर मेरे कार्यालय से कंप्यूटर जब्त किया. इस मामले में सीबीआई-ईडी की जांच अगस्त 2022 से चल रही है, लेकिन मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है और चार्जशीट में मेरा नाम नहीं है. सीबीआई से मिले सीजर मेमो के अनुसार, जब्त दस्तावेज का कोई हैश वैल्यू नहीं किया गया और ना ही सीबीआई ने दस्तावेज का फोटो लिया.

उन्होंने कहा कि जब्त डिजिटल डिवाइस की प्रामाणिकता केस को स्थापित करने के लिए अहम है. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि जब्ती के समय जांच अधिकारी की तरफ से डेटा रिकॉर्ड का हैश वैल्यू लिया जाना चाहिए. मुझे आशंका है कि सीबीआई ने गोपनीय फाइलों व दस्तावेजों को नष्ट करने के लिए सीपीयू को जब्त किया है और उसमें एडिट कर मुझे फर्जी तरीके से फंसाने के लिए इसका इस्तेमाल करेगी.

सीबीआई की छापेमारी पर मनीष सिसोदिया ने बयान जारी कर कहा है कि कल महीने का दूसरा शनिवार था, इसलिए मेरा कार्यालय बंद था. सीबीआई के किसी अधिकारी ने टेलीफोन पर मेरे पर्सनल सेक्रेटरी (पीएस) को कार्यालय आकर उसे खोलने के लिए कहा. दोपहर करीब 3 बजे जब मेरे पर्सनल सेक्रेटरी ऑफिस पहुंचे तो उन्होंने देखा कि मेरे ऑफिस में सीबीआई के अधिकारियों की टीम पहले से ही मौजूद थी. सीबीआई के अधिकारियों ने पर्सनल सेक्रेटरी को कार्यालय खोलने और कॉन्फ्रेंस रूम में ले जाने को कहा. जैसे ही वे कॉन्फ्रेंस रूम में पहुंचे, उन्होंने वहां एक कंप्यूटर लगा देखा. उन्होंने मेरे सेक्रेटरी को कंप्यूटर चालू करने के लिए कहा, उसका आंकलन किया और सीआरपीसी की धारा 91 के तहत एक नोटिस सचिव को सौंप दिया. यह नोटिस उपमुख्यमंत्री (जीएनसीटीडी) के नाम आरसी0032022ए0053 की जांच के संदर्भ में था.

उन्होंने कहा कि नोटिस के अनुसार, सचिव से अनुरोध किया गया था कि वह मेरे में कॉन्फ्रेंस रूम में लगे कंप्यूटर सिस्टम का सीपीयू दें. इसके बाद, निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ही मेरे कार्यालय के कॉन्फ्रेंस रूम से सीपीयू को जब्त कर लिया गया. उक्त नोटिस को देखकर यह पता चल रहा है कि सचिव को नोटिस हाथ से लिखा कर दिया गया और तुरंत ही संपत्ति (सीपीयू) को जब्त कर लिया गया, जो अधिकारियों की के दुर्भावना को दर्शाता है. सीबीआई अधिकारियों की यह कार्य उनके द्वेष को दर्शाता है कि कैसे नोटिस दिया गया और तुरंत उक्त संपत्ति को जब्त कर लिया गया और वो भी साइबर अपराध अध्याय एक्सवीआई, सीबीआई (अपराध) मैनुअल 2020 में निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन किए बगैर किया. जबकि सीबीआई मैनुअल में स्पष्ट रूप से इसका उल्लेख है.

क्या कहता है मैनुअलः सीबीआई मैनुअल के अध्याय एक्सवीआई 16.19 : डिजिटल साक्ष्य का संग्रह के अनुसार यह कानूनी व्यवस्थाएं होनी चाहिए: - पहली - ए) हैश वैल्यू होनी चाहिए, जिसमें एक इलेक्ट्रॉनिक फिंगरप्रिंट जरूरी है. एक फाइल के अंदर डेटा को क्रिप्टोग्राफिक एल्गोरिदम के जरिए जाना जाता है, इसे हैश-वैल्यू कहते हैं. यह डेटा वेरिएबल्स की एक स्ट्रिंग है. हैश वैल्यू दरअसल एक चाबी है जिससे यह पता लगता है कि जिस डेटा पर सवाल किया जा रहा है उसकी मान्यता और प्रामाणिकता का पता लगाया जा सकता है. चूंकि जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस/डिजिटल डिवाइस की प्रमाणिकता को स्थापित करना इस केस के लिए बहुत अहम है. इसलिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जब्त करते समय जांच अधिकारी द्वारा डेटा रिकॉर्ड का हैश वैल्यू लिया गया है.

आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 3(2) के तहत इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को प्रमाणित करने के लिए हैशिंग का इस्तेमाल किया जाता है. सीबीआई मैनुअल में इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज को जब्त करते समय इन चीजों का भी अनिवार्य रूप से पालन करने को कहा है- जब्त करते समय डिजिटल डिवाइस की एक फोटो ली जाएगी और उस फोटो को भी हैश किया जाएगा. डेटा की प्रमाणिकता को सुनिश्चित करने के लिए जब्त की गई तारीख की भी हैशिंग की जाएगी, ताकि आगे मिलान किया जा सके. इसलिए यह रिकॉर्ड करने का विषय है कि जब्ती के बाद सीबीआई द्वारा हमें दिए गए जब्ती मेमो में कोई 'हैश वैल्यू' नहीं था.

सीबीआई मुझे फंसा सकती हैः डिप्टी सीएम ने कहा कि सीबीआई के अधिकारी द्वारा दिए गए सीपीयू के जब्ती ज्ञापन में हैश वैल्यू का जिक्र नहीं है. न ही सीबीआई ने जब्त दस्तावेज की कोई फोटो ली है और उसकी हैशिंग की है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि मेरे खिलाफ एक फर्जी मामला बनाने के लिए सीबीआई की टीम जब्त सीपीयू में रिकॉर्ड को हटाने और बदलने का प्रयास कर सकती है. सीपीयू जब्त करने के दौरान 'हैश वैल्यू' रिकॉर्ड न होने पर सीबीआई जब्त सीपीयू में रिकॉर्ड को अपनी सुविधा के अनुसार बदल सकती है और मुझे फंसा सकती है.

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सिसोदिया ने आशंका जताई है कि सीबीआई ने सीपीयू से कई गोपनीय फाइलों, दस्तावेजों को नष्ट करने के लिए सीपीयू को जब्त कर लिया है और अब वह अपने अनुसार फाइलों को सीपीयू में इम्प्लांट/एडिट कर लेगी और उसका उपयोग मुझे गलत तरीके से फंसाने के लिए करेगी, क्योंकि मेरा नाम सीबीआई चार्जशीट में एक आरोपी के रूप में नहीं है. हालांकि आबकारी मामले में सीबीआई/ईडी की जांच पिछले अगस्त, 2022 से चल रही है, लेकिन इसमें मेरे खिलाफ कोई सबूत का पता नहीं चला है.

हालांकि, चार्जशीट दायर होने के बाद भी सीबीआई अभी भी इस मामले में अपनी जांच जारी रखे हुए हैं. यह अधिनियम स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि किसी भी प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का पालन नहीं किया गया था जो सीबीआई मैनुअल और आईटी अधिनियम के तहत अनिवार्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं. इसलिए, कल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की जब्ती ने कानून की नजर में अपनी प्रामाणिकता को खो दिया है.

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Last Updated : Jan 16, 2023, 7:36 AM IST
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