नई दिल्लीः दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने के संबंध में उपराज्यपाल से अभी तक इजाजत नहीं मिली है. बृहस्पतिवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को एक और पत्र लिखकर उनसे जल्द इजाजत देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल एक महीने से शिक्षकों की ट्रेनिंग की फाइल दबाकर बैठे हैं. जबकि, कानूनन वह किसी फाइल को 15 दिन से ज्यादा नहीं रोक कर रख सकते. उनके पास फाइल 20 जनवरी से ही है.
पत्र में सिसोदिया ने कहा है कि उसे जल्द से जल्द स्वीकृति प्रदान करें. फाइल 20 जनवरी से रुकी है, लेकिन उन्होंने न तो इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दी और ना ही इस पर असहमति जताते हुए निर्णय लेने के लिए राष्ट्रपति के पास भेजने की प्रक्रिया शुरू की है. इसलिए उन्होंने उपराज्यपाल से अपील की है कि शिक्षकों को फिनलैंड ट्रेनिंग पर भेजे जाने वाली फाइल को तुरंत अनुमति प्रदान कर दें. दिल्ली सरकार का आरोप है कि अक्टूबर 2022 से शिक्षकों को फिनलैंड भेजे जाने से संबंधित फाइल उपराज्यपाल कार्यालय के चक्कर काट रही है. दो बार स्पष्टीकरण मांगने के बहाने यह फाइल वापस भेज दी गई.
बता दें, इस बारे में बात करने के लिए जनवरी में विधानसभा सत्र के पहले ही दिन मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों और कुछ विधायकों के साथ पैदल मार्च करते हुए राजनिवास जाकर उपराज्यपाल से मिलना चाहते थे तो उन्होंने मिलने से मना कर दिया था. सिसोदिया ने 20 जनवरी को फाइल दोबारा भेज दी, लेकिन अब एक महीने से अधिक बीत जाने के बाद भी कोई फैसला नहीं लिया गया है.
ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस ऑफ जीएनसीटीडी (संशोधन) 2021 के नियम 49 के अनुसार, उपराज्यपाल को मंत्री के फैसले से असहमत होने या समाधान के लिए चर्चाएं करने के लिए 15 दिन मिलते हैं. नियम 49 के अनुसार उपराज्यपाल और मंत्री के बीच किसी मामले में डिफरेंस ऑफ ओपिनियन होने की स्थिति में 15 दिन के भीतर उपराज्यपाल चर्चा के माध्यम से इस डिफरेंस ऑफ ओपिनियन को सुलझाने का पूरा प्रयास करेंगे और इसके बावजूद अगर डिफरेंस ऑफ ओपिनियन बना रहता है तो मुद्दे को मंत्रीपरिषद के पास भेज दिया जाएगा. इसके बाद मंत्रीपरिषद 10 दिन के भीतर इस मुद्दे पर विचार कर अपना निर्णय देंगे. अगर इसके बावजूद मुद्दे का हल नहीं निकलता या मंत्रीपरिषद द्वारा निर्धारित समय में निर्णय नहीं लिया जाता है तो ये मान लिया जायेगा कि डिफरेंस ऑफ ओपिनियन अभी भी बरकरार है और फिर एलजी नियम 50 के तहत इसपर अंतिम निर्णय लेने के लिए मुद्दे को राष्ट्रपति के पास भेजेंगे.
उपमुख्यमंत्री ने मनीष सिसोदिया ने कहा कि फाइल 20 जनवरी 2022 को उपराज्यपाल के पास भेजी गई थी. फाइल भेजे हुए एक महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. टीबीआर के तहत उपराज्यपाल का डिफरेंस ऑफ ओपिनियन व्यक्त करने समय खत्म हो गया है. इसलिए संविधान और टीबीआर के नियमों के अनुसार, दिल्ली सरकार द्वारा अपने शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने का निर्णय ही मान्य होगा. इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं कि कृपया फाइल वापस करें ताकि हम अपने शिक्षकों को विदेश में प्रशिक्षण के लिए भेजने की प्रक्रिया शुरू कर सकें.