नई दिल्ली: दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आगामी वेब सीरीज ब्लैक जस्टिस को लेकर संवाददाता सम्मेलन किया गया. वेब सीरीज के बारे में विस्तार से बात करते हुए डायरेक्टर कपिल कक्कड़ ने कहा कि जब संविधान के तमाम अनुच्छेद की समीक्षा की जा सकती है, तो अंग्रेजों के जमाने वाले न्यायिक प्रक्रिया की समीक्षा या बदलने की जरूरत क्यों नहीं है. देश में लगभग पांच करोड़ मामले लंबित हैं और न जाने कितने बेगुनाह इस लचीले न्याय व्यवस्था की वजह से जेल की सलाखों के पीछे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि अंग्रेजों के शासन के दौरान जून में वे गर्मी की वजह से सिंगापुर, इंग्लैंड चले जाते थे. इस साथ ही क्रिसमस के लिए 15 दिनों की छुट्टी ले लेते थे. यह आज भी न्यायिक व्यवस्था में कायम है, जिसे बदलने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कानूनी मुकदमों के कारण लोग अपने घरों और खेतों तक को बेच डालते हैं.
वहीं पत्रकार दीपिका नारायण ने कहा कि हमारे देश का दुर्भाग्य है कि देश की न्यायिक व्यवस्था अभी भी पुराने ढर्रे पर चल रही है. यहां पर जजों के ऊपर कोई भी जवाबदेही तय नहीं है. जबकि, पश्चिमी देशों में जजों की जवाबदेही तय होती है और उन्हें एक निश्चित समय में मामले का निपटारा करना पड़ता है. इसका एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कनाडा में किराएदार से संबंधित मामले को मात्र 15 दिनों में निपटाने का कानून है, लेकिन हमारे यहां ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. इन्हीं सभी ज्वलंत मुद्दों का आइना है ब्लैक जस्टिस है, जिसके माध्यम से हमने समाधान दिखाने की भी कोशिश की है.
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इस वेब सीरीज में गायिका नेहा सिंह राठौर ने एक गाना भी गाया है, जिसके माध्यम से उन्होंने आग्रह किया है कि मौजूदा न्यायिक प्रक्रिया में बदलाव लाया जाए. उन्होंने कहा कि आज भी गांवों में गरीब व असहाय लोगों के लिए कोर्ट कचहरी में न्याय पाना दूर की बात है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भोजपुरी इंडस्ट्री आज चोली का हुक खोलने और रिमोट से लंहगा उठाने जैसे गानों से पटी पड़ी है. मैंने इसे अश्लीलता से मुक्ति दिलाने का बीड़ा उठाया है.
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