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DU के PGDAV कॉलेज में मनाई गई महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती - महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती

महर्षि दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी, 1824 को हुआ था. इसी उपलक्ष में DU के पीजीडीएवी कॉलेज में महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती मनाई जा रही है. इस कार्यक्रम में मथुरा विधायक श्रीकांत शर्मा और लोकसभा सांसद गुमान सिंह डामोर पहुंचे.

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Published : Feb 13, 2023, 9:20 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज में महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें मथुरा से विधायक और उत्तर प्रदेश के पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और लोकसभा सांसद गुमान सिंह डामोर शामिल हुए. श्रीकांत शर्मा ने कहा कि महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती ने बाल विवाह और सती प्रथा जैसी कुरीतियों का विरोध कर समाज को नई दिशा देने का काम किया. महर्षि दयानंद सरस्वती ने ही समाज को कुरीतियों से लड़ना सिखाया.

शर्मा ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि संसार का संपूर्ण ज्ञान वेदों में निहित है. वेद ही नैतिकता का पाठ पढ़ा सकते हैं और शिक्षा दे सकते हैं. इसलिए उन्होंने वेदों की ओर लौटने की बात भी कही थी. आज दुनिया वेदों में निहित ज्ञान को मान रही है.

वहीं, मध्य प्रदेश से लोकसभा सांसद गुमान सिंह डामोर ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती एक महान समाज सुधारक थे. उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त रूढ़िवादी कुरीतियों को दूर करने के लिए अनेक कदम उठाए और शिक्षा को माध्यम बनाया. साथ ही आर्य समाज की स्थापना कर समाज और राष्ट्र निर्माण के कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. लोकसभा सांसद ढाल सिंह बिसेन ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने सामाजिक सुधार के लिए बहुत सारे काम किए हैं. स्वामी दयानंद सरस्वती ने इन सभी कुरीतियों से जमकर लोहा लिया और उन्हें समाप्त करने का भरपूर प्रयास किया.

समाज को महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए: पीजीडीएवी कॉलेज की प्राचार्य प्रोफेसर कृष्णा शर्मा ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने शिक्षा और वेद पाठ का जो रास्ता दिखाया उसने समाज को हमेशा प्रेरणा देना का काम किया है. उन्होंने ज्ञान के साथ संस्कार पर भी बल दिया तथा कहा कि हमें महर्षि दयानंद जी से प्रेरणा लेकर उन्हीं की तरह अच्छे इंसान बनने का प्रयास करना चाहिए. पीजीडीएवी कॉलेज एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज वर्मा ने कहा कि महर्षि दयानंद ने धर्म के नाम पर पाखंड का विरोध किया. उन्होंने वेदों का रास्ता दिखाया और समाज में विभिन्न प्रकार की कुरीतियों का विरोध किया.

भारत की उन्नति व उत्सर्ग में निरंतर योगदान दे रहे हैं: प्रोफेसर अवनिजेश अवस्थी ने कहा कि स्वामी दयानंद के विचारों से प्रेरित डीएवी संस्थान के हजारों विद्यालय-महाविद्यालय भारत के सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा देकर देश के युवाओं को एक सकारात्मक दिशा प्रदान करने के साथ भारत की उन्नति व उत्सर्ग में निरंतर योगदान दे रहे हैं.

इसे भी पढ़ें: Money Laundering Case: दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका का ED ने किया विरोध

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज में महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें मथुरा से विधायक और उत्तर प्रदेश के पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और लोकसभा सांसद गुमान सिंह डामोर शामिल हुए. श्रीकांत शर्मा ने कहा कि महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती ने बाल विवाह और सती प्रथा जैसी कुरीतियों का विरोध कर समाज को नई दिशा देने का काम किया. महर्षि दयानंद सरस्वती ने ही समाज को कुरीतियों से लड़ना सिखाया.

शर्मा ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि संसार का संपूर्ण ज्ञान वेदों में निहित है. वेद ही नैतिकता का पाठ पढ़ा सकते हैं और शिक्षा दे सकते हैं. इसलिए उन्होंने वेदों की ओर लौटने की बात भी कही थी. आज दुनिया वेदों में निहित ज्ञान को मान रही है.

वहीं, मध्य प्रदेश से लोकसभा सांसद गुमान सिंह डामोर ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती एक महान समाज सुधारक थे. उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त रूढ़िवादी कुरीतियों को दूर करने के लिए अनेक कदम उठाए और शिक्षा को माध्यम बनाया. साथ ही आर्य समाज की स्थापना कर समाज और राष्ट्र निर्माण के कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. लोकसभा सांसद ढाल सिंह बिसेन ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने सामाजिक सुधार के लिए बहुत सारे काम किए हैं. स्वामी दयानंद सरस्वती ने इन सभी कुरीतियों से जमकर लोहा लिया और उन्हें समाप्त करने का भरपूर प्रयास किया.

समाज को महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए: पीजीडीएवी कॉलेज की प्राचार्य प्रोफेसर कृष्णा शर्मा ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने शिक्षा और वेद पाठ का जो रास्ता दिखाया उसने समाज को हमेशा प्रेरणा देना का काम किया है. उन्होंने ज्ञान के साथ संस्कार पर भी बल दिया तथा कहा कि हमें महर्षि दयानंद जी से प्रेरणा लेकर उन्हीं की तरह अच्छे इंसान बनने का प्रयास करना चाहिए. पीजीडीएवी कॉलेज एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज वर्मा ने कहा कि महर्षि दयानंद ने धर्म के नाम पर पाखंड का विरोध किया. उन्होंने वेदों का रास्ता दिखाया और समाज में विभिन्न प्रकार की कुरीतियों का विरोध किया.

भारत की उन्नति व उत्सर्ग में निरंतर योगदान दे रहे हैं: प्रोफेसर अवनिजेश अवस्थी ने कहा कि स्वामी दयानंद के विचारों से प्रेरित डीएवी संस्थान के हजारों विद्यालय-महाविद्यालय भारत के सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा देकर देश के युवाओं को एक सकारात्मक दिशा प्रदान करने के साथ भारत की उन्नति व उत्सर्ग में निरंतर योगदान दे रहे हैं.

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