नई दिल्ली: दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव जारी है. दिल्ली की अलग-अलग अदालतों में लंबित पोक्सो एक्ट के 20 मामलों के लिए सीबीआई की ओर से सरकारी वकीलों की नियुक्ति में देरी को लेकर उपराज्यपाल कार्यालय ने दिल्ली सरकार पर सवाल उठाए हैं. उपराज्यपाल कार्यालय ने दिल्ली सरकार पर निष्क्रिय रवैया अपनाने और कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाया है. उपराज्यपाल ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी देकर उसे सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया है. ताकि सीबीआई के लिए सरकारी वकीलों की नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी किया जा सके.
उपराज्यपाल कार्यालय का दावा है कि दिल्ली सरकार 9 महीने से ट्रायल कोर्ट के आदेश को लेकर बैठी है. कोर्ट ने पोक्सो अदालतों में लंबित मामलों का निपटारा करने के लिए सीबीआई की ओर से पेशी के लिए सीनियर पब्लिक प्रॉसिक्यूटर और प्रॉसिक्यूटर नियुक्त करने का आदेश दिया था. उपराज्यपाल कार्यालय का दावा है कि इससे जुड़ी फाइलें जनवरी से ही मंत्रियों के दफ्तरों में घूम रही थी और पिछले 25 दिनों से मुख्यमंत्री के पास पेंडिंग थी. दिल्ली सरकार ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को अमल में लाने और सीबीआई की तरफ से भेजे गए पत्रों का हवाला देते हुए केंद्र को सीधे फाइल भेजने का प्रस्ताव एलजी को भेजा था.
बता दें कि अलग-अलग मुद्दों पर आए दिन दिल्ली सरकार उपराज्यपाल के बीच टकराव होते रहते हैं. गत माह सर्विसेस को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश और उसके बाद केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश लाने के बाद यह टकराव और बढ़ गया है. दिल्ली सरकार उपराज्यपाल को अधिक अधिकार दिए जाने से विरोध कर रही है. अभी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्वयं केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों का समर्थन हासिल करने में निकल पड़े हैं.
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उधर, दिल्ली बीजेपी ने पोक्सो से जुड़े मामलों में स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की नियुक्ति की फाइल उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा गृह मंत्रालय को भेजे जाने के फैसले का स्वागत किया है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का कहना है कि दिल्ली सरकार महिला सुरक्षा व महिला से जुड़े अपराधों पर बड़ी-बड़ी बातें तो करती हैं लेकिन उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाती.