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केजरीवाल कैबिनेट में फिर से फेरबदल, कैलाश गहलोत से छीना गया कानून व न्याय विभाग, जानें वजह - delhi lg vinay kumaer saxena

Kejriwal cabinet reshuffle: दिल्ली सरकार की कैबिनेट में एक बार फिर बदलाव देखने को मिला है. आतिशी को कानून व न्याय मंत्री बनाया गया है. जबकि, पहले यह विभाग मंत्री कैलाश गहलोत के पास था. सीएम केजरीवाल ने यह फैसला उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा तीन दिन के दिए गए अल्टीमेटम के बाद लिया है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 8, 2023, 5:20 PM IST

Updated : Dec 8, 2023, 10:12 PM IST

नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार की कैबिनेट में मंत्री आतिशी अब दिल्ली सरकार में कानून व न्याय विभाग की मंत्री भी होंगी. उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली में न्यायिक ढांचे और प्रशासन से जुड़े कई विकास कार्यों के लंबित होने पर नाराजगी जताने के बाद यह फैसला लिया गया है. एलजी सक्सेना ने तीन दोनों का अल्टीमेटम देते हुए न्यायिक ढांचे और प्रशासन से जुड़ी सरकार के पास लंबित 6 महीने से लंबित फाइलों को मांगा है. इसे कैलाश गहलोत के खिलाफ की गई बड़ी कार्रवाई के रूप में भी देखा जा रहा है. आतिशी से महिला एवं बाल विकास विभाग लेकर कैलाश गहलोत को दिया गया. मुख्यमंत्री की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव पर उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी हो गई.

इन फाइलों से जुड़ा है मामला: उपराज्यपाल ने जिन फाइलों को तीन दिन के भीतर स्वीकृति प्रदान के लिए मांगा है, उनमें रोहिणी में जिला अदालत परिसर का निर्माण, राउज एवेन्यू कोर्ट में वकीलों के चैंबर का निर्माण, जिला अदालतों के लिए थिन क्लाइंट मशीनों की खरीद, फैमिली कोर्ट के लिए प्रिंटर, राज्य और जिला कानूनी सेवा प्राधिकरणों के गठन, आधिकारिक रिसीवर की नियुक्ति, जीएसटी, ट्रिब्यूनल जिला अदालत में पैनल के गठन और दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों के भत्ते में वृद्धि आदि के प्रस्ताव शामिल हैं. इन मामलों से संबंधित फाइलें तकरीबन 6 महीनों से कानून व न्याय विभाग के पास लंबित थी.

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कुल 18 फाइलें लंबित: 4 दिसंबर को विभाग के प्रमुख सचिव की एक रिपोर्ट में उपराज्यपाल सचिवालय के संज्ञान में 18 लंबित फाइलें लाई गई थी. फाइलों को शीघ्र निर्णय लेने के लिए उस वक्त कानून मंत्री को भी लिखा गया था, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. इसी क्रम में उपराज्यपाल सचिवालय ने गुरुवार को प्रमुख सचिव को एक पत्र में कानून मंत्री के पास लंबित सभी फाइलों को तीन दिनों के अंदर उपराज्यपाल के अवलोकन और विचार के लिए भेजने का निर्देश दिया है. राज्यपाल द्वारा दी गई इस तल्ख आदेश के बाद से ही कैलाश गहलोत से कानून मंत्री का दर्जा छीन लिया गया.

ये भी पढ़ें: एलजी ने दिल्ली सरकार को दिया अल्टीमेटम, तीन दिन में मांगी न्यायिक ढांचे और प्रशासन से जुड़ी छह महीने से लंबित फाइलें

पांचवी बार हुआ बदलाव: इससे पहले 25 अक्टूबर को दिल्ली सरकार में मंत्रियों के विभाग में बदलाव किया गया था. दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल आतिशी को जल विभाग जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई थी. इससे भी पहले दिल्ली सर्विस बिल संसद से पास होने के अगले ही दिन यानि 8 अगस्त को केजरीवाल सरकार ने मंत्रियों के विभाग में बड़ा फेरबदल किया था.

मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन की जगह केजरीवाल सरकार के मंत्रिमंडल में आतिशी और सौरभ भारद्वाज दोनों साथ शामिल हुए थे. केजरीवाल सरकार के कैबिनेट में शामिल सत्येंद्र जैन व मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद उनकी जगह गत मार्च महीने में आतिशी और सौरभ भारद्वाज को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था. तब से लेकर मंत्रियों के विभाग में यह पांचवीं बार बदलाव किया गया है. अब आतिशी को 11 विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई है और अब वह केजरीवाल सरकार की कैबिनेट में नंबर दो मंत्री बन गई है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली नगर निगम की विशेष बजट बैठक हुई स्थगित, भाजपा ने 'आप' नेताओं को बताया अनाड़ी

नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार की कैबिनेट में मंत्री आतिशी अब दिल्ली सरकार में कानून व न्याय विभाग की मंत्री भी होंगी. उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली में न्यायिक ढांचे और प्रशासन से जुड़े कई विकास कार्यों के लंबित होने पर नाराजगी जताने के बाद यह फैसला लिया गया है. एलजी सक्सेना ने तीन दोनों का अल्टीमेटम देते हुए न्यायिक ढांचे और प्रशासन से जुड़ी सरकार के पास लंबित 6 महीने से लंबित फाइलों को मांगा है. इसे कैलाश गहलोत के खिलाफ की गई बड़ी कार्रवाई के रूप में भी देखा जा रहा है. आतिशी से महिला एवं बाल विकास विभाग लेकर कैलाश गहलोत को दिया गया. मुख्यमंत्री की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव पर उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी हो गई.

इन फाइलों से जुड़ा है मामला: उपराज्यपाल ने जिन फाइलों को तीन दिन के भीतर स्वीकृति प्रदान के लिए मांगा है, उनमें रोहिणी में जिला अदालत परिसर का निर्माण, राउज एवेन्यू कोर्ट में वकीलों के चैंबर का निर्माण, जिला अदालतों के लिए थिन क्लाइंट मशीनों की खरीद, फैमिली कोर्ट के लिए प्रिंटर, राज्य और जिला कानूनी सेवा प्राधिकरणों के गठन, आधिकारिक रिसीवर की नियुक्ति, जीएसटी, ट्रिब्यूनल जिला अदालत में पैनल के गठन और दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों के भत्ते में वृद्धि आदि के प्रस्ताव शामिल हैं. इन मामलों से संबंधित फाइलें तकरीबन 6 महीनों से कानून व न्याय विभाग के पास लंबित थी.

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कुल 18 फाइलें लंबित: 4 दिसंबर को विभाग के प्रमुख सचिव की एक रिपोर्ट में उपराज्यपाल सचिवालय के संज्ञान में 18 लंबित फाइलें लाई गई थी. फाइलों को शीघ्र निर्णय लेने के लिए उस वक्त कानून मंत्री को भी लिखा गया था, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. इसी क्रम में उपराज्यपाल सचिवालय ने गुरुवार को प्रमुख सचिव को एक पत्र में कानून मंत्री के पास लंबित सभी फाइलों को तीन दिनों के अंदर उपराज्यपाल के अवलोकन और विचार के लिए भेजने का निर्देश दिया है. राज्यपाल द्वारा दी गई इस तल्ख आदेश के बाद से ही कैलाश गहलोत से कानून मंत्री का दर्जा छीन लिया गया.

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पांचवी बार हुआ बदलाव: इससे पहले 25 अक्टूबर को दिल्ली सरकार में मंत्रियों के विभाग में बदलाव किया गया था. दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल आतिशी को जल विभाग जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई थी. इससे भी पहले दिल्ली सर्विस बिल संसद से पास होने के अगले ही दिन यानि 8 अगस्त को केजरीवाल सरकार ने मंत्रियों के विभाग में बड़ा फेरबदल किया था.

मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन की जगह केजरीवाल सरकार के मंत्रिमंडल में आतिशी और सौरभ भारद्वाज दोनों साथ शामिल हुए थे. केजरीवाल सरकार के कैबिनेट में शामिल सत्येंद्र जैन व मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद उनकी जगह गत मार्च महीने में आतिशी और सौरभ भारद्वाज को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था. तब से लेकर मंत्रियों के विभाग में यह पांचवीं बार बदलाव किया गया है. अब आतिशी को 11 विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई है और अब वह केजरीवाल सरकार की कैबिनेट में नंबर दो मंत्री बन गई है.

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Last Updated : Dec 8, 2023, 10:12 PM IST
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