ETV Bharat / state

Shershah Suri Darwaza : दिल्ली के इस चर्चित गेट पर क्यों लगा है 10 साल से ताला, पर्यटक की एंट्री है बैन

देश को सबसे लंबी सड़क देने वाले शेरशाह सूरी के गेट पर पिछले दस सालों से ताला लगा है. ये वही शेरशाह सूरी है, जिन्होंने 16वीं शताब्दी में जीटी रोड का पुनर्निमाण कराया था. उस वक्त इस मार्ग को सड़क-ए-आजम नाम से जाना जाता था. आइए जानते हैं कि शेरशाह सूरी दरवाजा को बंद करने की मुख्य वजह...

delhi news
दिल्ली का चर्चित शेरशाह सूरी दरवाजा
author img

By

Published : Jan 12, 2023, 6:16 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में घूमने के लिए लोग लालकिला, कुतुबमीनार, हुमायूं का मकबरा सहित अन्य धरोहर पर जाते हैं. यहां आकर लोग इन धरोहर का इतिहास समझने का प्रयास करते हैं. इन धरोहर पर संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) दिल्ली की तरफ से किया जाता है. आज हम आपको एक ऐसे चर्चित गेट के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इतिहास आपने कभी न कभी पढ़ा होगा, लेकिन आज से 10 साल पहले ऐसा क्या हुआ कि इस चर्चित गेट पर एएसआई को ताला लगाना पड़ा. इस गेट का नाम है शेरशाह सूरी गेट, जो पुराना किला और चिड़ियाघर के ठीक सामने है. यह मथुरा रोड पर स्थित है.

इतिहास के पन्नो में दर्ज इस गेट के बारे में कहा जाता है कि यह दिल्ली के 13 दरवाजों में से एक है. ग्रांड ट्रंक रोड बनवाने वाले और हुमायूं को युद्ध में कड़ी टक्कर देकर भारत में सूरी साम्राज्य का विस्तार करने वाले शेरशाह सूरी ने बनवाया था. पिछले 10 साल से यहां पर ताला लगा है. आइए जानते हैं आखिर ताला लगाने की वजह...

एएसआई दिल्ली सर्कल के पूर्व अधिकारी अनुराग बताते हैं कि साल 2010 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल का आयोजन चल रहा था. उन दिनों दिल्ली के स्मारकों को संवारा जा रहा था. क्योंकि राष्ट्रमंडल खेलों में विदेशी मेहमान भी आए थे. इसलिए शेरशाह सूरी गेट पर भी संरक्षण का कार्य तेज कर दिया गया. इसके दो साल बाद साल 2012 में दिल्ली में हुई तेज बारिश की वजह से शेरशाह सूरी गेट, जिसे लाल दरवाजा भी कहा जाता था. यह क्षतिग्रस्त हो गया.

एएसआई ने गेट को बचाने के लिए ईंट की लंबी एक दीवार खड़ी कर दी. जिससे इस गेट को बचाया गया. उन्होंने बताया कि इसके बाद साल दर साल इस गेट पर संरक्षण कार्य हुए, लेकिन कभी भी संरक्षण कार्य पूरा नहीं हो पाया. उन्होंने इसके पीछे कई कारण गिनाए. साल 2020 तक इस गेट का लगभग 90 फीसद कार्य हो गया है. ऐसा मौजूदा समय में एएसआई अधिकारी बताते हैं. हालांकि इसके बाद कोरोना महामारी के चलते संरक्षण कार्य रोक दिए गए.

delhi news
दिल्ली का चर्चित शेरशाह सूरी दरवाजा

ये भी पढ़ें : दिल्ली सरकार से मिले नोटिस पर भड़के सिसोदिया, बोले- अधिकारियों पर दवाब देकर भिजवाया जा रहा नोटिस

10 साल से दर्शकों को है इंतजार

जब यह गेट क्षतिग्रस्त हुआ तो ईंट की दीवार खड़ी कर दी गई, साथ ही मैन गेट पर ताला लगा दिया गया. ताकि यहां दर्शक न आए. साथ ही चारों तरफ से लोहे की ग्रील लगा दी गई. यहां दीवार गिरने का डर था. ताकि दर्शकों को किसी तरह का जान माल का नुकसान न हो. इसलिए दर्शकों की एंट्री बैन रखी गई. दिल्ली सर्कल के अन्य अधिकारी बताते हैं कि अभी इस गेट को दर्शकों के लिए खोले जाने का कोई योजना नहीं है.

delhi news
शेरशाह सूरी दरवाजा पर लगा ताला

शेरशाह सूरी गेट का निर्माण कार्य

एएसआई दिल्ली के पूर्व अधिकारी बताते हैं कि दिल्ली के ऐतिहासिक धरोहर के संबंध में एएसआई की तरफ से लिखी किताब दिल्ली और इसके अंचल में इस गेट के बारे में विस्तार से बताया गया है. इस किताब में बताया गया है कि शेरशाह सूरी गेट का निर्माण कार्य 1540 ईसवी में किया गया. इस गेट की ऊंचाई लगभग 15.5 मीटर है. कभी यहीं से वाहन आवाजाही के लिए निकलते थे, लेकिन जब मथुरा रोड का निर्माण हुआ तो यहां पर वाहन की आवाजाही रोक दी गई.

delhi news
कोस मीनार

कोस मीनार की दयनीय स्थिति

शेरशाह सूरी ने दिल्ली में कोस मीनार भी बनवाए थे. चिड़िया घर, अपोलो अस्पताल, बदरपुर, फरीदाबाद बॉर्डर के पास कोस मीनार आज भी मौजूद है. एएसआई की ओर से इसे संरक्षित किया गया है. कोस मीनार का निर्माण शेर शाह सूरी ने दूरी नापने के लिए बनवाए थे. सूरी ने हर तीन किलोमीटर पर एक कोस मीनार बनवाए थे. कहा जाता है कि दिल्ली से आगरा होते हुए जयपुर के बीच में 30 फुट की लगभग 8 मीनार दिखाई पड़ती है. कुछ अभी भी बचे हुए हैं. कुछ का अस्तित्व खत्म हो गया है. हालांकि पुरातत्व विभाग की तरफ से कोस मीनार की तरफ ध्यान नहीं दिया गया. इस कारण राष्ट्रीय स्मारक में शामिल कोस मीनार का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म होने के कगार पर है. इन कोस मीनार की मदद से लोग अपना सफर तय करते थे.

ये भी पढ़ें : हिंदू महिला की हत्या कर शव को कब्रिस्तान में किया दफन, तीन गिरफ्तार

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में घूमने के लिए लोग लालकिला, कुतुबमीनार, हुमायूं का मकबरा सहित अन्य धरोहर पर जाते हैं. यहां आकर लोग इन धरोहर का इतिहास समझने का प्रयास करते हैं. इन धरोहर पर संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) दिल्ली की तरफ से किया जाता है. आज हम आपको एक ऐसे चर्चित गेट के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इतिहास आपने कभी न कभी पढ़ा होगा, लेकिन आज से 10 साल पहले ऐसा क्या हुआ कि इस चर्चित गेट पर एएसआई को ताला लगाना पड़ा. इस गेट का नाम है शेरशाह सूरी गेट, जो पुराना किला और चिड़ियाघर के ठीक सामने है. यह मथुरा रोड पर स्थित है.

इतिहास के पन्नो में दर्ज इस गेट के बारे में कहा जाता है कि यह दिल्ली के 13 दरवाजों में से एक है. ग्रांड ट्रंक रोड बनवाने वाले और हुमायूं को युद्ध में कड़ी टक्कर देकर भारत में सूरी साम्राज्य का विस्तार करने वाले शेरशाह सूरी ने बनवाया था. पिछले 10 साल से यहां पर ताला लगा है. आइए जानते हैं आखिर ताला लगाने की वजह...

एएसआई दिल्ली सर्कल के पूर्व अधिकारी अनुराग बताते हैं कि साल 2010 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल का आयोजन चल रहा था. उन दिनों दिल्ली के स्मारकों को संवारा जा रहा था. क्योंकि राष्ट्रमंडल खेलों में विदेशी मेहमान भी आए थे. इसलिए शेरशाह सूरी गेट पर भी संरक्षण का कार्य तेज कर दिया गया. इसके दो साल बाद साल 2012 में दिल्ली में हुई तेज बारिश की वजह से शेरशाह सूरी गेट, जिसे लाल दरवाजा भी कहा जाता था. यह क्षतिग्रस्त हो गया.

एएसआई ने गेट को बचाने के लिए ईंट की लंबी एक दीवार खड़ी कर दी. जिससे इस गेट को बचाया गया. उन्होंने बताया कि इसके बाद साल दर साल इस गेट पर संरक्षण कार्य हुए, लेकिन कभी भी संरक्षण कार्य पूरा नहीं हो पाया. उन्होंने इसके पीछे कई कारण गिनाए. साल 2020 तक इस गेट का लगभग 90 फीसद कार्य हो गया है. ऐसा मौजूदा समय में एएसआई अधिकारी बताते हैं. हालांकि इसके बाद कोरोना महामारी के चलते संरक्षण कार्य रोक दिए गए.

delhi news
दिल्ली का चर्चित शेरशाह सूरी दरवाजा

ये भी पढ़ें : दिल्ली सरकार से मिले नोटिस पर भड़के सिसोदिया, बोले- अधिकारियों पर दवाब देकर भिजवाया जा रहा नोटिस

10 साल से दर्शकों को है इंतजार

जब यह गेट क्षतिग्रस्त हुआ तो ईंट की दीवार खड़ी कर दी गई, साथ ही मैन गेट पर ताला लगा दिया गया. ताकि यहां दर्शक न आए. साथ ही चारों तरफ से लोहे की ग्रील लगा दी गई. यहां दीवार गिरने का डर था. ताकि दर्शकों को किसी तरह का जान माल का नुकसान न हो. इसलिए दर्शकों की एंट्री बैन रखी गई. दिल्ली सर्कल के अन्य अधिकारी बताते हैं कि अभी इस गेट को दर्शकों के लिए खोले जाने का कोई योजना नहीं है.

delhi news
शेरशाह सूरी दरवाजा पर लगा ताला

शेरशाह सूरी गेट का निर्माण कार्य

एएसआई दिल्ली के पूर्व अधिकारी बताते हैं कि दिल्ली के ऐतिहासिक धरोहर के संबंध में एएसआई की तरफ से लिखी किताब दिल्ली और इसके अंचल में इस गेट के बारे में विस्तार से बताया गया है. इस किताब में बताया गया है कि शेरशाह सूरी गेट का निर्माण कार्य 1540 ईसवी में किया गया. इस गेट की ऊंचाई लगभग 15.5 मीटर है. कभी यहीं से वाहन आवाजाही के लिए निकलते थे, लेकिन जब मथुरा रोड का निर्माण हुआ तो यहां पर वाहन की आवाजाही रोक दी गई.

delhi news
कोस मीनार

कोस मीनार की दयनीय स्थिति

शेरशाह सूरी ने दिल्ली में कोस मीनार भी बनवाए थे. चिड़िया घर, अपोलो अस्पताल, बदरपुर, फरीदाबाद बॉर्डर के पास कोस मीनार आज भी मौजूद है. एएसआई की ओर से इसे संरक्षित किया गया है. कोस मीनार का निर्माण शेर शाह सूरी ने दूरी नापने के लिए बनवाए थे. सूरी ने हर तीन किलोमीटर पर एक कोस मीनार बनवाए थे. कहा जाता है कि दिल्ली से आगरा होते हुए जयपुर के बीच में 30 फुट की लगभग 8 मीनार दिखाई पड़ती है. कुछ अभी भी बचे हुए हैं. कुछ का अस्तित्व खत्म हो गया है. हालांकि पुरातत्व विभाग की तरफ से कोस मीनार की तरफ ध्यान नहीं दिया गया. इस कारण राष्ट्रीय स्मारक में शामिल कोस मीनार का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म होने के कगार पर है. इन कोस मीनार की मदद से लोग अपना सफर तय करते थे.

ये भी पढ़ें : हिंदू महिला की हत्या कर शव को कब्रिस्तान में किया दफन, तीन गिरफ्तार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.