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दिशा रवि को मिली जमानत, ऋग्वेद का उदाहरण देकर कोर्ट ने कीं ये टिप्पणियां

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर टूलकिट फैलाने के मामले में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को मंगलवार को जमानत दे दी है. एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने एक लाख रुपये के मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया. 20 फरवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

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दिशा रवि को मिली जमानत
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Published : Feb 23, 2021, 10:41 PM IST

Updated : Feb 24, 2021, 10:13 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर टूलकिट फैलाने के मामले में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को मंगलवार को जमानत दे दी है. एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने एक लाख रुपये के मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया. 20 फरवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.


मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पुलिस के अधूरे सबूतों के मद्देनजर, हमें कोई कारण नज़र नहीं आता कि 22 साल की लड़की, जिसका कोई आपराधिक इतिहास न रहा हो, उसे जेल में रखा जाए, असहमति का मतलब देशद्रोह नहीं होता. कोर्ट ने कहा कि वाट्सऐप ग्रुप बनाना, टूलकिट एडिट करना अपने आप में अपराध नहीं है. महज वाट्सऐप चैट डिलीट करने से पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन संगठन से जोड़ना ठीक नहीं है. ऐसे सबूत नहीं, जिससे उसकी अलगाववादी सोच साबित हो सके. कोर्ट ने कहा कि 26 जनवरी को शांतनु के दिल्ली आने में कोई बुराई नहीं है.


पूर्वजों ने भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार माना

एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने एक लाख रुपये के मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया । पिछले 20 फरवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।कोर्ट ने कहा कि इस मामले मंत पुलिस के अधूरे सबूतों के मद्देनजर, मुझे कोई कारण नज़र नहीं आता कि 22 साल की लड़की जिसका कोई आपराधिक इतिहास न रहा हो उसे जेल में रखा जाए। कोर्ट ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार माना। संविधान की धारा 19 के तहत नागरिकों को असहमति का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में वैश्विक श्रोता तक अपनी बात पहुंचाने का अधिकार भी शामिल है. संचार की कोई भौगोलिक सीमा नहीं है. हर नागरिक को संवाद भेजना और प्राप्त करना मौलिक अधिकार है.

ऋग्वेद के श्लोक का उदाहरण दिया

कोर्ट ने मत विभिन्नता की ताकत को बताने के लिए ऋग्वेद का उदाहरण दिया. कोर्ट ने जिस श्लोक का उदाहरण दिया वो इस प्रकार है-

आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विशवतोऽदब्धासो अपरीतास उद्भिदः

अर्थ: हमारे पास चारो ओर से ऐंसे कलयाणकारी विचार आते रहें जो किसी से न दबे, उन्हें कहीं से बाधित न किया जा सके एवं अज्ञात विषयों को प्रकट करने वाले हों। कोर्ट दिल्ली पुलिस की इस बात को खारिज कर दिया कि टूलकिट में दिए गए हाईपर लिंक के कंटेंट भारत की छवि को विदेशों में खराब करते हैं. कोर्ट ने askindiawhy.com का जिक्र करते हुए कहा कि इन वेबसाइट में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है. कोर्ट ने genocide.org नामक वेबसाइट का जिक्र करते हुए कहा कि इस वेबसाइट पर आपत्तिजनक सामग्री जरुर है लेकिन ये राजद्रोह की श्रेणी में नहीं आता है.

टूलकिट की एडिटर होना गुनाह नहीं

सुनवाई के दौरान एएजी एसवी राजू ने कहा कि उन्होंने इंटरनेशनल फारमर्स स्ट्राईक नामक व्हाट्स ऐप ग्रुप बनाया। उन्होंने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से संपर्क बनाने की कोशिश की। उन्होंने कहा था कि दिशा रवि इस टूलकिट की एक एडिटर थी और अपनी पहचान छिपाने की कोशिश की थी ताकि उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सके। राजू ने कहा था कि दिशा रवि और दूसरे आरोपियों ने 11 जनवरी को जूम के जरिये धालीवाल और दूसरे आरोपियों से बात की। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की इस बात को खारिज कर दिया कि व्हाट्स ऐप ग्रुप ग्रुप बनाना या टूलकिट का एडिटर होना कोई गुनाह है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस कथित टूलकिट या पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन ने कोई बीच संबंध स्थापित करने में नाकाम रही ऐसे में आरोपी ने अपना व्हाट्स चैट डिलीट करने का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

शांतनु का दिल्ली आकर प्रोटेस्ट मार्च में शामिल होने में कुछ भी गलत नहीं

कोर्ट ने दिशा रवि के वकील की इस दलील को स्वीकार किया कि दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी के विरोध प्रदर्शन की इजाजत दी थी और सह-आरोपी शांतनु के दिल्ली में आकर प्रोटेस्ट मार्चम शामिल होने में कुछ भी गलत नहीं है. ग्रेटा थनबर्ग से किसान आंदोलन के लिए समर्थन लेने के आरोप पर कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई विभाजनकारी आइडिया नहीं है.

भारतीय दूतावासों को नुकसान पहुंचाने की दलील खारिज

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की उस दलील को खारिज कर दिया कि किसान आंदोलन की आड़ में भारतीय दूतावासों को नुकसान पहुंचाने की योजना थी और इसके लिए टूलकिट में योगा और चाय के सिंबल का इस्तेमाल किया गया. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस इस आरोप को साबित करने में नाकाम रही.

बिना हिरासत के भी सह-आरोपियों के आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जा सकती है

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की इस दलील को खारिज कर दिया कि दिशा रवि को दूसरे सह-आरोपियों के साथ आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करने के लिए हिरासत में लेने की जरुरत है। कोर्ट ने कहा कि जब दूसरे सह आरोपी अग्रिम ट्रांजिट जमानत पर हैं तो दिशा रवि के आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करने के लिए हिरासत की क्या जरुरत है.

पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का खालिस्तान से संबंध

सुनवाई के दौरान एएसजी एसवी राजू ने कहा था कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन नामक संगठन खालिस्तान की वकालत करता है। इसके संस्थापक धालीवाल और अमिता लाल हैं. इसके ट्वीट सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं. ये संगठन खालिस्तान के लिए लोगों को गोलबंद करता है. इस संगठन ने किसान आंदोलन का लाभ लेना चाहा और उसके जरिये अपनी गतिविधियां आगे बढ़ाना चाहती थी. उसमें दिशा रवि भी शामिल है.

11 जनवरी को जूम के जरिये बैठक की

राजू ने कहा कि जो टूलकिट बनाया गया उसकी साजिश कनाडा में रची गई। ये राजद्रोह की धाराएं लगाने के लिए काफी हैं. राजू ने कहा कि उन्होंने इंटरनेशनल फारमर्स स्ट्राईक नामक व्हाट्स ऐप ग्रुप बनाया. उन्होंने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से संपर्क बनाने की कोशिश की। राजू ने कहा कि दिशा रवि और दूसरे आरोपियों ने 11 जनवरी को जूम के जरिये धालीवाल और दूसरे आरोपियों से बात की. जूम की बैठक के बाद एक आरोपी ने ये पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन को धन्यवाद देते हुए मैसेज छोड़ा. कोर्ट ने राजू से पूछा कि क्या दूसरी एफआईआर भी है. तब राजू ने कहा कि अभी तक नहीं. तब कोर्ट ने पूछा कि हम के कहें कि आरोपी का इतिहास खराब है। तब राजू ने कहा कि उनके ट्वीट देखकर.

डकैत से मंदिर के लिए दान मांगने का मतलब डकैती की पूर्व जानकारी नहीं है

सुनवाई के दौरान दिशा रवि की ओर से वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि अगर हम किसी डकैत के पास मंदिर के लिए दान मांगने जाते हैं तो इसका मतलब ये है कि हमें डकैती की पूर्व जानकारी थी. उन्होंने कहा कि अगर हम किसी आंदोलन से जुड़े हैं और कुछ खास लोगों से मिल रहे हैं तो आप उनके इरादों को हम पर कैसे थोप सकते हैं। तब राजू ने कहा कि ये वे लोग हैं जिनका इरादा सबको पता है. कोर्ट को उनके व्यवहार को देखना चाहिए, दिशा रवि हमेशा आरोपियों के संपर्क में रही हैं। तब कोर्ट ने राजू से पूछा कि टूलकिट का हिंसा से क्या संबंध है. उसका क्या सबूत है. तब राजू ने कहा कि साजिश में अलग-अलग लोगों की अलग-अलग भूमिका होती है. टूलकिट से प्रेरणा लेकर कोई हिंसा कर सकता है। कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं हुई और पूछा कि यह करना है या वह करना है इसका संबंध क्या है. अगर हम अपने संज्ञान को संतुष्ट नहीं करेंगे तो हम आगे नहीं बढ़ेंगे। तब राजू ने कहा कि टूलकिट को फिर से देखें। इसके हैशटैग और लिंक को पढ़ना होगा. ये एक साधारण मैसेज नहीं है. इस लिंक ने लोगों को भड़काया है। लोगों को दिल्ली में मार्च करने के लिए कहा गया। लोगों से कहा गया कि कश्मीर में कत्लेआम हो रहा है. ये राजद्रोह है.

कोर्ट ने कनेक्शन का सीधा साक्ष्य मांगा

कोर्ट ने राजू से पूछा कि क्या कोई साक्ष्य है या केवल शक के आधार पर आरोप हैं. तब राजू ने कहा कि परिस्थितियां देखिए। खालिस्तानी मूवमेंट हिंसक रहा है. तब कोर्ट ने पूछा कि आरोपी के खिलाफ वास्तविक साक्ष्य क्या है. आप खालिस्तानी लिंक को छोड़कर दूसरा तथ्य बताएं। तब राजू ने कहा कि साजिश दिमागों के मिलन से होता है। कानून के मुताबिक साजिश की शर्ते पूरी हो रही हैं. तब कोर्ट ने पूछा कि क्या मैं ये मानूं कि अब तक कोई सीधा लिंक नहीं है। तब राजू ने कहा कि पुलिस अभी जांच कर रही है.

जांच जारी है

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौजूद दिल्ली पुलिस के डीसीपी से पूछा कि क्या वास्तविक साजिशकर्ता गिरफ्तार हुआ है तब डीसीपी ने कहा कि हां। तब कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या आपने कोई लिंक स्थापित किया है। तब राजू ने कहा कि अभी जांच जारी है। इस पर कोर्ट ने कहा या तो मैंने सवाल सही नहीं पूछा है या आप जवाब नहीं देना चाहते हैं. ये बताएं कि इस मामले में साजिश का लिंक साबित करने का क्या सबूत है.

दिशा रवि का खालिस्तान से लिंक नहीं

सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि दिशा रवि का खालिस्तान से कोई लिंक नहीं रहा है। इसमें धन का भी कोई एंगल नहीं है. तब कोर्ट ने कहा कि इसमें तीसरा एंगल भी हो सकता है. दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. अग्रवाल ने कहा कि अगर किसानों के आंदोलन को ग्लोबल प्लेटफार्म पर हाईलाईट करना राजद्रोह है तो हम दोषी हैं.

ग्रेटा थनबर्ग से बात करने से समस्या हुई

अग्रवाल ने कहा कि अगर दिशा रवि ने इतनी बड़ी साजिश की होती तो वो अपने फोन नंबर से व्हाट्स ऐप ग्रुप क्यों बनाती. अग्रवाल ने कहा कि समस्या ये है कि दिशा रवि ने ग्रेटा थनबर्ग से बात की और उन्हें किसानों के आंदोलन के बारे में ट्वीट के जरिये समझाया। ट्वीट में खालिस्तान मूवमेंट का कोई जिक्र नहीं है.

न्यायिक हिरासत में हैं दिशा रवि

बता दें कि पिछले 19 फरवरी को दिशा रवि को तीन दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि इस मामले के सह-आरोपी शांतनु 22 फरवरी को पूछताछ के लिए समन जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि इस मामले में निकिता और शांतनु पर भी आरोप हैं. दिशा रवि को दूसरे सह-आरोपियों के आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करनी है.

चैनलों के संपादकों को संपादकीय नियंत्रण सुनिश्चित करने का आदेश

पिछले 19 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिशा रवि की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यूज चैनलों के संपादकों को निर्देश दिया था कि वे संपादकीय नियंत्रण सुनिश्चित करे ताकि सूचना देते समय कोई जांच प्रभावित नहीं हो. जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने कहा था कि निजता के अधिकार, देश की अखंडता और संप्रभूता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन कायम होना चाहिए.

14 फरवरी को गिऱफ्तार हुई थी

पटियाला हाउस कोर्ट ने पिछले 14 फरवरी को दिशा रवि को 19 फरवरी तक की पुलिस हिरासत में भेजा था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिशा रवि को बंगलुरू से गिरफ्तार किया था. दिल्ली पुलिस का आरोप है कि दिशा रवि ने किसान आंदोलन से जुड़े उस डॉक्युमेंट को शेयर किया , जिसे अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट किया था. पदिशा पर टूलकिट नाम के उस डॉक्युमेंट को एडिट करके उसमें कुछ चीज़ें जोड़ने और उसे आगे फॉरवर्ड करने का आरोप है.

क्या-क्या हैं आरोप

यह टूलकिट तब चर्चा में आया था, जब इसे अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए अपने ट्विटर एकाउंट पर साझा किया। उसके बाद पुलिस ने पिछले 4 फरवरी को एफआईआर दर्ज किया था. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए, 120ए और 153ए के तहत बदनाम करने, आपराधिक साजिश रचने और नफरत को बढ़ावा देने के आरोपों में एफआईआर दर्ज किया है.

नई दिल्ली : दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर टूलकिट फैलाने के मामले में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को मंगलवार को जमानत दे दी है. एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने एक लाख रुपये के मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया. 20 फरवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.


मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पुलिस के अधूरे सबूतों के मद्देनजर, हमें कोई कारण नज़र नहीं आता कि 22 साल की लड़की, जिसका कोई आपराधिक इतिहास न रहा हो, उसे जेल में रखा जाए, असहमति का मतलब देशद्रोह नहीं होता. कोर्ट ने कहा कि वाट्सऐप ग्रुप बनाना, टूलकिट एडिट करना अपने आप में अपराध नहीं है. महज वाट्सऐप चैट डिलीट करने से पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन संगठन से जोड़ना ठीक नहीं है. ऐसे सबूत नहीं, जिससे उसकी अलगाववादी सोच साबित हो सके. कोर्ट ने कहा कि 26 जनवरी को शांतनु के दिल्ली आने में कोई बुराई नहीं है.


पूर्वजों ने भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार माना

एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने एक लाख रुपये के मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया । पिछले 20 फरवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।कोर्ट ने कहा कि इस मामले मंत पुलिस के अधूरे सबूतों के मद्देनजर, मुझे कोई कारण नज़र नहीं आता कि 22 साल की लड़की जिसका कोई आपराधिक इतिहास न रहा हो उसे जेल में रखा जाए। कोर्ट ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार माना। संविधान की धारा 19 के तहत नागरिकों को असहमति का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में वैश्विक श्रोता तक अपनी बात पहुंचाने का अधिकार भी शामिल है. संचार की कोई भौगोलिक सीमा नहीं है. हर नागरिक को संवाद भेजना और प्राप्त करना मौलिक अधिकार है.

ऋग्वेद के श्लोक का उदाहरण दिया

कोर्ट ने मत विभिन्नता की ताकत को बताने के लिए ऋग्वेद का उदाहरण दिया. कोर्ट ने जिस श्लोक का उदाहरण दिया वो इस प्रकार है-

आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विशवतोऽदब्धासो अपरीतास उद्भिदः

अर्थ: हमारे पास चारो ओर से ऐंसे कलयाणकारी विचार आते रहें जो किसी से न दबे, उन्हें कहीं से बाधित न किया जा सके एवं अज्ञात विषयों को प्रकट करने वाले हों। कोर्ट दिल्ली पुलिस की इस बात को खारिज कर दिया कि टूलकिट में दिए गए हाईपर लिंक के कंटेंट भारत की छवि को विदेशों में खराब करते हैं. कोर्ट ने askindiawhy.com का जिक्र करते हुए कहा कि इन वेबसाइट में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है. कोर्ट ने genocide.org नामक वेबसाइट का जिक्र करते हुए कहा कि इस वेबसाइट पर आपत्तिजनक सामग्री जरुर है लेकिन ये राजद्रोह की श्रेणी में नहीं आता है.

टूलकिट की एडिटर होना गुनाह नहीं

सुनवाई के दौरान एएजी एसवी राजू ने कहा कि उन्होंने इंटरनेशनल फारमर्स स्ट्राईक नामक व्हाट्स ऐप ग्रुप बनाया। उन्होंने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से संपर्क बनाने की कोशिश की। उन्होंने कहा था कि दिशा रवि इस टूलकिट की एक एडिटर थी और अपनी पहचान छिपाने की कोशिश की थी ताकि उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सके। राजू ने कहा था कि दिशा रवि और दूसरे आरोपियों ने 11 जनवरी को जूम के जरिये धालीवाल और दूसरे आरोपियों से बात की। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की इस बात को खारिज कर दिया कि व्हाट्स ऐप ग्रुप ग्रुप बनाना या टूलकिट का एडिटर होना कोई गुनाह है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस कथित टूलकिट या पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन ने कोई बीच संबंध स्थापित करने में नाकाम रही ऐसे में आरोपी ने अपना व्हाट्स चैट डिलीट करने का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

शांतनु का दिल्ली आकर प्रोटेस्ट मार्च में शामिल होने में कुछ भी गलत नहीं

कोर्ट ने दिशा रवि के वकील की इस दलील को स्वीकार किया कि दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी के विरोध प्रदर्शन की इजाजत दी थी और सह-आरोपी शांतनु के दिल्ली में आकर प्रोटेस्ट मार्चम शामिल होने में कुछ भी गलत नहीं है. ग्रेटा थनबर्ग से किसान आंदोलन के लिए समर्थन लेने के आरोप पर कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई विभाजनकारी आइडिया नहीं है.

भारतीय दूतावासों को नुकसान पहुंचाने की दलील खारिज

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की उस दलील को खारिज कर दिया कि किसान आंदोलन की आड़ में भारतीय दूतावासों को नुकसान पहुंचाने की योजना थी और इसके लिए टूलकिट में योगा और चाय के सिंबल का इस्तेमाल किया गया. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस इस आरोप को साबित करने में नाकाम रही.

बिना हिरासत के भी सह-आरोपियों के आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जा सकती है

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की इस दलील को खारिज कर दिया कि दिशा रवि को दूसरे सह-आरोपियों के साथ आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करने के लिए हिरासत में लेने की जरुरत है। कोर्ट ने कहा कि जब दूसरे सह आरोपी अग्रिम ट्रांजिट जमानत पर हैं तो दिशा रवि के आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करने के लिए हिरासत की क्या जरुरत है.

पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का खालिस्तान से संबंध

सुनवाई के दौरान एएसजी एसवी राजू ने कहा था कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन नामक संगठन खालिस्तान की वकालत करता है। इसके संस्थापक धालीवाल और अमिता लाल हैं. इसके ट्वीट सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं. ये संगठन खालिस्तान के लिए लोगों को गोलबंद करता है. इस संगठन ने किसान आंदोलन का लाभ लेना चाहा और उसके जरिये अपनी गतिविधियां आगे बढ़ाना चाहती थी. उसमें दिशा रवि भी शामिल है.

11 जनवरी को जूम के जरिये बैठक की

राजू ने कहा कि जो टूलकिट बनाया गया उसकी साजिश कनाडा में रची गई। ये राजद्रोह की धाराएं लगाने के लिए काफी हैं. राजू ने कहा कि उन्होंने इंटरनेशनल फारमर्स स्ट्राईक नामक व्हाट्स ऐप ग्रुप बनाया. उन्होंने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से संपर्क बनाने की कोशिश की। राजू ने कहा कि दिशा रवि और दूसरे आरोपियों ने 11 जनवरी को जूम के जरिये धालीवाल और दूसरे आरोपियों से बात की. जूम की बैठक के बाद एक आरोपी ने ये पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन को धन्यवाद देते हुए मैसेज छोड़ा. कोर्ट ने राजू से पूछा कि क्या दूसरी एफआईआर भी है. तब राजू ने कहा कि अभी तक नहीं. तब कोर्ट ने पूछा कि हम के कहें कि आरोपी का इतिहास खराब है। तब राजू ने कहा कि उनके ट्वीट देखकर.

डकैत से मंदिर के लिए दान मांगने का मतलब डकैती की पूर्व जानकारी नहीं है

सुनवाई के दौरान दिशा रवि की ओर से वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि अगर हम किसी डकैत के पास मंदिर के लिए दान मांगने जाते हैं तो इसका मतलब ये है कि हमें डकैती की पूर्व जानकारी थी. उन्होंने कहा कि अगर हम किसी आंदोलन से जुड़े हैं और कुछ खास लोगों से मिल रहे हैं तो आप उनके इरादों को हम पर कैसे थोप सकते हैं। तब राजू ने कहा कि ये वे लोग हैं जिनका इरादा सबको पता है. कोर्ट को उनके व्यवहार को देखना चाहिए, दिशा रवि हमेशा आरोपियों के संपर्क में रही हैं। तब कोर्ट ने राजू से पूछा कि टूलकिट का हिंसा से क्या संबंध है. उसका क्या सबूत है. तब राजू ने कहा कि साजिश में अलग-अलग लोगों की अलग-अलग भूमिका होती है. टूलकिट से प्रेरणा लेकर कोई हिंसा कर सकता है। कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं हुई और पूछा कि यह करना है या वह करना है इसका संबंध क्या है. अगर हम अपने संज्ञान को संतुष्ट नहीं करेंगे तो हम आगे नहीं बढ़ेंगे। तब राजू ने कहा कि टूलकिट को फिर से देखें। इसके हैशटैग और लिंक को पढ़ना होगा. ये एक साधारण मैसेज नहीं है. इस लिंक ने लोगों को भड़काया है। लोगों को दिल्ली में मार्च करने के लिए कहा गया। लोगों से कहा गया कि कश्मीर में कत्लेआम हो रहा है. ये राजद्रोह है.

कोर्ट ने कनेक्शन का सीधा साक्ष्य मांगा

कोर्ट ने राजू से पूछा कि क्या कोई साक्ष्य है या केवल शक के आधार पर आरोप हैं. तब राजू ने कहा कि परिस्थितियां देखिए। खालिस्तानी मूवमेंट हिंसक रहा है. तब कोर्ट ने पूछा कि आरोपी के खिलाफ वास्तविक साक्ष्य क्या है. आप खालिस्तानी लिंक को छोड़कर दूसरा तथ्य बताएं। तब राजू ने कहा कि साजिश दिमागों के मिलन से होता है। कानून के मुताबिक साजिश की शर्ते पूरी हो रही हैं. तब कोर्ट ने पूछा कि क्या मैं ये मानूं कि अब तक कोई सीधा लिंक नहीं है। तब राजू ने कहा कि पुलिस अभी जांच कर रही है.

जांच जारी है

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौजूद दिल्ली पुलिस के डीसीपी से पूछा कि क्या वास्तविक साजिशकर्ता गिरफ्तार हुआ है तब डीसीपी ने कहा कि हां। तब कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या आपने कोई लिंक स्थापित किया है। तब राजू ने कहा कि अभी जांच जारी है। इस पर कोर्ट ने कहा या तो मैंने सवाल सही नहीं पूछा है या आप जवाब नहीं देना चाहते हैं. ये बताएं कि इस मामले में साजिश का लिंक साबित करने का क्या सबूत है.

दिशा रवि का खालिस्तान से लिंक नहीं

सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि दिशा रवि का खालिस्तान से कोई लिंक नहीं रहा है। इसमें धन का भी कोई एंगल नहीं है. तब कोर्ट ने कहा कि इसमें तीसरा एंगल भी हो सकता है. दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. अग्रवाल ने कहा कि अगर किसानों के आंदोलन को ग्लोबल प्लेटफार्म पर हाईलाईट करना राजद्रोह है तो हम दोषी हैं.

ग्रेटा थनबर्ग से बात करने से समस्या हुई

अग्रवाल ने कहा कि अगर दिशा रवि ने इतनी बड़ी साजिश की होती तो वो अपने फोन नंबर से व्हाट्स ऐप ग्रुप क्यों बनाती. अग्रवाल ने कहा कि समस्या ये है कि दिशा रवि ने ग्रेटा थनबर्ग से बात की और उन्हें किसानों के आंदोलन के बारे में ट्वीट के जरिये समझाया। ट्वीट में खालिस्तान मूवमेंट का कोई जिक्र नहीं है.

न्यायिक हिरासत में हैं दिशा रवि

बता दें कि पिछले 19 फरवरी को दिशा रवि को तीन दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि इस मामले के सह-आरोपी शांतनु 22 फरवरी को पूछताछ के लिए समन जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि इस मामले में निकिता और शांतनु पर भी आरोप हैं. दिशा रवि को दूसरे सह-आरोपियों के आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करनी है.

चैनलों के संपादकों को संपादकीय नियंत्रण सुनिश्चित करने का आदेश

पिछले 19 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिशा रवि की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यूज चैनलों के संपादकों को निर्देश दिया था कि वे संपादकीय नियंत्रण सुनिश्चित करे ताकि सूचना देते समय कोई जांच प्रभावित नहीं हो. जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने कहा था कि निजता के अधिकार, देश की अखंडता और संप्रभूता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन कायम होना चाहिए.

14 फरवरी को गिऱफ्तार हुई थी

पटियाला हाउस कोर्ट ने पिछले 14 फरवरी को दिशा रवि को 19 फरवरी तक की पुलिस हिरासत में भेजा था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिशा रवि को बंगलुरू से गिरफ्तार किया था. दिल्ली पुलिस का आरोप है कि दिशा रवि ने किसान आंदोलन से जुड़े उस डॉक्युमेंट को शेयर किया , जिसे अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट किया था. पदिशा पर टूलकिट नाम के उस डॉक्युमेंट को एडिट करके उसमें कुछ चीज़ें जोड़ने और उसे आगे फॉरवर्ड करने का आरोप है.

क्या-क्या हैं आरोप

यह टूलकिट तब चर्चा में आया था, जब इसे अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए अपने ट्विटर एकाउंट पर साझा किया। उसके बाद पुलिस ने पिछले 4 फरवरी को एफआईआर दर्ज किया था. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए, 120ए और 153ए के तहत बदनाम करने, आपराधिक साजिश रचने और नफरत को बढ़ावा देने के आरोपों में एफआईआर दर्ज किया है.

Last Updated : Feb 24, 2021, 10:13 AM IST
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