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जहां आपदा वहां NDRF, जानें कैसे करती है काम

उत्तराखंड के चमोली में सेना, आईटीबीपी, SDRF और NDRF के जवान अपनी जान पर खेलकर मुश्किल स्थितियों में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं. इनमें एनडीआरएफ के जवानों का महत्वपूर्ण योगदान है. जानें क्या है एनडीआरएफ.

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Published : Feb 8, 2021, 2:39 PM IST

Know what is NDRF and how to save people trapped in difficult situations
एनडीआरएफ

नई दिल्ली: उत्तराखंड के चमोली जिले के रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने से बड़ी तबाही हुई है. आपदा प्रबंधन की टीम मौके पर पहुंच चुकी हैं. इनमें एनडीआरएफ के जवानों का महत्वपूर्ण योगदान है.

जानें हैं क्या है एनडीआरएफ

आइए जानते हैं क्या है एनडीआरएफ और कैसे काम करते हैं इसके जवान

  • एनडीआरएफ का मतलब नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स यानी राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल है.
  • 1999 के ओडिशा के सुपर चक्रवात, 2001 गुजरात भूकंप और 2004 में आई सुनामी के बाद भारत ने तय किया कि वो इस तरह की फोर्स बनाएगा, जो आपदा के दौरान लोगों को राहत पहुंचाने में एक्सपर्ट हो.

कब बनी एनडीआरएफ

NDRF का गठन 2005 में किया गया था जिसमें 12 बटालियन की पैरामिलिट्री लाइंस फोर्स होती है जिसमें 3 BSF, 3 CRPF, 2 CISF, 2 ITBP और 2 SSB की फोर्स शामिल होती हैं.

देश में कितने हैं सेंटर

देशभर में एनडीआरएफ के 12 केंद्र हैं. जहां इनकी अलग अलग बटालियन तैनात रहती हैं. इन सभी जगहों पर उनकी ट्रेनिंग की खास व्यवस्था है. हालांकि इन केंद्रों में कुछ जगहों पर खास ट्रेनिंग भी होती है, जिसमें सभी बटालियनों के जवानों को भेजा जाता है.

हर बटालियन में 1149 जवान

हर बटालियन में 1149 जवान होते हैं. पहले इन्हें कभी कभार कानून और व्यवस्था की स्थिति को संभालने के लिए भी तैनात किया जाता था लेकिन बाद में एनडीआरएफ के नियमों में बदलाव किया गया. 14 फरवरी 2008 से वो केवल आपदा संबंधी दायित्वों के लिए निर्धारित कर दिये गए.

एनडीआरएफ का पहला बड़ा ऑपरेशन

एनडीआरएफ का पहला बड़ा ऑपरेशन साल 2008 में बिहार में कोसी नदी में आई बाढ़ के दौरान हुआ. टीम ने तुरंत वहां पहुंच कर युद्धस्तर पर काम शुरू किया. पांच जिलों में फैले इस ऑपरेशन में एक लाख से ज्यादा प्रभावित लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया.

विदेशों में भी रहे एक्टिव

एनडीआरएफ ने देश के साथ ही विदेशों में आई आपदा में भी राहत कार्य किया है. मार्च 2011 में जापान में आई सुनामी और अप्रैल 2015 में नेपाल में आए भूकंप में भी NDRF ने राहत कार्य में मदद पहुंचाई.

इस तरह होती है भर्ती

एनडीआरएफ में सीधी भर्ती नहीं होती. बल्कि एनडीआरएफ में अद्धसैन्य बलों से बटालियनों को डेपुटेशन के आधार पर तैनात किया जाता है. फिलहाल एनडीआरएफ में सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, इंडो-तिब्बत सीमा बल, सशस्त्र सीमा बल जैसी अर्द्धसैनिक बल की बटालियन तैनात हैं.

ये भी पढ़ें:-उत्तराखंड ग्लेशियर त्रासदी पर बोले सीएम केजरीवाल, 'हर संभव मदद को तैयार दिल्ली सरकार'

हर बटालियन में सर्च, बचाव और राहत के एक्सपर्ट होते हैं. इनमें साथ ही इंजीनियर्स, टैक्निशियन, इलैक्ट्रिशियन, डॉग स्क्वॉड और मेडिकल के जानकार लोग होते हैं.

ये हैं एनडीआरएफ के 12 केंद्र

1 गुवाहाटी - असम

2 कोलकाता-वेस्ट बंगाल

3 मुंडली-उड़ीसा

4 अराकोनम-तमिलनाडु

5 पुणे-महाराष्ट्र

6 गांधीनगर-गुजरात

7 गाजियाबाद-उत्तर प्रदेश

8 भटिंडा-पंजाब

9 पटना- बिहार

10 विजयवाड़ा-आंध्र प्रदेश

11 वाराणसी-उत्तर प्रदेश

12 इटानगर-अरुणाचलप्रदेश

अब तक बचाई कई जानें

NDRF के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक स्थापना के बाद से अब तक देश और विदेश में आई विभिन्न आपदाओं में 4,70,000 से अधिक लोगों को बचाया गया है.

नई दिल्ली: उत्तराखंड के चमोली जिले के रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने से बड़ी तबाही हुई है. आपदा प्रबंधन की टीम मौके पर पहुंच चुकी हैं. इनमें एनडीआरएफ के जवानों का महत्वपूर्ण योगदान है.

जानें हैं क्या है एनडीआरएफ

आइए जानते हैं क्या है एनडीआरएफ और कैसे काम करते हैं इसके जवान

  • एनडीआरएफ का मतलब नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स यानी राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल है.
  • 1999 के ओडिशा के सुपर चक्रवात, 2001 गुजरात भूकंप और 2004 में आई सुनामी के बाद भारत ने तय किया कि वो इस तरह की फोर्स बनाएगा, जो आपदा के दौरान लोगों को राहत पहुंचाने में एक्सपर्ट हो.

कब बनी एनडीआरएफ

NDRF का गठन 2005 में किया गया था जिसमें 12 बटालियन की पैरामिलिट्री लाइंस फोर्स होती है जिसमें 3 BSF, 3 CRPF, 2 CISF, 2 ITBP और 2 SSB की फोर्स शामिल होती हैं.

देश में कितने हैं सेंटर

देशभर में एनडीआरएफ के 12 केंद्र हैं. जहां इनकी अलग अलग बटालियन तैनात रहती हैं. इन सभी जगहों पर उनकी ट्रेनिंग की खास व्यवस्था है. हालांकि इन केंद्रों में कुछ जगहों पर खास ट्रेनिंग भी होती है, जिसमें सभी बटालियनों के जवानों को भेजा जाता है.

हर बटालियन में 1149 जवान

हर बटालियन में 1149 जवान होते हैं. पहले इन्हें कभी कभार कानून और व्यवस्था की स्थिति को संभालने के लिए भी तैनात किया जाता था लेकिन बाद में एनडीआरएफ के नियमों में बदलाव किया गया. 14 फरवरी 2008 से वो केवल आपदा संबंधी दायित्वों के लिए निर्धारित कर दिये गए.

एनडीआरएफ का पहला बड़ा ऑपरेशन

एनडीआरएफ का पहला बड़ा ऑपरेशन साल 2008 में बिहार में कोसी नदी में आई बाढ़ के दौरान हुआ. टीम ने तुरंत वहां पहुंच कर युद्धस्तर पर काम शुरू किया. पांच जिलों में फैले इस ऑपरेशन में एक लाख से ज्यादा प्रभावित लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया.

विदेशों में भी रहे एक्टिव

एनडीआरएफ ने देश के साथ ही विदेशों में आई आपदा में भी राहत कार्य किया है. मार्च 2011 में जापान में आई सुनामी और अप्रैल 2015 में नेपाल में आए भूकंप में भी NDRF ने राहत कार्य में मदद पहुंचाई.

इस तरह होती है भर्ती

एनडीआरएफ में सीधी भर्ती नहीं होती. बल्कि एनडीआरएफ में अद्धसैन्य बलों से बटालियनों को डेपुटेशन के आधार पर तैनात किया जाता है. फिलहाल एनडीआरएफ में सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, इंडो-तिब्बत सीमा बल, सशस्त्र सीमा बल जैसी अर्द्धसैनिक बल की बटालियन तैनात हैं.

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हर बटालियन में सर्च, बचाव और राहत के एक्सपर्ट होते हैं. इनमें साथ ही इंजीनियर्स, टैक्निशियन, इलैक्ट्रिशियन, डॉग स्क्वॉड और मेडिकल के जानकार लोग होते हैं.

ये हैं एनडीआरएफ के 12 केंद्र

1 गुवाहाटी - असम

2 कोलकाता-वेस्ट बंगाल

3 मुंडली-उड़ीसा

4 अराकोनम-तमिलनाडु

5 पुणे-महाराष्ट्र

6 गांधीनगर-गुजरात

7 गाजियाबाद-उत्तर प्रदेश

8 भटिंडा-पंजाब

9 पटना- बिहार

10 विजयवाड़ा-आंध्र प्रदेश

11 वाराणसी-उत्तर प्रदेश

12 इटानगर-अरुणाचलप्रदेश

अब तक बचाई कई जानें

NDRF के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक स्थापना के बाद से अब तक देश और विदेश में आई विभिन्न आपदाओं में 4,70,000 से अधिक लोगों को बचाया गया है.

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