नई दिल्ली : सनातन धर्म में फुलेरा दूज का विशेष महत्व है. पंचांग के मुताबिक फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाता है. फुलेरा दूज का पर्व होली से पहले मनाते हैं. इस बार फुलेरा दूज 21 फरवरी यानी, मंगलवार को मनाया जाएगा. फुलेरा दूज के दिन घरों को रंगोली और फूलों से सजाया जाता है. फुलेरा दूज को लेकर मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी फूलों की होली खेलते हैं. इस दिन भगवान कृष्ण के लिए विशेष पकवान तैयार कर भोग लगाया जाता है.
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, फुलेरा दूज को एक अबूझ मुहूर्त माना गया है. फुलेरा दूज के दिन बिना मुहूर्त देखें सभी प्रकार के मांगलिक और शुभ कार्य किए जा सकते हैं. फुलेरा दूज के दिन शुभ और मांगलिक कार्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. फुलेरा दूज के दिन शादी विवाह गृह प्रवेश वाहन खरीदना साथ ही नया बिजनेस शुरू कर सकते हैं. फुलेरा दूज के दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा अर्चना करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ता है. ऐसी मान्यता है कि फुलेरा दूज के दिन विवाह करने पर भगवान कृष्ण और राधा रानी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
फुलेरा दूज शुभ मुहूर्त
- फुलेरा दूज 21 फरवरी (मंगलवार) को मनाई जाएगी.
- फुलेरा दूज तिथि प्रारम्भ: 21 फरवरी (मंगलवार) सुबह 09:04 AM.
- दूज तिथि समाप्त : 22 फरवरी (बुधवार) सुबह 05:57 AM.
- गोधूली मुहूर्त: 21 फरवरी (मंगलवार) शाम 06:13 बजे से 06:38 बजे तक
फुलेरा दूज की पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बार की बात है जब श्री कृष्ण कार्यों में इतने व्यस्त हो गए कि वह लंबे समय तक राधा रानी से मुलाकात करने के लिए बरसाने ना जा सके. जिसकी वजह से राधा रानी उदास हो गई. राधा रानी के उदास होने की वजह से वृंदावन में फूल मुरझाने लगे और वन सुखने शुरू हो गए. जब श्री कृष्ण को यह जानकारी मिली तो वह तुरंत राधा रानी से मिलने बरसाने गए.
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भगवान श्री कृष्ण को देखकर राधा रानी प्रफुल्लित हो गई. राधा रानी के प्रफुल्लित होते ही सूखे हुए वनों में हरियाली छाने लगी और मुरझाए हुए फूल फिर दोबारा से खिलने लगे. राधा रानी को छेड़ने के लिए श्री कृष्ण ने खिले हुए फूल तोड़ कर उन पर फेंके. श्री कृष्ण को फूल फेकता देख राधा रानी ने भी उन पर फूल फेंके. जिसे देख बरसाने की गोपियां और ग्वालियर भी मंत्रमुग्ध होकर एक दूसरे के संग फूलों की होली खेलने लगे. उस दिन फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी. तभी से इस दिन को फुलेरा दूज के त्यौहार के रूप में मनाया जाने लगा.
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