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इन चार तरीकों से ठक-ठक गैंग देता है वारदात को अंजाम, जानिए बचाव के उपाय - कैसे चलती है ठक ठक गैंग

दिल्ली-NCR में ट्रैफिक सिग्नल पर आए दिन ठगी की वारदात को अंजाम देने वाले ठक-ठक गैंग के बारे में जानिए. कैसे इस गैंग के लोग वारदात को अंजाम देते हैं और किस तरह सावधानी बरतकर इनसे बचा जा सकता है.

इन चार तरीकों से ठक-ठक गैंग करता है वारदात
इन चार तरीकों से ठक-ठक गैंग करता है वारदात
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Published : Oct 25, 2021, 3:57 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली-NCR में ट्रैफिक सिग्नल पर आए दिन ठक-ठक गैंग के सदस्य लोगों को शिकार बनाते हैं. वारदात के लिए वह ऐसे वाहन चालक को चुनते हैं, जिसकी गाड़ी में बैग, पर्स या मोबाइल दिख रहा हो. आमतौर पर चार तरीकों से यह गैंग लोगों को निशाना बनाता है. गाड़ी से चोरी किया गया सामान अगले कुछ घंटों में वह बेच देते हैं और रुपए तमिलनाडु स्थित अपने घर भेज देते हैं. इसकी वजह से उनसे बरामदगी करना भी बेहद मुश्किल होता है.


पुलिस सूत्रों के अनुसार, ठक-ठक गैंग के अधिकांश सदस्य तमिलनाडु के त्रिचीपल्ली निवासी होते हैं. यहां से दिल्ली-NCR में आकर वह गैंग बनाकर वारदात करते हैं और उससे होने वाली कमाई को तुरंत त्रिचीपल्ली स्थित अपने बैंक अकाउंट में भिजवा देते हैं. दिल्ली में इस गैंग के अधिकांश सदस्य अंबेडकर नगर स्थित दक्षिणपुरी इलाके में रहते हैं.

पुलिस ने कई बार ऐसे गैंग पकड़े हैं, लेकिन इसके बावजूद इस तरह की वारदातों पर कोई लगाम नहीं लगी है. खास बात यह है कि अब इस तरीके के गैंग वारदात के लिए नाबालिगों का इस्तेमाल करने लगे हैं. उन्हें पता है कि पुलिस नाबालिग के खिलाफ कोई सख्त एक्शन नहीं ले सकती है. इसके चलते उनका इस्तेमाल वारदात में बढ़ने लगा है.


वारदात का पहला तरीका:

इस गैंग के सदस्य रेड लाइट पर खड़े होकर ऐसी गाड़ी का इंतजार करते हैं जिसमें कोई बैग रखा हो. अगर गाड़ी के डैशबोर्ड पर पर्स या मोबाइल रखा होता है तो वह उसे भी निशाना बनाते हैं. इस गैंग का एक सदस्य गाड़ी को चिन्हित कर अपने साथी को इशारा करता है. दूसरा शख्स गाड़ी के शीशे पर ठक-ठक की दस्तक देता है. चालक जैसे ही गाड़ी का लॉक खोलता है या शीशा नीचे करता है, दूसरी तरफ का दरवाजा खोलकर इस गैंग के सदस्य गाड़ी में रखे बैग, मोबाइल और पर्स को लेकर फरार हो जाते हैं. इसका पता जब तक पीड़ित को चलता है, बदमाश वहां से फरार हो चुका होता है.


वारदात का दूसरा तरीका:

इस गैंग के सदस्य गाड़ी को चिन्हित करने के बाद उसके टायर की हवा को कम कर देते हैं या पंचर कर देते हैं. कई बार वह उसके रास्ते में कील फेंककर टायर को पंचर कर देते हैं. रास्ते में इस गैंग का एक सदस्य वाहन चालक को बताता है कि उनकी गाड़ी पंचर हो रखी है. वह जब गाड़ी से उतरकर अपने वाहन की जांच करने लगते हैं तो उसी समय इस गैंग का दूसरा सदस्य गाड़ी के भीतर रखे बैग को उड़ा लेता है.

ये भी पढ़ें- ठक-ठक गैंग का कारनामा! मेरठ से दिल्ली आ देते थे वारदात को अंजाम, रंगे हाथ पुलिस ने दबोचा



वारदात का तीसरा तरीका:

इस गैंग के सदस्य गाड़ी के बोनट पर ऑयल गिरा देते हैं. वाहन चालक जब जा रहा होता है तो उसे इस गैंग का एक सदस्य बताता है कि उसके बोनट से तेल लीक हो रहा है. वाहन चालक जब गाड़ी को रोककर इसकी जांच कर रहा होता है तो उसी समय गाड़ी के अंदर रखा बैग या अन्य कीमती सामान लेकर दूसरा बदमाश रफूचक्कर हो जाता है.

वारदात का चौथा तरीका:

इस गैंग के सदस्य गाड़ी के पास 10-10 रुपए के नए नोट बिखेर देते हैं. इसके बाद चालक को बताया जाता है कि उनके रुपए नीचे गिर गए हैं. लालच में आकर जैसे ही वह गाड़ी का लॉक खोलकर इन रुपयों को उठाने की कोशिश करता है, दूसरी तरफ से इस गैंग का सदस्य गाड़ी में रखा सामान लेकर फरार हो जाता है.

ये भी पढ़ें- हरियाणाः दिल्ली-NCR में खौफ का दूसरा नाम बने ठक-ठक गैंग के सरगना समेत 3 गिरफ्तार


बचाव के उपाय
*अपने बैग को गाड़ी की डिग्गी में रखें.
*अपने पर्स एवं मोबाइल को गाड़ी के डैश बोर्ड पर न रखें.
*गाड़ी पंचर होने पर उतरते ही इसे लॉक कर दें.
*अगर कोई आपकी गाड़ी के शीशे पर दस्तक दें तो सावधान हो जाएं.
*अगर कोई बोनट पर तेल गिरने की जानकारी दे तो इसकी जांच गाड़ी लॉक करने के बाद करें.
*रेड लाइट पर खासतौर से सावधानी बरतें क्योंकि यह गैंग वहां अपना शिकार चुनता है.

नई दिल्ली: दिल्ली-NCR में ट्रैफिक सिग्नल पर आए दिन ठक-ठक गैंग के सदस्य लोगों को शिकार बनाते हैं. वारदात के लिए वह ऐसे वाहन चालक को चुनते हैं, जिसकी गाड़ी में बैग, पर्स या मोबाइल दिख रहा हो. आमतौर पर चार तरीकों से यह गैंग लोगों को निशाना बनाता है. गाड़ी से चोरी किया गया सामान अगले कुछ घंटों में वह बेच देते हैं और रुपए तमिलनाडु स्थित अपने घर भेज देते हैं. इसकी वजह से उनसे बरामदगी करना भी बेहद मुश्किल होता है.


पुलिस सूत्रों के अनुसार, ठक-ठक गैंग के अधिकांश सदस्य तमिलनाडु के त्रिचीपल्ली निवासी होते हैं. यहां से दिल्ली-NCR में आकर वह गैंग बनाकर वारदात करते हैं और उससे होने वाली कमाई को तुरंत त्रिचीपल्ली स्थित अपने बैंक अकाउंट में भिजवा देते हैं. दिल्ली में इस गैंग के अधिकांश सदस्य अंबेडकर नगर स्थित दक्षिणपुरी इलाके में रहते हैं.

पुलिस ने कई बार ऐसे गैंग पकड़े हैं, लेकिन इसके बावजूद इस तरह की वारदातों पर कोई लगाम नहीं लगी है. खास बात यह है कि अब इस तरीके के गैंग वारदात के लिए नाबालिगों का इस्तेमाल करने लगे हैं. उन्हें पता है कि पुलिस नाबालिग के खिलाफ कोई सख्त एक्शन नहीं ले सकती है. इसके चलते उनका इस्तेमाल वारदात में बढ़ने लगा है.


वारदात का पहला तरीका:

इस गैंग के सदस्य रेड लाइट पर खड़े होकर ऐसी गाड़ी का इंतजार करते हैं जिसमें कोई बैग रखा हो. अगर गाड़ी के डैशबोर्ड पर पर्स या मोबाइल रखा होता है तो वह उसे भी निशाना बनाते हैं. इस गैंग का एक सदस्य गाड़ी को चिन्हित कर अपने साथी को इशारा करता है. दूसरा शख्स गाड़ी के शीशे पर ठक-ठक की दस्तक देता है. चालक जैसे ही गाड़ी का लॉक खोलता है या शीशा नीचे करता है, दूसरी तरफ का दरवाजा खोलकर इस गैंग के सदस्य गाड़ी में रखे बैग, मोबाइल और पर्स को लेकर फरार हो जाते हैं. इसका पता जब तक पीड़ित को चलता है, बदमाश वहां से फरार हो चुका होता है.


वारदात का दूसरा तरीका:

इस गैंग के सदस्य गाड़ी को चिन्हित करने के बाद उसके टायर की हवा को कम कर देते हैं या पंचर कर देते हैं. कई बार वह उसके रास्ते में कील फेंककर टायर को पंचर कर देते हैं. रास्ते में इस गैंग का एक सदस्य वाहन चालक को बताता है कि उनकी गाड़ी पंचर हो रखी है. वह जब गाड़ी से उतरकर अपने वाहन की जांच करने लगते हैं तो उसी समय इस गैंग का दूसरा सदस्य गाड़ी के भीतर रखे बैग को उड़ा लेता है.

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वारदात का तीसरा तरीका:

इस गैंग के सदस्य गाड़ी के बोनट पर ऑयल गिरा देते हैं. वाहन चालक जब जा रहा होता है तो उसे इस गैंग का एक सदस्य बताता है कि उसके बोनट से तेल लीक हो रहा है. वाहन चालक जब गाड़ी को रोककर इसकी जांच कर रहा होता है तो उसी समय गाड़ी के अंदर रखा बैग या अन्य कीमती सामान लेकर दूसरा बदमाश रफूचक्कर हो जाता है.

वारदात का चौथा तरीका:

इस गैंग के सदस्य गाड़ी के पास 10-10 रुपए के नए नोट बिखेर देते हैं. इसके बाद चालक को बताया जाता है कि उनके रुपए नीचे गिर गए हैं. लालच में आकर जैसे ही वह गाड़ी का लॉक खोलकर इन रुपयों को उठाने की कोशिश करता है, दूसरी तरफ से इस गैंग का सदस्य गाड़ी में रखा सामान लेकर फरार हो जाता है.

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बचाव के उपाय
*अपने बैग को गाड़ी की डिग्गी में रखें.
*अपने पर्स एवं मोबाइल को गाड़ी के डैश बोर्ड पर न रखें.
*गाड़ी पंचर होने पर उतरते ही इसे लॉक कर दें.
*अगर कोई आपकी गाड़ी के शीशे पर दस्तक दें तो सावधान हो जाएं.
*अगर कोई बोनट पर तेल गिरने की जानकारी दे तो इसकी जांच गाड़ी लॉक करने के बाद करें.
*रेड लाइट पर खासतौर से सावधानी बरतें क्योंकि यह गैंग वहां अपना शिकार चुनता है.

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