ETV Bharat / state

बच्चों पर लॉकडाउन का असर, मनोचिकित्सक से जानिए बच्चों को क्रिएटिव रखने के टिप्स

लॉकडाउन के कारण बच्चों की दिनचर्या में काफी बदलाव आया है. बच्चों के मन में इन दिनों बहुत चिड़चिड़ापन और निराशा की भवन पैदा हो रही है. इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने संजीवन हॉस्पिटल की मनोचिकित्सक रानी भाटिया से खास बातचीत की.

know from psychiatrist how to make your child creative
बच्चों को क्रिएटिव रखने के टिप्स मनोचिकित्सक से जानिए
author img

By

Published : Jul 3, 2020, 5:24 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना काल में यह देखा गया है कि बच्चों के व्यवहार में काफी बदलाव आया है. जहां घर पर रहकर कई बच्चे नई-नई चीजें सीख रहे हैं. वहीं कई बच्चों के व्यवहार में चिड़चिड़ापन और निराशा की भावना भी पैदा हुई है. ऐसे में बच्चों का मनोबल और उन्हें प्रोत्साहित कैसे बढ़ाया जाए. इसको लेकर ईटीवी भारत ने संजीवन हॉस्पिटल की मनोचिकित्सक रानी भाटिया से खास बातचीत की.

बच्चों को क्रिएटिव रखने के टिप्स मनोचिकित्सक से जानिए

बच्चों की दिनचर्या में बदलाव


रानी भाटिया ने बताया कि पिछले 3 महीने से जहां बच्चे अपने-अपने घरों में है, ना तो वह स्कूल जा रहे हैं और ना ही वह बाहर खेलने जा पा रहे हैं. ऐसे में बच्चों की दिनचर्या में बड़ा बदलाव आया है. बच्चों के जीवन में सबसे बड़ा हिस्सा खेलना-कूदना और अपने दोस्तों के साथ समय बिताना मुख्य होता है. लेकिन इस कोरोना काल में यह पूरी तरीके से बंद हुआ है. ऐसे में उनके व्यवहार में बदलाव आना स्वभाविक है.

बच्चों के साथ करें उनकी पसंदीदा एक्टिविटी


कोरोना से पहले जहां बच्चों की नजरों में पिता ऑफिस जाते हैं और मां घर संभालती है. वह भी अब पूरी तरीके से बदल गया है. जहां इस वक्त सभी घर पर हैं. ऐसे में बच्चे सब के साथ घर पर है. जिसके लिए जरूरी है की माता-पिता बच्चे के साथ एक फ्रेंडली व्यवहार करें. क्योंकि बच्चे बहुत क्रिएटिव होते हैं, तो उन्हें कुछ ना कुछ नई चीजें सिखाएं, जिसे बच्चे बहुत दिलचस्पी से सीखते हैं. उनके साथ अधिक से अधिक समय उनकी पसंदीदा एक्टिविटीज करने में बिताएं.

बच्चों के जीवन में खेलकूद हुआ कम


इसके साथ ही उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से पहले जहां बच्चों को माता-पिता फोन नहीं देते थे, लेकिन अब स्कूल बंद होने के कारण सबकी पढ़ाई-लिखाई डिजिटल माध्यम से ही हो रही है. मोबाइल फोन, लैपटॉप पर ही बच्चे अधिकतर समय बिता रहे हैं. ऐसे में बच्चों का खेलना-कूदना अपने दोस्तों के साथ समय बिताना कम हो गया है. इसके कारण भी बच्चों के व्यवहार में बदलाव आया है.

नई दिल्ली: कोरोना काल में यह देखा गया है कि बच्चों के व्यवहार में काफी बदलाव आया है. जहां घर पर रहकर कई बच्चे नई-नई चीजें सीख रहे हैं. वहीं कई बच्चों के व्यवहार में चिड़चिड़ापन और निराशा की भावना भी पैदा हुई है. ऐसे में बच्चों का मनोबल और उन्हें प्रोत्साहित कैसे बढ़ाया जाए. इसको लेकर ईटीवी भारत ने संजीवन हॉस्पिटल की मनोचिकित्सक रानी भाटिया से खास बातचीत की.

बच्चों को क्रिएटिव रखने के टिप्स मनोचिकित्सक से जानिए

बच्चों की दिनचर्या में बदलाव


रानी भाटिया ने बताया कि पिछले 3 महीने से जहां बच्चे अपने-अपने घरों में है, ना तो वह स्कूल जा रहे हैं और ना ही वह बाहर खेलने जा पा रहे हैं. ऐसे में बच्चों की दिनचर्या में बड़ा बदलाव आया है. बच्चों के जीवन में सबसे बड़ा हिस्सा खेलना-कूदना और अपने दोस्तों के साथ समय बिताना मुख्य होता है. लेकिन इस कोरोना काल में यह पूरी तरीके से बंद हुआ है. ऐसे में उनके व्यवहार में बदलाव आना स्वभाविक है.

बच्चों के साथ करें उनकी पसंदीदा एक्टिविटी


कोरोना से पहले जहां बच्चों की नजरों में पिता ऑफिस जाते हैं और मां घर संभालती है. वह भी अब पूरी तरीके से बदल गया है. जहां इस वक्त सभी घर पर हैं. ऐसे में बच्चे सब के साथ घर पर है. जिसके लिए जरूरी है की माता-पिता बच्चे के साथ एक फ्रेंडली व्यवहार करें. क्योंकि बच्चे बहुत क्रिएटिव होते हैं, तो उन्हें कुछ ना कुछ नई चीजें सिखाएं, जिसे बच्चे बहुत दिलचस्पी से सीखते हैं. उनके साथ अधिक से अधिक समय उनकी पसंदीदा एक्टिविटीज करने में बिताएं.

बच्चों के जीवन में खेलकूद हुआ कम


इसके साथ ही उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से पहले जहां बच्चों को माता-पिता फोन नहीं देते थे, लेकिन अब स्कूल बंद होने के कारण सबकी पढ़ाई-लिखाई डिजिटल माध्यम से ही हो रही है. मोबाइल फोन, लैपटॉप पर ही बच्चे अधिकतर समय बिता रहे हैं. ऐसे में बच्चों का खेलना-कूदना अपने दोस्तों के साथ समय बिताना कम हो गया है. इसके कारण भी बच्चों के व्यवहार में बदलाव आया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.