नई दिल्ली: कोरोना का इन्फेक्शन तेजी से फैल रहा है. ऐसे में कई ऐसी रिपोर्ट्स है, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि अब कोरोना का संक्रमण हवा में भी है. हवा के जरिए भी यह तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. इसी को लेकर फॉर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट गुरुग्राम अस्पताल के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड वरिष्ठ डॉ. प्रवीण गुप्ता ने बताया कि जो रिपोर्ट सामने आ रही हैं, वह बिल्कुल सही हैं. यह माना जा रहा है कि वायरस 3 घंटे तक हवा में रह सकता है और उस दौरान उस हवा में मौजूद लोगों को संक्रमित भी कर सकता है.
हवा में संक्रमण का खतरा
डॉ. प्रवीण गुप्ता ने बताया कि जो लोग ए- सिंप्टोमेटिके होते हैं, यानी कि जिनमें वायरस के कोई भी लक्षण देखने को नहीं मिलते, लेकिन वह संक्रमित होते हैं. ऐसे लोग सुपर स्प्रेडर के रूप में उभर कर सामने आते हैं. वह लोग ही हवा के जरिए ही संक्रमण को फैला सकते हैं. ऐसे लोगों के जरिए ड्रॉपलेट से संक्रमण नहीं फैलता, बल्कि हवा के जरिए ही एक दूसरे में जाता है.
डॉ. गुप्ता ने बताया कि यदि एक घर में दो अलग-अलग कमरों में लोग रह रहे हैं. बावजूद इसके वह संक्रमित हो जाते हैं, तो इससे यह साफ है कि संक्रमण हवा के जरिए भी फैल रहा है. इससे बचाव का केवल एक ही उपाय है कि मास्क लगाया जाए. जहां पर भी एक से ज्यादा व्यक्ति हो, वह मास्क का प्रयोग करें.
संक्रमण बदल चुका है अपना रूप
इस महामारी के दौरान कई सवाल ऐसे भी आ रहे हैं कि अगर किसी व्यक्ति को एक बार कोरोना हो गया है, तो क्या वह व्यक्ति दोबारा संक्रमित हो सकता है. जिसको लेकर डॉ. प्रवीण गुप्ता ने बताया पिछले साल से अब तक वायरस के कई वैरीअंट सामने आ चुके हैं और कई बार वायरस में म्यूटेशन भी हो गया है. वायरस अब तक कई बार अपने रूप बदल चुका है. ऐसे में अलग-अलग वैरीअंट हमारे इम्यून सिस्टम पर भी असर डाल रहा है. वहीं देखा गया है कि कोरोना की एंटीबॉडीज भी समय-समय पर कम हो जाती हैं, इसलिए लोग दोबारा भी संक्रमित हो रहे हैं.
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चार से छह हफ्तों में एंटीबॉडीज का लगा सकते हैं पता
इस कोरोना से लड़ाई के दौरान जो लोग रिकवर हो चुके हैं, उन लोगों को कैसे यह पता चलेगा कि उनके शरीर में एंटीबॉडीज बन चुकी है. इसको लेकर डॉक्टर ने बताया कि किसी भी इंफेक्शन के बाद एंटीबॉडीज बनने में 4 से 6 हफ्तों का समय लगता है. इस दौरान आप संक्रमण से ठीक हो गए हैं और आपने वैक्सीन के दोनों डोज़ ले लिए हैं, तो आप एक आसान सा ब्लड टेस्ट करा कर यह पता लगा सकते हैं कि आपके शरीर में एंटीबॉडी बनी है या नहीं.
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बुजुर्गों और बच्चों का खास ध्यान रखने की आवश्यकता
डॉ.प्रवीण गुप्ता ने बताया कि वायरस का बदला हुआ यह रूप बच्चों और बुजुर्गों को भी अपनी चपेट में ले रहा है. कारण यह है क्योंकि बच्चों और बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम अन्य लोगों के मुकाबले कमजोर होता है. इसलिए यह वायरस आसानी से उन तक पहुंच पा रहा है, और तेजी से अपना संक्रमण फैला रहा है. इसके लिए जरूरी है कि बुजुर्ग और बच्चों का खास ध्यान रखा जाए. जरूरी ना हो तो उन्हें घर से ना निकलने दे.
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एक ही मास्क को बार-बार ना करें इस्तेमाल
डॉ. गुप्ता ने बताया कि कोरोना वायरस के सभी खतरो से बचाव का केवल एक ही तरीका है, वह है मास्क. हर एक व्यक्ति को मास्क पहनना बहुत आवश्यक है. जो लोग संक्रमित इलाकों में या फिर संक्रमित के आसपास रह रहे हैं, तो वह N95 मास का इस्तेमाल करें. उसके साथ एक सर्जिकल मास्क पहने, तो ज्यादा संक्रमण से बच पाएगें. इस दौरान यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि कोई भी मास्क जो आप पहन रहे हैं. वह सही से साफ होना चाहिए और बार-बार मास्क को रीयूज ना करें.
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वैक्सीन देती है 70 से 80 फ़ीसदी तक सुरक्षा
डॉ. गुप्ता ने बताया कि महामारी की रोकथाम के लिए वैक्सीनेशन ड्राइव चलाई जा रही है. अलग-अलग चरणों में लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है. वहीं कई लोगों के मन में यह सवाल है कि वैक्सीन लगाने के बाद भी जो लोग संक्रमित हो रहे हैं, तो फिर वैक्सीन कैसे बचाव करती है?
उन्होंने कहा की वैक्सीन 70 से 80 फ़ीसदी तक सुरक्षा देती है. ऐसे में वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद भी कोई व्यक्ति संक्रमित होता है.संक्रमण से उसे ज्यादा खतरा नहीं होगा, अस्पताल में भर्ती होने और वेंटिलेटर तक पहुंचने की स्थिति नहीं होगी. इसलिए वैक्सीनेशन जरूरी है. हर व्यक्ति को वैक्सीन लगाना अनिवार्य है. क्योंकि संक्रमित होने के बाद भी यह आपका बचाव करती है.