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G20 Summit 2023: 21 साल से बंद Khooni Darwaza से रूबरू होंगे विदेशी मेहमान, जानिए इसका इतिहास - दिल्ली की पुरानी ऐतिहासिक स्मारकें

विश्व की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का समूह G20 की अध्यक्षता वर्तमान में भारत के पास है. दिल्ली में जगह-जगह इसकी तैयारियां चल रही हैं. इसी कड़ी में अब एएसआई विदेशी मेहमानों को दिल्ली के खूनी दरवाजा से रूबरू कराएगा, जो दिल्ली के इतिहास को अपने अंदर समाहित किए हुए हैं.

खूनी दरवाजा
खूनी दरवाजा
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Published : Apr 8, 2023, 5:27 PM IST

खूनी दरवाजा

नई दिल्ली: वर्तमान में जी 20 सम्मेलन की अध्यक्षता भारत कर रहा है. राजधानी में जगह-जगह इसको लेकर तैयारियां चल रही है. इसको लेकर दिल्ली के कई इलाकों को खूबसूरती से सजाया जाएगा. सड़कों पर लाखों की संख्या में रंग, बिरंगे फूल अपनी खूबसूरती से विदेशी मेहमानों को आकर्काषित करेंगे. जगह-जगह जी 20 के कट आउट लगाए जाएंगे. सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे. इन सबके बीच दिल्ली के उन दरवाजों से भी विदेशी मेहमान रूबरू होंगे, जो दिल्ली के इतिहास को अपने अंदर दफन किए हुए हैं. जी हां, आज हम दिल्ली के मुख्य दरवाजों में से एक खूनी दरवाजा की बात करेंगे. खास बात यह है कि आम लोगों के लिए यह दरवाजा 21 साल से बंद है. आइए जानते हैं दिल्ली में कहां है यह दरवाजा...

सड़क के बीच पेड़ों के ओट में छिपा है यह गेट: खूनी दरवाजा दिल्ली के आईटीओ चौराहे से कुछ कदम दूर मौलाना मेडिकल आजाद कॉलेज और फिरोजशाह कोटला किला के सामने स्थित है. यह दरवाजा सड़क के बीच में है. हालांकि, यहां पेड़ों की टहनियों के बीच छुपा यह दरवाजा लोगों की कभी-कभी नजर आता है. अब यहां पर पेड़ों की टहनियों की छंटाई की जाएगी, जिससे दूर से लोग इस खूनी दरवाजे को देख सकेंगे.

खूनी दरवाजे से रूबरू होंगे विदेशी मेहमान
खूनी दरवाजे से रूबरू होंगे विदेशी मेहमान

एएसआई ने शुरू किया संरक्षण कार्य: जी 20 सम्मेलन को देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) खूनी दरवाजे पर संरक्षण कार्य शुरू करेगी. एएसआई इस दरवाजे के बाहर और अंदर क्षतिग्रस्त हो रही दीवारों को ठीक करने का काम करेगी. साथ ही दरवाजे के छत पर नया प्लास्टर लगाने का कार्य किया जाएगा. एएसआई के एक अधिकारी ने बताया कि इसके संरक्षण कार्य होने के बाद इस गेट के बाहर साफ-सफाई की कड़ी व्यस्था की जाएगी. इसके अलावा यहां पर एक सुरक्षा कर्मी तैनात किया जाएगा. यहां पर एक पार्क विकसित किया जाएगा. खूनी दरवाजे के इतिहास को समझने के लिए जगह-जगह सूचक बोर्ड लगाए जाएंगे.

खूनी दरवाजे से रूबरू होंगे विदेशी मेहमान
खूनी दरवाजे से रूबरू होंगे विदेशी मेहमान

लोहे की ग्रिल से बंद है दरवाजा: एक मंजिला इस गेट के अंदर से ऊपर छत पर जाने का रास्ता भी है. ऊपरी छत पर ले जाने वाली सीढ़ी आज भी हूबहू वैसी ही है, जैसे गेट के निर्माण के दौरान रही होगी. एएसआई समय-समय पर इन सीढ़ियों का संरक्षण कार्य करते रहती है. गेट के अंदर इस घुमाऊ दार सीढ़ी से पहली मंजिल पर जाने के दौरान घना अंधेरा रहता है. अगर बिना रोशनी के जाए तो डर लगना लाजमी है. वहीं ऊपरी छत से बाहर का नजारा देखना काफी अच्छा लगता है. फिलहाल, इस सीढ़ी से ऊपर आना आम लोगों के लिए वर्जित है. एएसआई ने लोहे की मोटी रेलिंग लगाकर इसे बंद कर रखा है.

क्यों बंद किया गया था दरवाजा: एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सालों तक इस दरवाजे के अंदर लोग जाते रहे हैं. लेकिन दिसंबर 2002 के दौरान यहां एक मेडिकल की छात्रा के साथ कुछ युवकों ने बलात्कार किया था. विरोध में इस गेट पर ताला लगाने की मांग उठी. तब से इस दरवाजे के अंदर किसी को जाने की इजाजत नहीं दी गई.

रात में घूमते हैं भूत: खूनी दरवाजे को लेकर कई कहानियां भी प्रचलित है. ऐसा कहा जाता है कि यहां पर दरवाजे से अजीबो गरीब आवाज सुनाई देती है. रात को पायल की आवाज सुनाई पड़ती है. इस मार्ग से जो गुजरता है उसके साथ बुरा हो जाता है. इस गेट के पास कुछ समय बाद एक छोटा सा मंदिर भी बना दिया गया. यह अफवाह ही था, क्योंकि ऐसा होता तो खूनी दरवाजे पर एएसआई सालों साल संरक्षण कार्य कैसे कर पाती.

ये भी पढ़ें: Prisoners Rush in Tihar Jail : तिहाड़ जेल जाने के लिए कैदियों की लंबी लाइन, जानें क्या है मामला

लाल दरवाजा कैसे बना खूनी दरवाजा: 1857 की क्रांति के दमन के बाद अंग्रेजों के अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के दो बेटों और एक पोते की गोली मारकर हत्या कर दी थी. कहा जाता है कि उनके शव को यहीं छोड़ दिया गया था. उनके खून के धब्बे इस दरवाजे पर पड़े. इसलिए इस दरवाजे का नाम खूनी दरवाजा पड़ गया. इस गेट का निर्माण कार्य सूरी साम्राज्य के संस्थापक शेर शाह सूरी ने करवाया था.

ये भी पढ़ें: Degree Dikhao Campaign: AAP के पूर्व पार्षद ने डिग्री दिखाओ इनाम पाओ मुहिम की शुरुआत, लोगों से की ये अपील

खूनी दरवाजा

नई दिल्ली: वर्तमान में जी 20 सम्मेलन की अध्यक्षता भारत कर रहा है. राजधानी में जगह-जगह इसको लेकर तैयारियां चल रही है. इसको लेकर दिल्ली के कई इलाकों को खूबसूरती से सजाया जाएगा. सड़कों पर लाखों की संख्या में रंग, बिरंगे फूल अपनी खूबसूरती से विदेशी मेहमानों को आकर्काषित करेंगे. जगह-जगह जी 20 के कट आउट लगाए जाएंगे. सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे. इन सबके बीच दिल्ली के उन दरवाजों से भी विदेशी मेहमान रूबरू होंगे, जो दिल्ली के इतिहास को अपने अंदर दफन किए हुए हैं. जी हां, आज हम दिल्ली के मुख्य दरवाजों में से एक खूनी दरवाजा की बात करेंगे. खास बात यह है कि आम लोगों के लिए यह दरवाजा 21 साल से बंद है. आइए जानते हैं दिल्ली में कहां है यह दरवाजा...

सड़क के बीच पेड़ों के ओट में छिपा है यह गेट: खूनी दरवाजा दिल्ली के आईटीओ चौराहे से कुछ कदम दूर मौलाना मेडिकल आजाद कॉलेज और फिरोजशाह कोटला किला के सामने स्थित है. यह दरवाजा सड़क के बीच में है. हालांकि, यहां पेड़ों की टहनियों के बीच छुपा यह दरवाजा लोगों की कभी-कभी नजर आता है. अब यहां पर पेड़ों की टहनियों की छंटाई की जाएगी, जिससे दूर से लोग इस खूनी दरवाजे को देख सकेंगे.

खूनी दरवाजे से रूबरू होंगे विदेशी मेहमान
खूनी दरवाजे से रूबरू होंगे विदेशी मेहमान

एएसआई ने शुरू किया संरक्षण कार्य: जी 20 सम्मेलन को देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) खूनी दरवाजे पर संरक्षण कार्य शुरू करेगी. एएसआई इस दरवाजे के बाहर और अंदर क्षतिग्रस्त हो रही दीवारों को ठीक करने का काम करेगी. साथ ही दरवाजे के छत पर नया प्लास्टर लगाने का कार्य किया जाएगा. एएसआई के एक अधिकारी ने बताया कि इसके संरक्षण कार्य होने के बाद इस गेट के बाहर साफ-सफाई की कड़ी व्यस्था की जाएगी. इसके अलावा यहां पर एक सुरक्षा कर्मी तैनात किया जाएगा. यहां पर एक पार्क विकसित किया जाएगा. खूनी दरवाजे के इतिहास को समझने के लिए जगह-जगह सूचक बोर्ड लगाए जाएंगे.

खूनी दरवाजे से रूबरू होंगे विदेशी मेहमान
खूनी दरवाजे से रूबरू होंगे विदेशी मेहमान

लोहे की ग्रिल से बंद है दरवाजा: एक मंजिला इस गेट के अंदर से ऊपर छत पर जाने का रास्ता भी है. ऊपरी छत पर ले जाने वाली सीढ़ी आज भी हूबहू वैसी ही है, जैसे गेट के निर्माण के दौरान रही होगी. एएसआई समय-समय पर इन सीढ़ियों का संरक्षण कार्य करते रहती है. गेट के अंदर इस घुमाऊ दार सीढ़ी से पहली मंजिल पर जाने के दौरान घना अंधेरा रहता है. अगर बिना रोशनी के जाए तो डर लगना लाजमी है. वहीं ऊपरी छत से बाहर का नजारा देखना काफी अच्छा लगता है. फिलहाल, इस सीढ़ी से ऊपर आना आम लोगों के लिए वर्जित है. एएसआई ने लोहे की मोटी रेलिंग लगाकर इसे बंद कर रखा है.

क्यों बंद किया गया था दरवाजा: एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सालों तक इस दरवाजे के अंदर लोग जाते रहे हैं. लेकिन दिसंबर 2002 के दौरान यहां एक मेडिकल की छात्रा के साथ कुछ युवकों ने बलात्कार किया था. विरोध में इस गेट पर ताला लगाने की मांग उठी. तब से इस दरवाजे के अंदर किसी को जाने की इजाजत नहीं दी गई.

रात में घूमते हैं भूत: खूनी दरवाजे को लेकर कई कहानियां भी प्रचलित है. ऐसा कहा जाता है कि यहां पर दरवाजे से अजीबो गरीब आवाज सुनाई देती है. रात को पायल की आवाज सुनाई पड़ती है. इस मार्ग से जो गुजरता है उसके साथ बुरा हो जाता है. इस गेट के पास कुछ समय बाद एक छोटा सा मंदिर भी बना दिया गया. यह अफवाह ही था, क्योंकि ऐसा होता तो खूनी दरवाजे पर एएसआई सालों साल संरक्षण कार्य कैसे कर पाती.

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लाल दरवाजा कैसे बना खूनी दरवाजा: 1857 की क्रांति के दमन के बाद अंग्रेजों के अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के दो बेटों और एक पोते की गोली मारकर हत्या कर दी थी. कहा जाता है कि उनके शव को यहीं छोड़ दिया गया था. उनके खून के धब्बे इस दरवाजे पर पड़े. इसलिए इस दरवाजे का नाम खूनी दरवाजा पड़ गया. इस गेट का निर्माण कार्य सूरी साम्राज्य के संस्थापक शेर शाह सूरी ने करवाया था.

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