नई दिल्ली: विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि 14 फरवरी 2015 को जब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार बनी थी तब से लेकर 4 अगस्त 2016 के बीच सेवा विभाग दिल्ली की चुनी हुई सरकार के नीचे ही काम कर रहा था. इस अवधि के दौरान केजरीवाल सरकार ने ट्रेड एंड टैक्सेस विभाग में अपने चहेते भ्रष्ट अधिकारियों को तैनात किया.
'चपरासी के लायक भी नहीं अधिकारी'
विजेंद्र गुप्ता का आरोप है कि 18 आला अधिकारी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की स्वीकृति से तैनात किए गए. इनमें से 9 अधिकारी उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तथा 9 अधिकारी तत्कालीन मुख्यमंत्री के सचिव राजेंद्र कुमार द्वारा तैनात किए गए. उन्होंने कहा कि जब केजरीवाल सरकार को लगा कि पानी अब सिर के ऊपर से गुजर रहा है, तो उन्होंने खुद मान लिया कि अधिकारी जो ट्रेड एंड टैक्सेस जैसे विभाग में तैनात किए गए हैं. वह चपरासी के काम के लायक भी नहीं है. उन्हें 26 अक्टूबर 2018 को सेवा विभाग को वापस कर दिया.
'CM ने किया भ्रष्ट अधिकारियों को तैनात'
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि सरकार ने इसका आरोप उपराज्यपाल पर मढ़ दिया कि उन्होंने सर्विसेस विभाग में पोस्टिंग ट्रांसफर के मामले में सर्कस बना रखा है. जबकि सच्चाई इसके विपरीत है. केजरीवाल स्वयं ही इन महाभ्रष्ट चहेते अधिकारियों को ट्रेड एंड सर्विसेज ऐसे अति संवेदनशील विभाग में तैनात करवाया और स्वयं ही इन अधिकारियों को सेवा विभाग को वापस किया.
उपराज्यपाल से मामले की जांच की मांग
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि वे अगले सप्ताह उपराज्यपाल से मिलकर इस पूरे मामले की जांच की मांग करेंगे. बता दें कि कोर्ट ने 4 अगस्त 2016 को एक आदेश पारित किया था और दिल्ली सरकार से सर्विसेज का अधिकार लेकर उपराज्यपाल को दे दिया था. विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर सत्ता में आई केजरीवाल सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हुई है. उनकी कथनी और करनी में कोई समानता नहीं है.
इस मुद्दे को बजट सत्र के अंतिम दिन उन्होंने सदन में उठाया था लेकिन अध्यक्ष ने बोलने नहीं दिया. राजेंद्र कुमार तत्कालीन मुख्यमंत्री के सचिव वही अधिकारी हैं, जिनके खिलाफ सीबीआई केस दर्ज है और वे सस्पेंड चल रहे हैं.