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रविदास मंदिर विवाद: मुख्यमंत्री केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी को लिखी चिट्ठी

10 अगस्त को तुगलकाबाद में संत रविदास मंदिर को डीडीए की ओर से गिरा दिया गया था. इसके बाद हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोग सड़कों पर उतरे, वहीं दिल्ली की सियासत में भी इसे लेकर काफी सरगर्मियां देखने को मिली थीं.

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Published : Sep 11, 2019, 10:17 PM IST

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी को लिखी चिट्ठी

नई दिल्ली: संत रविदास मंदिर का मुद्दा अभी भी दिल्ली की सियासत में छाया हुआ है. रविदास मंदिर की जमीन को डिनोटिफाइड करने का अनुरोध करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी को चिट्ठी लिखी है.

संवाददाता निरंजन मिश्रा की रिपोर्ट

मंदिर गिराने के बाद बवाल

10 अगस्त को तुगलकाबाद में संत रविदास मंदिर को डीडीए की ओर से गिरा दिया गया था. इसके बाद हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोग सड़कों पर उतरे, वहीं दिल्ली की सियासत में भी इसे लेकर काफी सरगर्मियां देखने को मिली थीं.

रामलीला मैदान में इसके खिलाफ हजारों की संख्या में लोग जमा हुए थे, जिसे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी का भी समर्थन मिला था. क्योंकि ये जमीन वन विभाग की है और उस पर डीडीए का स्वामित्व है इसलिए केंद्र सरकार ही उसे डिनोटिफाई कर सकती है और वो जमीन रविदास मंदिर को मिल सकती है.

विधानसभा में प्रस्ताव पेश

इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया है, कि केंद्र सरकार अगर उसे डिनोटिफाई करती है, तो दिल्ली सरकार अपनी तरफ से वहां पर भव्य रविदास मंदिर बनाएगी. इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम पहले ही हरदीप पुरी को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी इस पर केंद्र का कोई सकारात्मक रुख देखने को नहीं मिला. अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास राज्य मंत्री हरदीप पुरी को मामले में चिट्ठी लिखी है.

इस चिट्ठी के जरिए केजरीवाल ने उनसे अनुरोध किया है कि केंद्र इस जमीन को मंदिर बनाने के लिए डिनोटिफाइ करे, जो कि अभी वन विभाग के मालिकाना हक में है. सीएम केजरीवाल ने इस पत्र में ये भी कहा है कि इस मंदिर को गिराए जाने के बाद दलित समुदाय से जुड़े लाखों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं और देश ही नहीं दुनिया भर में लोग इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. अभी भी संभावना है कि वहां मंदिर दोबारा स्थापित किया जा सकता है.

इस पत्र के जरिए मुख्यमंत्री ने हरदीप पुरी को आश्वासन दिया है कि उनकी सरकार जमीन को डिनोटिफाई करने के प्रस्ताव पर एक सीमा के भीतर काम करेगी. उन्होंने लिखा है मैं सुनिश्चित करूंगा कि राज्य सरकार तुरंत इस मामले पर अमल करे और इस मामले में तय सीमा के भीतर कानून के हिसाब से फैसला ले.

नई दिल्ली: संत रविदास मंदिर का मुद्दा अभी भी दिल्ली की सियासत में छाया हुआ है. रविदास मंदिर की जमीन को डिनोटिफाइड करने का अनुरोध करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी को चिट्ठी लिखी है.

संवाददाता निरंजन मिश्रा की रिपोर्ट

मंदिर गिराने के बाद बवाल

10 अगस्त को तुगलकाबाद में संत रविदास मंदिर को डीडीए की ओर से गिरा दिया गया था. इसके बाद हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोग सड़कों पर उतरे, वहीं दिल्ली की सियासत में भी इसे लेकर काफी सरगर्मियां देखने को मिली थीं.

रामलीला मैदान में इसके खिलाफ हजारों की संख्या में लोग जमा हुए थे, जिसे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी का भी समर्थन मिला था. क्योंकि ये जमीन वन विभाग की है और उस पर डीडीए का स्वामित्व है इसलिए केंद्र सरकार ही उसे डिनोटिफाई कर सकती है और वो जमीन रविदास मंदिर को मिल सकती है.

विधानसभा में प्रस्ताव पेश

इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया है, कि केंद्र सरकार अगर उसे डिनोटिफाई करती है, तो दिल्ली सरकार अपनी तरफ से वहां पर भव्य रविदास मंदिर बनाएगी. इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम पहले ही हरदीप पुरी को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी इस पर केंद्र का कोई सकारात्मक रुख देखने को नहीं मिला. अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास राज्य मंत्री हरदीप पुरी को मामले में चिट्ठी लिखी है.

इस चिट्ठी के जरिए केजरीवाल ने उनसे अनुरोध किया है कि केंद्र इस जमीन को मंदिर बनाने के लिए डिनोटिफाइ करे, जो कि अभी वन विभाग के मालिकाना हक में है. सीएम केजरीवाल ने इस पत्र में ये भी कहा है कि इस मंदिर को गिराए जाने के बाद दलित समुदाय से जुड़े लाखों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं और देश ही नहीं दुनिया भर में लोग इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. अभी भी संभावना है कि वहां मंदिर दोबारा स्थापित किया जा सकता है.

इस पत्र के जरिए मुख्यमंत्री ने हरदीप पुरी को आश्वासन दिया है कि उनकी सरकार जमीन को डिनोटिफाई करने के प्रस्ताव पर एक सीमा के भीतर काम करेगी. उन्होंने लिखा है मैं सुनिश्चित करूंगा कि राज्य सरकार तुरंत इस मामले पर अमल करे और इस मामले में तय सीमा के भीतर कानून के हिसाब से फैसला ले.

Intro:संत रविदास मंदिर का मुद्दा अभी भी दिल्ली की सियासत में बना हुआ है. रविदास मंदिर की जमीन को डिनोटिफाइड करने का अनुरोध करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी को पत्र लिखा है.


Body:नई दिल्ली: 10 अगस्त को तुगलकाबाद स्थित संत रविदास मंदिर को डीडीए द्वारा गिरा दिया गया था. इसके बाद हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोग सड़कों पर उतरे, वहीं दिल्ली की सियासत में भी इसे लेकर भारी सरगर्मियां देखने को मिली थीं. रामलीला मैदान में इसके खिलाफ हजारों की संख्या में लोग जमा हुए थे, जिसे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी का भी समर्थन मिला था.

चूंकि वह जमीन वन विभाग की है और उस पर डीडीए का स्वामित्व है. इसलिए केंद्र सरकार ही उसे डिनोटिफाई कर सकती है और वह जमीन रविदास मंदिर को मिल सकता है. इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव भी पेश कर दिया है कि केंद्र सरकार अगर उसे डिनोटिफाई करती है, तो दिल्ली सरकार अपनी तरफ से वहां पर भव्य रविदास मंदिर बनाएगी.

इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम पहले ही हरदीप पुरी को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी दिल्ली सरकार के लिए इसपर केंद्र का कोई सकारात्मक रुख देखने को नहीं मिला. अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास राज्य मंत्री हरदीप पुरी को पत्र लिखा है.

इस पत्र के जरिए केजरीवाल ने उनसे अनुरोध किया है कि केंद्र इस जमीन को मंदिर बनाने के लिए डिनोटिफाइ करे, जो कि अभी वन विभाग के मालिकाना हक में है. अरविंद केजरीवाल ने इस पत्र में यह भी कहा है कि इस मंदिर को गिराए जाने के बाद दलित समुदाय से जुड़े करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं और देश ही नहीं दुनिया भर में लोग इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. अभी भी संभावना है कि वहां मंदिर दोबारा स्थापित किया जा सकता है.


Conclusion:इस पत्र के जरिए मुख्यमंत्री ने हरदीप पुरी को आश्वासन दिया है कि उनकी सरकार जमीन को डिनोटिफाई करने के प्रस्ताव पर एक सीमा के भीतर काम करेगी. उन्होंने लिखा है मैं सुनिश्चित करूंगा कि राज्य सरकार तुरंत इस मामले पर अमल करे और इस मामले में तय सीमा के भीतर कानून के हिसाब से निर्णय ले.
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