नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के लिए अगस्त (august) का महीना कई मायनों में काफी खास रहा है. तो आइए हम आपको 10 साल पीछे इसी अगस्त महीने में दिल्ली के रामलीला मैदान (Ramlila Maidan Delhi) में हुए अन्ना आंदोलन (Anna Movement) में ले चलते हैं. आंदोलन के नतीजे के रूप में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) अस्तित्व में आई. इसके मुखिया अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की जनता ने सर माथे पर बिठाते हुए लगातार तीन बार हुए विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री बनाया. लेकिन इस समय दिल्ली के मुख्यमंत्री के एजेंडे में दिल्ली से अधिक गुजरात है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) अभी दो दिवसीय गुजरात दौरे (two day Gujarat tour) पर हैं. यह एक माह के अंदर उनका छठा गुजरात दौरा है. इस दौरान वह अब तक गुजरात की जनता को आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दो गारंटी की घोषणा कर चुके हैं. जिनमें 300 यूनिट बिजली माफ और युवाओं को रोजगार की गारंटी की घोषणा (employment guarantee announcement) की है. शनिवार को अरविंद केजरीवाल गुजरात के जामनगर और रविवार को छोटा उदयपुर के दौरे पर हैं. दिल्ली में आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने तक की जिम्मेदारी उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया निभा रहे हैं.
इससे पहले जुलाई के अंतिम सप्ताह में अरविंद केजरीवाल जब गुजरात के सोमनाथ दौरे पर गए थे तब बोटाड ज़िले में ज़हरीली शराब पीने से 47 लोगों की मौत हो गई थी. अचानक केजरीवाल वहां मृतकों के परिजनों से मिलने पहुंचे और भाजपा शासित राज्य सरकार को घेरने की कोशिश की. गुजरात में केजरीवाल तो दिल्ली में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Deputy CM Manish Sisodia in Delhi) और संसद में उनकी पार्टी के सांसद संजय सिंह (MP Sanjay Singh) गुजरात के शराब कांड पर एक सप्ताह तक संसद से लेकर सड़क पर प्रदर्शन करते रहे. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह (MP Sanjay Singh) कहते हैं, जिस राज्य के एक दशक तक मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी रहे आज वो प्रधानमंत्री हैं, लेकिन गुजरात की जनता की बात वहां शराब की अवैध बिक्री का मुद्दा मैं संसद में उठाना चाहता था, तो मुझे अनुमति नहीं मिली. वहीं दिल्ली में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Deputy CM Manish Sisodia in Delhi) ने भी कहा कि भाजपा को गुजरात की चिंता नहीं है, इसलिए वहां के लोग अब विकल्प तलाश रहे हैं.
पिछले कुछ दिनों में केजरीवाल ने गुजरात के कई दौरे किए हैं. केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Punjab CM Bhagwant Mann) ने 2 अप्रैल को गुजरात में रोड शो किया था. 6 जून को मेहसाणा में तिरंगा यात्रा से पहले भी अरविंद केजरीवाल 1 मई और 11 मई को गुजरात गए थे. तब उन्होंने भरूच और राजकोट में रैली भी की थी. इसके बाद से अरविंद केजरीवाल लगातार गुजरात के दौरे पर जा रहे हैं. इस दौरान वह अलग-अलग वर्ग के लोगों के साथ संवाद कर रहे हैं. वह लोगों को दिल्ली के मॉडल से अवगत करा रहे हैं. साथ ही बता रहे हैं कि 27 साल से गुजरात की सत्ता पर काबिज बीजेपी ने गुजरात में कोई विकास कार्य नहीं किए हैं. केजरीवाल एक माह के अंदर गुजरात के कई शहर का दौरा कर चुके हैं. जिसमें नवसारी, राजकोट, सूरत आदि शामिल है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुजरात विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जनता से पहली गारंटी की घोषणा की थी, जिसमें 300 यूनिट बिजली मुफ्त, दिसंबर 2021 तक सभी बिजली बिल बकाया माफ और 24 घंटे तक बिजली की घोषणा की थी.
साल के अंत में है गुजरात में विधानसभा चुनाव
गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. 2017 के चुनाव में गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) पहली बार चुनाव में उतरी थी. लेकिन वो कोई सीट नहीं जीत सकी थी. इस बार पार्टी फिर वहां मुक़ाबला करने उतरी है, लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी बदली हुई नज़र आती है. वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 2012 की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया था और बीजेपी की सीटें पहली बार 100 से कम हो गई थीं. हालांकि कांग्रेस को तब बहुमत का जादुई आंकड़ा नहीं मिला था. लेकिन उसके बाद से कांग्रेस की हालत गुजरात में पस्त है.
गत वर्ष सूरत नगर निगम में आप को मिली थी 27 सीटें
पिछले साल फरवरी में आम आदमी पार्टी को सूरत नगर निगम में अप्रत्याशित सफलता मिली थी. तब वहां आम आदमी पार्टी ने 27 सीटें जीतीं थीं. सूरत नगर निगम में 120 सीटें हैं और कांग्रेस तब वहां अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी. इसके अलावा जामनगर, राजकोट, वडोदरा, भावनगर और अहमदाबाद में भी भाजपा बड़े अंतर से जीत गई थी. यह देखा गया है कि 2017 के चुनाव के बाद से गुजरात में कांग्रेस का कद लगातार घटता जा रहा है. तो क्या गुजरात में आम आदमी पार्टी इस चुनाव में एक विकल्प बनती दिख रही है? इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार अजय पांडेय कहते हैं कि बंबई राज्य से अलग जब गुजरात बना तब से 1975 और 1990 केवल दो मौकों को छोड़ कर गुजरात की जनता लगभग हमेशा किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत देती रही है. यह आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है.
बता दें कि 1953 में पहला राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया गया. इसके आधार पर 14 राज्य तथा नौ केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए तब गुजरात बंबई राज्य में शामिल था. इसके बाद आज के गुजरात क्षेत्र में महागुजरात आंदोलन उठ खड़ा हुआ. जिसके बाद 1960 में बंबई राज्य को दो भागों में बांट दिया गया और इस तरह गुजरात का जन्म हुआ.
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