नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी (Union Minister Meenakshi Lekhi)ने आरटीआई के माध्यम से मिली जानकारी का हवाला देते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर पर्यावरण सेस को लेकर बुधवार को कई गंभीर आरोप लगाए. पर्यायवरण सेस के रूप में मिले 1286.93 करोड़ रुपये को अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक पर्यटन पर पानी की तरह बहाया. 10 स्मॉग टावर दिल्ली में लगाने का वादा किया था जिन पर हर महीने 80 लाख रुपये खर्च होते हैं.जबकि ये स्मॉग टावर मेंटेनेंस के नाम पर बंद हैं.
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केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लगाए आरोप : राजधानी दिल्ली में एमसीडी के चुनाव को लेकर सियासी माहौल इन दिनों पूरी तरह से गरमाया हुआ है.एमसीडी के चुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच में सीधी कड़ी टक्कर बताई जा रही है. इस बीच बुधवार को केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिल्ली में केजरीवाल की विज्ञापन वाली राजनीति और पर्यायवरण को लेकर किए गए झूठे वादों का भंडाफोड़ करने के साथ एक और बड़ा गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता ने अपने गाढ़े खून- पसीने की कमाई से पर्यावरण सेस के रूप में लगाए गए टैक्स के रूप में 1286.93 करोड़ रुपये केजरीवाल सरकार को दिए थे ताकि वह दिल्ली के लगातार बिगड़ रहे पर्यावरण के स्तर को सुधार सकें लेकिन केजरीवाल सरकार ने कुछ भी काम नहीं किया.
महज 272 करोड़ रुपये का हुआ उपयोग : केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने तंज कसते हुए कहा कि पर्यावरण सेस से मिले पैसों में से महज 272 करोड़ रुपये ही दिल्ली सरकार इस्तेमाल कर पाई है. जिसमें से 265 करोड़ रुपये दिल्ली- मेरठ रैपिड रेल परियोजनाओं में इस्तेमाल हुए हैं. दिल्ली की जनता की इतनी बड़ी राशि पर्यावरण सेस के रूप में दिए जाने का यह रिजल्ट है कि आज दिल्ली में छोटे बच्चे खांस रहे हैं, बुजुर्गों को फेफड़ों की बीमारियां हो रही हैं और दिल्ली के अस्पताल हैं जहां केजरीवाल के चमकते चेहरों के होर्डिंग्स तो मिल जाएंगे लेकिन बेसिक जांच की सुविधाओं के अभाव में मरीज इधर-उधर भटकते रह रहे हैं. दिल्ली में 10 स्मॉग टॉवर लगाने का दावा केजरीवाल करते हैं. उसके नाम पर 80 लाख रुपये प्रति माह मरम्मत के नाम पर खर्च में दिखाए जाते हैं, लेकिन बावजूद इसके स्मॉग टावर काम नहीं कर रहे हैं. अरविंद केजरीवाल आजकल दिल्लीवालों के टैक्स के पैसों से दूसरे राज्यों में अपने राजनीतिक पर्यटन में व्यस्त हैं, लेकिन दिल्लीवालों की जरूरतें पूरी नहीं हो पातीं. पर्यावरण सेस के रूप में वसूल गए 1286.93 करोड़ रुपये में से 2015-16 में सिर्फ 272.51 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. उसमें से 265 करोड़ रुपये दिल्ली- मेरठ रैपिड रेल ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर खर्च हुआ है.
पंजाब में पराली जलाने के मामले 34 फीसदी और बढ़े : केंद्रीय मंत्री ने आगे अपनी बात रखते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बार-बार दिल्ली के उपराज्यपाल को ब्लेम करते हैं कि वाहन ऑन-ऑफ सिस्टम को रोक दिया नहीं तो दिल्ली का पर्यायवरण बेहतर हो जाता है, लेकिन हकीकत यह है कि प्रदूषण विरोधी प्रमाणिक रिकॉर्ड दिल्ली प्रदूषण विभाग के पास नहीं है. अरविंद केजरीवाल जब पंजाब में उनकी पार्टी के मुख्यमंत्री नहीं थे तो कहा करते थे कि दिल्ली की जहरीली हवा का कारण पंजाब की पराली है, लेकिन जब उनके हाथ में पंजाब आ गया तो अब वे आरोप उपराज्यपाल पर लगा रहे हैं, जबकि पंजाब में पराली जलाने के मामले पहले 34 फीसदी अब और बढ़ गए हैं. केंद्र मंत्री मीनाक्षी लेखी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अंत में अपनी बात रखते हुए कहा कि दिल्ली में प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई कदम उठाए जा रहे हैं. केंद्र ने गाइडलाइन्स बनाकर देने और ईस्टर्न-वेस्टर्न पेरिफेरल बनाकर दिया. जबकि केजरीवाल सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए. पर्यायवरण सेस के जो पैसे हैं उन्हें अपने के निजी हितों के लिए केजरीवाल ने इस्तेमाल किया.
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